लाहौल स्पीति में हुई सीजन की पहली बर्फबारी:घाटी ने ओढ़ी सफेद चादर, सेब के पौधों के लिए संजीवनी; पर्यटन व्यवसाय बढ़ने की आस

हिमाचल में जिला लाहौल स्पीति में सीजन की पहली बर्फबारी के बाद शीत मरुस्थल ने बर्फ की सफेद चादर ओढ़ ली है। हालांकि शनिवार रात बर्फ पड़ने का सिलसिला ज्यादा देर नहीं चल पाया मगर तब तक 2 से 3 इंच बर्फबारी हो चुकी थी। फिलहाल अभी घाटी में मौसम साफ हो गया है। सेब के फायदेमंद साबित होगा बर्फबारी बर्फबारी होने के बाद घाटी के बागवान व किसानों ने भी राहत की सांस ली है। जिला लाहौल स्पीति में अमूमन अक्टूबर माह से ही बर्फबारी का सिलसिला शुरू हो जाता था। पिछले साल और इस साल बागवानों को नवंबर माह के अंतिम सप्ताह तक इंतजार करना पड़ा। बर्फबारी सेब के पौधों के लिए भी संजीवनी बनकर आई है। गत वर्ष भी बर्फ के लिए करना पड़ा था इतना इंतजार गत वर्ष भी बर्फबारी देर से हुई थी मगर उस समय जिला लाहौल स्पीति के आराध्य देवता राजा घेपन अपने हारियानों सहित घाटी की परिक्रमा के लिए निकले थे। माना जाता है कि जब तक देवता राजा घेपन परिक्रमा में रहते हैं, तब तक क्षेत्र में बारिश बर्फबारी नहीं होती। पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों को बंधी आस रोहतांग टनल बनने के बाद लाहौल स्पीति में पर्यटन व्यवसाय की भी संभावनाएं बढ़ी हैं। सिस्सु व खोकसर में बर्फ के दीदार के लिए सैकड़ों लोग पहुंचते हैं। अधिक बर्फबारी होने के कारण रोहतांग पास दो से तीन महीने के लिए बंद हो जाता है। उस दौरान अटल टनल के माध्यम से पर्यटक सिस्सु व खोकसर में बर्फ के दीदार के लिए पहुंचते हैं।

Nov 24, 2024 - 15:15
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लाहौल स्पीति में हुई सीजन की पहली बर्फबारी:घाटी ने ओढ़ी सफेद चादर, सेब के पौधों के लिए संजीवनी; पर्यटन व्यवसाय बढ़ने की आस
हिमाचल में जिला लाहौल स्पीति में सीजन की पहली बर्फबारी के बाद शीत मरुस्थल ने बर्फ की सफेद चादर ओढ़ ली है। हालांकि शनिवार रात बर्फ पड़ने का सिलसिला ज्यादा देर नहीं चल पाया मगर तब तक 2 से 3 इंच बर्फबारी हो चुकी थी। फिलहाल अभी घाटी में मौसम साफ हो गया है। सेब के फायदेमंद साबित होगा बर्फबारी बर्फबारी होने के बाद घाटी के बागवान व किसानों ने भी राहत की सांस ली है। जिला लाहौल स्पीति में अमूमन अक्टूबर माह से ही बर्फबारी का सिलसिला शुरू हो जाता था। पिछले साल और इस साल बागवानों को नवंबर माह के अंतिम सप्ताह तक इंतजार करना पड़ा। बर्फबारी सेब के पौधों के लिए भी संजीवनी बनकर आई है। गत वर्ष भी बर्फ के लिए करना पड़ा था इतना इंतजार गत वर्ष भी बर्फबारी देर से हुई थी मगर उस समय जिला लाहौल स्पीति के आराध्य देवता राजा घेपन अपने हारियानों सहित घाटी की परिक्रमा के लिए निकले थे। माना जाता है कि जब तक देवता राजा घेपन परिक्रमा में रहते हैं, तब तक क्षेत्र में बारिश बर्फबारी नहीं होती। पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों को बंधी आस रोहतांग टनल बनने के बाद लाहौल स्पीति में पर्यटन व्यवसाय की भी संभावनाएं बढ़ी हैं। सिस्सु व खोकसर में बर्फ के दीदार के लिए सैकड़ों लोग पहुंचते हैं। अधिक बर्फबारी होने के कारण रोहतांग पास दो से तीन महीने के लिए बंद हो जाता है। उस दौरान अटल टनल के माध्यम से पर्यटक सिस्सु व खोकसर में बर्फ के दीदार के लिए पहुंचते हैं।

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