शिमला से ठंडी सोलन-ऊना की रातें:बर्फबारी नहीं होने तक मैदानी इलाकों में कोल्ड-अटैक; 56 दिन का ड्राइ-स्पेल टूटने के आसार नहीं
हिमाचल के मैदानी इलाकों में शिमला से ज्यादा ठंड हो गई है। पहाड़ों पर बारिश-बर्फबारी नहीं होने की वजह से सुबह शाम निचले इलाकों में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। इससे शिमला में रात को भी न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस है, जबकि प्रदेश के गर्म शहरों में शुमार सोलन का न्यूनतम पारा 2.9 डिग्री और ऊना का 6.2 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है। प्रदेश के दूसरे मैदानी इलाकों में भी शिमला से काफी नीचे तापमान लुढ़क चुका है। मंडी के सुंदरनगर का न्यूनतम तापमान 5.5 डिग्री, पालमपुर का 7 डिग्री, मनाली का 2.9 डिग्री, कांगड़ा का 7.2 डिग्री, मंडी का 6.5 डिग्री, बिलासपुर का 7.5 डिग्री, हमीरपुर का 7 डिग्री और चंबा का न्यूनतम तापमान 6.8 डिग्री तक गिर गया है। मौसम विभाग (IMD)के अनुसार, जब तक बर्फबारी नहीं होगी, तब तक पहाड़ों से ज्यादा ठंड मैदानी इलाकों में लोगों को परेशान करती रहेगी। इस बीच मौसम विभाग ने मंडी और बिलासपुर में अगले चार दिन तक घनी धुंध छाने का येलो अलर्ट जारी किया है। इससे विजिबिलिटी 50 मीटर से भी नीचे गिरेगी। ऐसे में वाहन चालकों को सावधानी से गाड़ी चलाने की सलाह दी गई है। 30 को ऊंचे पहाड़ों पर हल्की बर्फबारी IMD की माने तो प्रदेश में अगले 3 सप्ताह तक अच्छी बारिश-बर्फबारी के आसार नहीं है। हालांकि 30 नवंबर को कांगड़ा, चंबा, लाहौल स्पीति और कुल्लू के अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बर्फबारी का पूर्वानुमान जरूर है। मगर प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में 56 दिन का ड्राइ स्पेल टूटने के आसार नहीं है। पोस्ट मानसून सीजन में नॉर्मल से 98% कम बादल बरसे प्रदेश में मानसून के बाद पोस्ट मानसून सीजन में सामान्य से 98 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इससे सूखे जैसे हालात बने हुए हैं। प्रदेशवासी बारिश-बर्फबारी का इंतजार कर रहे हैं। मगर अभी इसके आसार न के बराबर है। इसकी सबसे ज्यादा मार किसानों पर पड़ रही है। 37% जमीन पर गेंहू की बुवाई कर पाए किसान कृषि विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इस बार मुश्किल से 37 प्रतिशत जमीन पर गेंहू की बुवाई हो गई है। वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में गेंहू की बुवाई का उचित समय 1 नवंबर और मैदानी इलाकों में 15 नवंबर को बीत गया है। जाहिर है कि इससे गेंहू के उत्पादन में कमी आएगी।
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