विवाह में 5 किलो सोने का आभूषण पहनेंगें श्रीसीताराम:दिल्ली की लाईट और रामलीला,लखनऊ की शहनाई और राजस्थान का डांस ग्रुप बढ़ाऐंगे आकर्षण

अयोध्या में 6 दिसंबर को भगवान श्रीराम और सीता का विवाह महोत्सव है।इस समारोह में देश के अनेक शहरों से करीब 2 लाख भक्त शामिल होने अयोध्या पहुंच रहे हैं।भक्त अपने आराध्य श्रीराम और सीता के लिए उपहार भी लेकर पहुंच रहे हैं। अकेले जानकी महल ट्रस्ट में भगवान श्रीराम और सीता के विग्रहों को इस पर्व पर 5 किलो का सोने का आभूषण धारण कराया जा रहा है। यहां रामबारात के लिए दिल्ली की 5 लाइट, कानपुर का दूध, 4 रथ,1000 लोगों को अनेक प्रकार के उपहार, 5बग्घी , 4ऊंट,4 घोड़े, राजस्थान का साफा, लखनऊ की शहनाई के साथ दिल्ली की मशहूर रामलीला, देवताओं के समूह हनुमान, राधा रानी,शिव,पार्वती, स्वरूप बारात में शामिल होगे। यहां भक्तों के लिए 500 कमरा अभी बुक कर दिया गया है। 3 डांस ग्रुप राजस्थान और अयोध्या के रहेंगे जो बारात की शोभा आतिशबाजी के साथ बढ़ाऐंगे।इसके साथ ही पूरे बारात की ड्रोन से निगरानी और रिकार्डिंग की जाएगी। जानकी महल के ट्रस्टी आदित्य सुल्तानियां के अनुसार राम जन्म भूमि में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार श्रीराम विवाह का उत्सव धूमधाम से मनाने की तैयारी है। बनारस का मशहूर चाट जो उद्योगपति अंबानी परिवार के विवाह की सेवा दे चुके है। बनारस की काशी चाट भंडार इस बार भगवान राम की बारातियों की सेवा में शामिल होगा। साथ ही कलकत्ता का चाय टोस्ट व कानपुर की दूध सभी का सभी लोग लुफ्त उठायेंगे। वर पक्ष की अगुवाई दिल्ली के मुरारी लाल अग्रवाल करेंगे तो वधू पक्ष जानकी महल ट्रस्ट दुलहा श्रीराम सरकार व बारातियों की सेवा करेगा। आदित्य सुल्तानियां बताते हैं कि यह स्थान किशोरी जी का मायका माना जाता है। राम जी को दुलहा और किशोरी जी को बेटी मानकर वर्ष में एक बार जानकी महल की दहलीज विग्रह को पार कराया जाता है। बता दें कि गणेश भगवान को न्योता भेजकर विवाह उत्सव शुरू हो गया है।कार्यक्रम को सफल बनाने में ट्रस्टी दिलीप सुल्तानिया, नीता सुल्तानिया, अरुण सुल्तानिया समेत पूरा जानकी महल परिवार लगा हुआ है। इसके साथ ही रामविवाह पर राम नगरी के अलग-अलग मंदिरों से 6 दिसंबर को राम बारात निकाली जाएगी। विवाह पंचमी का मुहूर्त 6 दिसंबर को ही पड़ रहा है, अयोध्या के लिए यह तिथि बेहद खास मानी जाती है. मठ मंदिरों में यह उत्सव मनाया जाएगा. अयोध्या के संत-महंत दशरथ, जनक और महर्षि की भूमिका में नजर आएंगे।श्रीसीता-राम विवाहोत्सव का मुख्य उत्सव 6 दिसंबर को है। उत्सव की तैयारी चरम की ओर उन्मुख है। रामनगरी के चुनिंदा मंदिरों में राम विवाहोत्सव पूरे भाव-चाव से मनाया जाता है। रामनगरी के श्री जानकी महल ट्रस्ट में मिथिला पद्धति से विवाहोत्सव मनाया जाता है। यहां पर भगवान राम को दुल्हा सरकार और किशोरी जी को बेटी माना जाता है। श्री जानकी महल ट्रस्ट का सीताराम विवाहोत्सव देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है। यहां की विवाहोत्सव सुप्रसिद्ध है। जो अपने आप में अद्वितीय है। अयोध्या के कनक भवन, लक्ष्मण किला, दशरथ राजमहल बड़ा स्थान रसमोद कुंज रंग महल विअहुती भवन आदि का विवाहोत्सव देखने के लिए लोग आतुर रहते है। भगवान श्रीराम की रसिक भाव की उपासना में श्री सीता के बिना श्रीराम की कल्पना तक नहीं की जाती है और ऐसे में श्रीराम एवं सीता के मिलन के महा पर्व पर यहां उत्सव परम आनंद देने वाला होता है। आचार्यपीठ लक्ष्मण किला में 1 जुलाई का मुनि आगमन की रामलीला के साथ उत्सव आरंभ हो जाएगा।