13 घंटे में दिल्ली की हवा जहरीली हुई:दीपावली की शाम AQI 186 था, देर रात 400 के पार पहुंचा; बैन के बावजूद आतिशबाजी हुई

राजधानी दिल्ली की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई है। दीपावली के दिन (31 अक्टूबर) शाम 5 बजे रियल टाइम एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 186 रिकॉर्ड किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह देर रात 400 के पार चला गया। 1 नवबंर को सुबह दिल्ली AQI 391 दर्ज किया गया। महज 13 घंटे में दिल्ली की हवा सामान्य कैटेगिरी से बहुत खराब कैटेगिरी में चले गई। दिवाली से पहले दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रण में रखने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने 1 जनवरी 2025 तक पटाखों को बैन कर दिया था। सरकार के आदेश के मुताबिक पटाखे बनाने, उन्हें स्टोर करने, बेचने और इस्तेमाल पर बैन है। इतना ही नहीं पटाखों की ऑनलाइन डिलीवरी भी प्रतिबंधित की गई थी। पंजाब में केवल ग्रीन पटाखे फोड़ने की परमिशन पंजाब सरकार ने करीब 15 दिन पहले कहा था कि दिवाली, गुरुपर्व, क्रिसमस और नए साल के जश्न के दौरान केवल ग्रीन पटाखे फोड़ने की परमिशन दी जाएगी। ग्रीन पटाखे, जो बेरियम लवण या एंटीमनी, लिथियम, पारा, आर्सेनिक, सीसा या स्ट्रोंटियम क्रोमेट के कम्पाउंड्स से मुक्त हैं। केवल उनके इस्तेमाल की परमिशन है। दिल्ली में 14 अक्टूबर को ग्रैप-1 लागू किया गया था दिल्ली का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 200 पार होने के बाद 14 अक्टूबर को दिल्ली NCR में ग्रैप-1 लागू कर दिया गया था। इसके तहत होटलों और रेस्तरां में कोयला और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर बैन है। कमीशन ऑफ एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट ने एजेंसियों को पुराने पेट्रोल और डीजल गाड़ियों (बीएस -III पेट्रोल और बीएस-IV डीजल) के संचालन पर सख्त निगरानी के आदेश दिए हैं। आयोग ने एजेंसियों से सड़क बनाने, रेनोवेशन प्रोजेक्ट और मेन्टेनेन्स एक्टिविटीज में एंटी-स्मॉग गन, पानी का छिड़काव और डस्ट रिपीलेंट तकनीकों के उपयोग को बढ़ाने के लिए भी कहा है। ​​​​​​AQI क्या है और इसका हाई लेवल खतरा क्यों AQI एक तरह का थर्मामीटर है। बस ये तापमान की जगह प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) , PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है। हवा में पोल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा। और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे तो 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है।

Nov 1, 2024 - 06:50
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13 घंटे में दिल्ली की हवा जहरीली हुई:दीपावली की शाम AQI 186 था, देर रात 400 के पार पहुंचा; बैन के बावजूद आतिशबाजी हुई
राजधानी दिल्ली की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई है। दीपावली के दिन (31 अक्टूबर) शाम 5 बजे रियल टाइम एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 186 रिकॉर्ड किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह देर रात 400 के पार चला गया। 1 नवबंर को सुबह दिल्ली AQI 391 दर्ज किया गया। महज 13 घंटे में दिल्ली की हवा सामान्य कैटेगिरी से बहुत खराब कैटेगिरी में चले गई। दिवाली से पहले दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रण में रखने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने 1 जनवरी 2025 तक पटाखों को बैन कर दिया था। सरकार के आदेश के मुताबिक पटाखे बनाने, उन्हें स्टोर करने, बेचने और इस्तेमाल पर बैन है। इतना ही नहीं पटाखों की ऑनलाइन डिलीवरी भी प्रतिबंधित की गई थी। पंजाब में केवल ग्रीन पटाखे फोड़ने की परमिशन पंजाब सरकार ने करीब 15 दिन पहले कहा था कि दिवाली, गुरुपर्व, क्रिसमस और नए साल के जश्न के दौरान केवल ग्रीन पटाखे फोड़ने की परमिशन दी जाएगी। ग्रीन पटाखे, जो बेरियम लवण या एंटीमनी, लिथियम, पारा, आर्सेनिक, सीसा या स्ट्रोंटियम क्रोमेट के कम्पाउंड्स से मुक्त हैं। केवल उनके इस्तेमाल की परमिशन है। दिल्ली में 14 अक्टूबर को ग्रैप-1 लागू किया गया था दिल्ली का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 200 पार होने के बाद 14 अक्टूबर को दिल्ली NCR में ग्रैप-1 लागू कर दिया गया था। इसके तहत होटलों और रेस्तरां में कोयला और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर बैन है। कमीशन ऑफ एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट ने एजेंसियों को पुराने पेट्रोल और डीजल गाड़ियों (बीएस -III पेट्रोल और बीएस-IV डीजल) के संचालन पर सख्त निगरानी के आदेश दिए हैं। आयोग ने एजेंसियों से सड़क बनाने, रेनोवेशन प्रोजेक्ट और मेन्टेनेन्स एक्टिविटीज में एंटी-स्मॉग गन, पानी का छिड़काव और डस्ट रिपीलेंट तकनीकों के उपयोग को बढ़ाने के लिए भी कहा है। ​​​​​​AQI क्या है और इसका हाई लेवल खतरा क्यों AQI एक तरह का थर्मामीटर है। बस ये तापमान की जगह प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) , PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है। हवा में पोल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा। और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे तो 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है।

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