दहेज आज भी आधी आबादी के लिए बड़ी मुसीबत:कानपुर में तीन साल में बढ़ गई दहेज हत्या की घटनाएं; लोभ और लालच के कारण घटनाओं में हुई बढ़ोत्तरी

कानपुर में आधी आबादी पर खतरा कम नहीं हुआ है। देश व प्रदेश विकसित होने के तमाम दावों के बीच जब आधी आबादी के साथ होने वाले अपराध को लेकर आंकड़े सामने आए तो चौकाने वाला खुलासा हुआ। बीते तीन सालों में दहेज हत्या की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। लालच और लोभ में यह घटनाएं हो रही है। पुलिस अधिकारियों की माने तो घर के अंदर पनपने वाले कलेश के बारे में तब तक जानकारी नहीं मिल सकती जब तक वह पुलिस के पास शिकायत लेकर न आ जाए। कानपुर पुलिस कमिश्नरेट ने हाल में 1 जनवरी से 31 अक्टूबर के बीच होने वाले महिला अपराधों को लेकर आंकड़ा तैयार किया। इस तिथि पर तीन साल यानी 2022 से 2024 के बीच कितनी और क्या अपराधिक घटनाएं हुई है इसका आंकड़ा तैयार किया गया है। दहेज हत्या की घटनाएं सबसे अधिक सन 2022 में दहेज हत्या की 30 घटनाएं हुई थी। वहीं 2023 में 43 और सन 2024 में 52 घटनाएं घटित हुई। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इन सभी मामलों में एफआईर दर्ज की गई है और आरोपी पति व अन्य ससुराल वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। क्यों हो जाती है दहेज हत्या की घटनाएं पुलिस, सामाजिक शास््त्र का अध्यन करने वालों से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि - महिला को ससुराल में वो स्थान नहीं मिलता जिसकी वो हकदार है। विवाह असफल हो जाए तो उसकी जिम्मेदार लड़की ही मानी जाती है - शादी के बाद महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि जो भी गतिविधियां हो रही है वो उसे चुपचाप सहन करे - महिलाओं को ससुराल में समानता नहीं मिलती। उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं माना जाता। महिलाएं यातनायें भी सहन करती है क्योंकि उन्हें लगता है कि माता पिता को परेशान करना ठीक नहीं होगा - दहेज गैर कानूनी होने के बाद भी विवाह में नकदी और अन्य सम्पत्तियों का लेनदेन होता है। इसे लेकर अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई कहीं नहीं की गई है। कैसे रोकी जा सकती है दहेज हत्या की घटनाएं - किसी भी परिस्थिति में दहेज न लें और न ही दें - घर की बेटियों को यह न सिखाये कि चुप रहने से उनकी शादी सफल हो जाएगी - शादी के बाद भी बेटी से सम्पर्क बनाए रखे उसे कोई तकलीफ है तो उसे अनदेखा न करें - अगर बेटी लगातार आपसे पैसे मांग रही है तो उस खतरे को भांप ले। उसी हिसाब से आगे कार्रवाई करें - अगर बेटी अत्याधिक विरोध पर उतरी है तो उसे पति के पास जाने के लिए मजबूर न करें महिला अपराधों में आई कमी पुलिस द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार महिला अपराधों में कमी आने का दावा किया है। सन 2022 में 1550 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए थे। सन 2023 में ग्राफ बढ़ा और 1600 अपराधिक घटनाएं दर्ज की गई। वहीं सन 2024 में 31 अक्टूबर तक कुल 1500 मामले दर्ज किए गए हैं। महिला अपराध के मामलों को देखने वाले एडवोकेट प्रवीण फाइटर के मुताबिक महिलाओं के प्रति अपराध समाज का दूषित करता है। मेरे संज्ञान में बहुत सारे मामले आते हैं और कई मामलों मेें मैं खुद भी पैरवी कर रहा हूं। एक अच्छा समाज बनाने के लिए हमें महिलाओं को बराबरी का हक देने जरुरत।