यहां मिथिला की दो दर्जन सखियां विवाह में मंगल गीत गाने के लिए अयोध्या पहुंच रहीं हैं।महंत मैथिली रमण शरण ने बताया कि किला में विवाह और कलेवा आदि उत्सव होंगे।यहां की बारात सिद्ध पीठ हनुमत निवास से आएगी।विवाह के अवसर पर देश के अनेक हिस्सों से संत और भक्त पहुंच रहे हैं। राजा दशरथ के महल में देश के 5 राज्यों के बैंड बारात की अगुवानी करेंगे। मंगल भवन पीठ के महंत राम भूषण दास कृपालु ने बताया कि इस बार बारात और विवाह की सर्वाधिक तैयारी की गई है।दशरथ महल में श्रीराम चारो भैया और महारानी के विग्रह विराजमान हैं।यहां छ दिसंबर को रामबारात और विवाह के साथ 7 दिसंबर को रामकलेवा होगा।समारोह में एक दिसंबर को जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी दिनेशाचार्य की रामकथा और रामलीला से होगा। जानकी महल ट्रस्ट में उत्सव का आगाज 3 दिसंबर मंगलवार की प्रथम बेला में रामार्चा महायज्ञ एवं सायं रामलीला की प्रस्तुति तथा गणेश पूजन से शुरु हो गया। बुधवार को फुलवारी सायं विवाह गीत एवं रामलीला की प्रस्तुति संयोजित है। जानकी महल में राम विवाहोत्सव की रस्म किस प्रामाणिकता से मनायी जाती है। इसे हल्दात तिलक मेंहदी बिनौरी नेग न्यौछावरी नेग घुड़चढ़ी बरात प्रस्थान वैवाहिक कार्यक्रम और विवाहोत्सव के अगले दिन छप्पन भोग तथा कुंवर कलेवा के आयोजनों से समझा जा सकता है।

Dec 1, 2024 - 07:20
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विवाह में 5 किलो सोने का आभूषण पहनेंगें श्रीसीताराम:दिल्ली की लाईट और रामलीला,लखनऊ की शहनाई और राजस्थान का डांस ग्रुप बढ़ाऐंगे आकर्षण
अयोध्या में 6 दिसंबर को भगवान श्रीराम और सीता का विवाह महोत्सव है।इस समारोह में देश के अनेक शहरों से करीब 2 लाख भक्त शामिल होने अयोध्या पहुंच रहे हैं।भक्त अपने आराध्य श्रीराम और सीता के लिए उपहार भी लेकर पहुंच रहे हैं। अकेले जानकी महल ट्रस्ट में भगवान श्रीराम और सीता के विग्रहों को इस पर्व पर 5 किलो का सोने का आभूषण धारण कराया जा रहा है। यहां रामबारात के लिए दिल्ली की 5 लाइट, कानपुर का दूध, 4 रथ,1000 लोगों को अनेक प्रकार के उपहार, 5बग्घी , 4ऊंट,4 घोड़े, राजस्थान का साफा, लखनऊ की शहनाई के साथ दिल्ली की मशहूर रामलीला, देवताओं के समूह हनुमान, राधा रानी,शिव,पार्वती, स्वरूप बारात में शामिल होगे। यहां भक्तों के लिए 500 कमरा अभी बुक कर दिया गया है। 3 डांस ग्रुप राजस्थान और अयोध्या के रहेंगे जो बारात की शोभा आतिशबाजी के साथ बढ़ाऐंगे।इसके साथ ही पूरे बारात की ड्रोन से निगरानी और रिकार्डिंग की जाएगी। जानकी महल के ट्रस्टी आदित्य सुल्तानियां के अनुसार राम जन्म भूमि में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार श्रीराम विवाह का उत्सव धूमधाम से मनाने की तैयारी है। बनारस का मशहूर चाट जो उद्योगपति अंबानी परिवार के विवाह की सेवा दे चुके है। बनारस की काशी चाट भंडार इस बार भगवान राम की बारातियों की सेवा में शामिल होगा। साथ ही कलकत्ता का चाय टोस्ट व कानपुर की दूध सभी का सभी लोग लुफ्त उठायेंगे। वर पक्ष की अगुवाई दिल्ली के मुरारी लाल अग्रवाल करेंगे तो वधू पक्ष जानकी महल ट्रस्ट दुलहा श्रीराम सरकार व बारातियों की सेवा करेगा। आदित्य सुल्तानियां बताते हैं कि यह स्थान किशोरी जी का मायका माना जाता है। राम जी को दुलहा और किशोरी जी को बेटी मानकर वर्ष में एक बार जानकी महल की दहलीज विग्रह को पार कराया जाता है। बता दें कि गणेश भगवान को न्योता भेजकर विवाह उत्सव शुरू हो गया है।