सुखबीर बादल के भविष्य पर विचार आज:अकाल तख्त जत्थेदार ने बुद्धिजीवियों की बैठक बुलाई; तनखैया घोषित हो चुके अकाली दल प्रधान

पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रधान सुखबीर सिंह बादल के धार्मिक और राजनीतिक भविष्य पर आज विचार होगा। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने अकाल तख्त कार्यालय में बैठक बुलाई है। इसमें सिख विद्वानों और बुद्धिजीवियों के साथ सुखबीर बादल की सजा पर चर्चा होगी। अकाल तख्त पहले ही सुखबीर बादल को तनखैया घोषित कर चुका है। आज होने वाली बैठक में सुखबीर की धार्मिक सजा पर विचार किया जाएगा। मीटिंग में 18 सिख विद्वान और बुद्धिजीवी भाग लेंगे। इनमें अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार मंजीत सिंह, पंजाबी यूनिवर्सिटी के पूर्व VC जसपाल सिंह, इंद्रजीत सिंह गोगोआनी, अमरजीत सिंह, हरसिमरन सिंह, जसपाल सिंह सिद्धू और हमीर सिंह शामिल हैं। कुछ वरिष्ठ पत्रकार भी मीटिंग में बुलाए गए हैं। सुखबीर की सजा पेंडिंग अकाली दल में सुखबीर बादल के विरोधी गुट के नेताओं ने वर्ष 2007 से 2017 के बीच अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान लिए गए कुछ धार्मिक फैसलों पर सवाल उठाए थे। उनका दावा था कि यह फैसले सिख धर्म के खिलाफ रहे। इस मुद्दे पर चर्चा के बाद अकाल तख्त ने 30 अगस्त 2024 को सुखबीर बादल को तनखैया घोषित कर दिया था। उनकी सजा पर फैसला अभी पेंडिंग है। क्या सजा मिल सकती है? अकाल तख्त के दिशा-निर्देशों के तहत, सिख कौम के तनखैया घोषित किसी शख्स को अक्सर गुरुद्वारों में सेवा करने जैसे काम सौंपे जाते हैं। मसलन जूते या फर्श साफ करना। बर्तन साफ करने की सेवा करना। आज की बैठक में इस बात पर विचार किया जाएगा कि सुखबीर बादल को किस तरह की धार्मिक सजा दी जा सकती है। आज की बैठक के बाद सिख पंथ के पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक होगी, जिसमें सुखबीर बादल को भी बुलाया जा सकता है। क्या होता है तनखैया सिख पंथ के अनुसार कोई भी सिख अगर धार्मिक तौर पर कुछ गलत करता है तो उसे तनखैया करार दिया जाता है। इसका फैसला सिखों का सर्वोच्च तख्त अकाल तख्त साहिब से किया जाता है। तनखैया घोषित होने के बाद संबंधित व्यक्ति सिख संगत के सामने हाजिर होकर अपनी गलती के लिए क्षमा मांग सकता है। इसके अलावा श्री गुरू ग्रंथ साहिब की हाजिरी में उसके गुनाह की समीक्षा की जाती है। फिर उसी हिसाब से दंड तय किया जाता है। तनखैया की सजा मिलने पर ऐसे व्यक्ति से न तो कोई सिख संपर्क रखता है और न ही कोई संबंध। इनके यहां शादी जैसे कार्यक्रमों में भी कोई सिख आता-जाता नहीं है। अकाली दल के बागी गुट ने सौंपा था माफीनामा अकाली दल का बागी गुट 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचा था। इस दौरान जत्थेदार को माफ़ीनामा सौंपा गया था, जिसमें सुखबीर बादल से हुई 4 गलतियों में सहयोग देने पर माफी मांगी गई। 1. डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत वापस ली गई थी 2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम ने 10वें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया।

Nov 6, 2024 - 10:15
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सुखबीर बादल के भविष्य पर विचार आज:अकाल तख्त जत्थेदार ने बुद्धिजीवियों की बैठक बुलाई; तनखैया घोषित हो चुके अकाली दल प्रधान
पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रधान सुखबीर सिंह बादल के धार्मिक और राजनीतिक भविष्य पर आज विचार होगा। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने अकाल तख्त कार्यालय में बैठक बुलाई है। इसमें सिख विद्वानों और बुद्धिजीवियों के साथ सुखबीर बादल की सजा पर चर्चा होगी। अकाल तख्त पहले ही सुखबीर बादल को तनखैया घोषित कर चुका है। आज होने वाली बैठक में सुखबीर की धार्मिक सजा पर विचार किया जाएगा। मीटिंग में 18 सिख विद्वान और बुद्धिजीवी भाग लेंगे। इनमें अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार मंजीत सिंह, पंजाबी यूनिवर्सिटी के पूर्व VC जसपाल सिंह, इंद्रजीत सिंह गोगोआनी, अमरजीत सिंह, हरसिमरन सिंह, जसपाल सिंह सिद्धू और हमीर सिंह शामिल हैं। कुछ वरिष्ठ पत्रकार भी मीटिंग में बुलाए गए हैं। सुखबीर की सजा पेंडिंग अकाली दल में सुखबीर बादल के विरोधी गुट के नेताओं ने वर्ष 2007 से 2017 के बीच अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान लिए गए कुछ धार्मिक फैसलों पर सवाल उठाए थे। उनका दावा था कि यह फैसले सिख धर्म के खिलाफ रहे। इस मुद्दे पर चर्चा के बाद अकाल तख्त ने 30 अगस्त 2024 को सुखबीर बादल को तनखैया घोषित कर दिया था। उनकी सजा पर फैसला अभी पेंडिंग है। क्या सजा मिल सकती है? अकाल तख्त के दिशा-निर्देशों के तहत, सिख कौम के तनखैया घोषित किसी शख्स को अक्सर गुरुद्वारों में सेवा करने जैसे काम सौंपे जाते हैं। मसलन जूते या फर्श साफ करना। बर्तन साफ करने की सेवा करना। आज की बैठक में इस बात पर विचार किया जाएगा कि सुखबीर बादल को किस तरह की धार्मिक सजा दी जा सकती है। आज की बैठक के बाद सिख पंथ के पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक होगी, जिसमें सुखबीर बादल को भी बुलाया जा सकता है। क्या होता है तनखैया सिख पंथ के अनुसार कोई भी सिख अगर धार्मिक तौर पर कुछ गलत करता है तो उसे तनखैया करार दिया जाता है। इसका फैसला सिखों का सर्वोच्च तख्त अकाल तख्त साहिब से किया जाता है। तनखैया घोषित होने के बाद संबंधित व्यक्ति सिख संगत के सामने हाजिर होकर अपनी गलती के लिए क्षमा मांग सकता है। इसके अलावा श्री गुरू ग्रंथ साहिब की हाजिरी में उसके गुनाह की समीक्षा की जाती है। फिर उसी हिसाब से दंड तय किया जाता है। तनखैया की सजा मिलने पर ऐसे व्यक्ति से न तो कोई सिख संपर्क रखता है और न ही कोई संबंध। इनके यहां शादी जैसे कार्यक्रमों में भी कोई सिख आता-जाता नहीं है। अकाली दल के बागी गुट ने सौंपा था माफीनामा अकाली दल का बागी गुट 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचा था। इस दौरान जत्थेदार को माफ़ीनामा सौंपा गया था, जिसमें सुखबीर बादल से हुई 4 गलतियों में सहयोग देने पर माफी मांगी गई। 1. डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत वापस ली गई थी 2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम ने 10वें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया।

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