संभल हिंसा की जांच करने पहुंचा न्यायिक कमीशन:ASI का दावा- जामा मस्जिद में अवैध निर्माण हुआ
संभल हिंसा के 8वें दिन न्यायिक आयोग की टीम जांच करने संभल पहुंचेगी। शनिवार रात टीम के दो सदस्य हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस डीके अरोड़ा और यूपी के पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन मुरादाबाद पहुंचे थे। टीम के तीसरे सदस्य रिटायर्ड प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद सुबह मुरादाबाद पहुंचेंगे। वहीं, शनिवार को शाही जामा मस्जिद मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। ASI के वकील विष्णु शर्मा कहा- यहां प्राचीन इमारत और पुरातत्व अवशेषों के संरक्षण अधिनियम 1958 के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया। मस्जिद के बाहर सीढ़ियों पर जो निर्माण करवाया गया है, उसके खिलाफ पहले से FIR दर्ज है। वकील विष्णु शर्मा ने बताया- साल 1998 में ASI ने मस्जिद का दौरा किया गया था। उसके बाद जून, 2024 में इसका दौरा किया। इस जगह कई सारे बदलाव करके इसका मूल रूप बदला गया। जिसकी जानकारी हलफनामे में दी गई है। कुछ पुरानी और नई फोटो भी कोर्ट को दी गई हैं। समय-समय पर ASI जामा मस्जिद में जांच के लिए जाती थी। लेकिन वहां के स्थानीय लोग ASI को सर्वे नहीं करने देते थे। बता दें कि संभल की शाही जामा मस्जिद भारतीय पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आती है। उन्होंने कहा- मस्जिद कमेटी ने साल 2018 में मस्जिद की सीढ़ियों पर स्टील की रेलिंग लगा दी थी। 19 जनवरी, 2018 को उसके खिलाफ मस्जिद कमेटी पर FIR दर्ज कराई गई। इस मस्जिद का कंट्रोल ASI के पास ही होना चाहिए। जिस भी संपत्ति का कंट्रोल ASI के पास होता है, वहां पर कोई भी जा सकता है। ऐसा नहीं है कि वहां पर बस एक विशेष समुदाय के लोग ही जा सकते हैं। जैसे कुतुब मीनार, ताजमहल है…ये सबके लिए ओपन है। इसका पूरा कंट्रोल ASI के पास ही होना चाहिए। हमने कोर्ट में पुराने और नए स्ट्रक्चर के फोटो भी सबमिट किए हैं। प्राचीन इमारत का स्वरूप बदलने का काम किया गया है। अखिलेश ने मृतकों के परिजनों को दिए 5-5 लाख रुपए हिंसा में मारे गए लोगों के परिवार वालों को शनिवार को समाजवादी पार्टी ने 5-5 लाख रुपए देने का ऐलान किया। इसे लेकर सपा ने 'X' पर पोस्ट भी किया था। मुरादाबाद से सपा सांसद रुचि वीरा ने कहा- हमारी यूपी सरकार से मांग है कि हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए दे। वहीं, शनिवार को संभल जाने की कोशिश करने वाले नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के घर के बाहर फोर्स तैनात कर दी गई। सपा प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल को नजरबंद किया गया। मुरादाबाद में सपा विधायक पिंकी यादव समेत 10 नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। बरेली में 100 से ज्यादा सपा कार्यकर्ताओं को पकड़ लिया गया। हापुड़ में कैराना सांसद इकरा हसन को पुलिस ने रोक लिया गया। मुरादाबाद के कमिश्नर ऑन्जनेय सिंह ने सपा नेताओं को हिरासत में लिए जाने के बाद कहा था- नेताओं को संभल जाने से मना किया गया है। क्योंकि, इनके जाने से वहां के हालात एक बार फिर से खराब होने की आशंका है। उसी के तहत कुछ लोगों को डिटेन और हाउस अरेस्ट भी किया गया। अब पढ़िए अब तक मामले में क्या हुआ... 19 नवंबर को पहली बार हिंदू पक्ष की याचिका पर हुआ था सर्वे संभल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हिंदू पक्ष ने 19 नवंबर को याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक 150 साल पुरानी रिपोर्ट शामिल है। संभल की सिविल कोर्ट ने उसी दिन कमिश्नर सर्वे का आदेश दिया था। इस आदेश के कुछ ही घंटों बाद उसी दिन कमिश्नर टीम ने सर्वे किया था। सर्वे की रिपोर्ट एक सप्ताह में सौंपनी है। सिविल कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ जामा मस्जिद पक्ष ने अपील दाखिल की है। मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। 24 नवंबर को दोबारा सर्वे के दौरान भड़की हिंसा 2 दिन पहले यानी रविवार सुबह 6.30 बजे डीएम-एसपी के साथ दोबारा से टीम जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची थी। टीम देखकर मुस्लिम समुदाय के लोग भड़क गए। कुछ ही देर में करीब दो से तीन हजार से ज्यादा लोग जामा मस्जिद के बाहर पहुंच गए। पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो कुछ लोगों ने पथराव कर दिया। इसके बाद हिंसा भड़क गई। वहीं, संभल में हिंसा के बाद अगले 5 दिन तक यानी 1 दिसंबर तक बाहरी व्यक्तियों के संभल में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। डीएम राजेंद्र पैंसिया ने बताया कि बाहरी व्यक्ति, सामाजिक संगठन और जनप्रतिनिधियों के जिले में आने पर रोक रहेगी। संभल की मस्जिद का विवाद क्या है? हिंदू पक्ष काफी वक्त से संभल की जामा मस्जिद की जगह पर पहले मंदिर होने का दावा कर रहा है। 19 नवंबर को 8 लोग मामले को लेकर कोर्ट पहुंचे और एक याचिका दायर की। इनमें सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णुशंकर जैन प्रमुख हैं। ये दोनों ताजमहल, कुतुब मीनार, मथुरा, काशी और भोजशाला के मामला भी देख रहे हैं। इनके अलावा याचिकाकर्ताओं में वकील पार्थ यादव, केला मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी, महंत दीनानाथ, सामाजिक कार्यकर्ता वेदपाल सिंह, मदनपाल, राकेश कुमार और जीतपाल यादव का नाम शामिल है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करती थी, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। संभल कोर्ट में हिंदू पक्ष ने याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 150 साल पुरानी एक रिपोर्ट शामिल है।
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