Nov 26, 2024 - 14:15
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दहेज आज भी आधी आबादी के लिए बड़ी मुसीबत:कानपुर में तीन साल में बढ़ गई दहेज हत्या की घटनाएं; लोभ और लालच के कारण घटनाओं में हुई बढ़ोत्तरी
कानपुर में आधी आबादी पर खतरा कम नहीं हुआ है। देश व प्रदेश विकसित होने के तमाम दावों के बीच जब आधी आबादी के साथ होने वाले अपराध को लेकर आंकड़े सामने आए तो चौकाने वाला खुलासा हुआ। बीते तीन सालों में दहेज हत्या की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। लालच और लोभ में यह घटनाएं हो रही है। पुलिस अधिकारियों की माने तो घर के अंदर पनपने वाले कलेश के बारे में तब तक जानकारी नहीं मिल सकती जब तक वह पुलिस के पास शिकायत लेकर न आ जाए। कानपुर पुलिस कमिश्नरेट ने हाल में 1 जनवरी से 31 अक्टूबर के बीच होने वाले महिला अपराधों को लेकर आंकड़ा तैयार किया। इस तिथि पर तीन साल यानी 2022 से 2024 के बीच कितनी और क्या अपराधिक घटनाएं हुई है इसका आंकड़ा तैयार किया गया है। दहेज हत्या की घटनाएं सबसे अधिक सन 2022 में दहेज हत्या की 30 घटनाएं हुई थी। वहीं 2023 में 43 और सन 2024 में 52 घटनाएं घटित हुई। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इन सभी मामलों में एफआईर दर्ज की गई है और आरोपी पति व अन्य ससुराल वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। क्यों हो जाती है दहेज हत्या की घटनाएं पुलिस, सामाजिक शास््त्र का अध्यन करने वालों से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि - महिला को ससुराल में वो स्थान नहीं मिलता जिसकी वो हकदार है। विवाह असफल हो जाए तो उसकी जिम्मेदार लड़की ही मानी जाती है - शादी के बाद महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि जो भी गतिविधियां हो रही है वो उसे चुपचाप सहन करे - महिलाओं को ससुराल में समानता नहीं मिलती। उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं माना जाता। महिलाएं यातनायें भी सहन करती है क्योंकि उन्हें लगता है कि माता पिता को परेशान करना ठीक नहीं होगा - दहेज गैर कानूनी होने के बाद भी विवाह में नकदी और अन्य सम्पत्तियों का लेनदेन होता है। इसे लेकर अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई कहीं नहीं की गई है। कैसे रोकी जा सकती है दहेज हत्या की घटनाएं - किसी भी परिस्थिति में दहेज न लें और न ही दें - घर की बेटियों को यह न सिखाये कि चुप रहने से उनकी शादी सफल हो जाएगी - शादी के बाद भी बेटी से सम्पर्क बनाए रखे उसे कोई तकलीफ है तो उसे अनदेखा न करें - अगर बेटी लगातार आपसे पैसे मांग रही है तो उस खतरे को भांप ले। उसी हिसाब से आगे कार्रवाई करें - अगर बेटी अत्याधिक विरोध पर उतरी है तो उसे पति के पास जाने के लिए मजबूर न करें महिला अपराधों में आई कमी पुलिस द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार महिला अपराधों में कमी आने का दावा किया है। सन 2022 में 1550 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए थे। सन 2023 में ग्राफ बढ़ा और 1600 अपराधिक घटनाएं दर्ज की गई। वहीं सन 2024 में 31 अक्टूबर तक कुल 1500 मामले दर्ज किए गए हैं। महिला अपराध के मामलों को देखने वाले एडवोकेट प्रवीण फाइटर के मुताबिक महिलाओं के प्रति अपराध समाज का दूषित करता है। मेरे संज्ञान में बहुत सारे मामले आते हैं और कई मामलों मेें मैं खुद भी पैरवी कर रहा हूं। एक अच्छा समाज बनाने के लिए हमें महिलाओं को बराबरी का हक देने जरुरत।

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