कार्यक्रम को सफल बनाने में ट्रस्टी दिलीप सुल्तानिया, नीता सुल्तानिया, अरुण सुल्तानिया समेत पूरा जानकी महल परिवार लगा हुआ है। इसके साथ ही रामविवाह पर राम नगरी के अलग-अलग मंदिरों से 6 दिसंबर को राम बारात निकाली जाएगी। विवाह पंचमी का मुहूर्त 6 दिसंबर को ही पड़ रहा है, अयोध्या के लिए यह तिथि बेहद खास मानी जाती है. मठ मंदिरों में यह उत्सव मनाया जाएगा. अयोध्या के संत-महंत दशरथ, जनक और महर्षि की भूमिका में नजर आएंगे।श्रीसीता-राम विवाहोत्सव का मुख्य उत्सव 6 दिसंबर को है। उत्सव की तैयारी चरम की ओर उन्मुख है। रामनगरी के चुनिंदा मंदिरों में राम विवाहोत्सव पूरे भाव-चाव से मनाया जाता है। रामनगरी के श्री जानकी महल ट्रस्ट में मिथिला पद्धति से विवाहोत्सव मनाया जाता है। यहां पर भगवान राम को दुल्हा सरकार और किशोरी जी को बेटी माना जाता है। श्री जानकी महल ट्रस्ट का सीताराम विवाहोत्सव देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है। यहां की विवाहोत्सव सुप्रसिद्ध है। जो अपने आप में अद्वितीय है। अयोध्या के कनक भवन, लक्ष्मण किला, दशरथ राजमहल बड़ा स्थान रसमोद कुंज रंग महल विअहुती भवन आदि का विवाहोत्सव देखने के लिए लोग आतुर रहते है। भगवान श्रीराम की रसिक भाव की उपासना में श्री सीता के बिना श्रीराम की कल्पना तक नहीं की जाती है और ऐसे में श्रीराम एवं सीता के मिलन के महा पर्व पर यहां उत्सव परम आनंद देने वाला होता है। आचार्यपीठ लक्ष्मण किला में 1 जुलाई का मुनि आगमन की रामलीला के साथ उत्सव आरंभ हो जाएगा।यहां मिथिला की दो दर्जन सखियां विवाह में मंगल गीत गाने के लिए अयोध्या पहुंच रहीं हैं।महंत मैथिली रमण शरण ने बताया कि किला में विवाह और कलेवा आदि उत्सव होंगे।यहां की बारात सिद्ध पीठ हनुमत निवास से आएगी।विवाह के अवसर पर देश के अनेक हिस्सों से संत और भक्त पहुंच रहे हैं। राजा दशरथ के महल में देश के 5 राज्यों के बैंड बारात की अगुवानी करेंगे। मंगल भवन पीठ के महंत राम भूषण दास कृपालु ने बताया कि इस बार बारात और विवाह की सर्वाधिक तैयारी की गई है।दशरथ महल में श्रीराम चारो भैया और महारानी के विग्रह विराजमान हैं।यहां छ दिसंबर को रामबारात और विवाह के साथ 7 दिसंबर को रामकलेवा होगा।समारोह में एक दिसंबर को जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी दिनेशाचार्य की रामकथा और रामलीला से होगा। जानकी महल ट्रस्ट में उत्सव का आगाज 3 दिसंबर मंगलवार की प्रथम बेला में रामार्चा महायज्ञ एवं सायं रामलीला की प्रस्तुति तथा गणेश पूजन से शुरु हो गया। बुधवार को फुलवारी सायं विवाह गीत एवं रामलीला की प्रस्तुति संयोजित है। जानकी महल में राम विवाहोत्सव की रस्म किस प्रामाणिकता से मनायी जाती है। इसे हल्दात तिलक मेंहदी बिनौरी नेग न्यौछावरी नेग घुड़चढ़ी बरात प्रस्थान वैवाहिक कार्यक्रम और विवाहोत्सव के अगले दिन छप्पन भोग तथा कुंवर कलेवा के आयोजनों से समझा जा सकता है।

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