2025 में देश की जनसंख्या 146 करोड़ होने की संभावना:राष्ट्रीय जनगणना अगले साल शुरू होकर 2026 की शुरुआत में खत्म होगी

साल 2025 में भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 0.9% रहेगी। 2025 में भारत की जनसंख्या 146 करोड़ होने की संभावना है। संयुक्त राष्ट्र सोशल-इकोनॉमिक एजेंसी UNDESA ने अप्रैल 2023 में भारत की आबादी चीन के बराबर 142 करोड़ होने या इससे ज्यादा होने का अनुमान जताया था। UNDESA के मुताबिक भारत में 2035 तक उत्पादकता में इजाफा होगा। इसका कारण है कि गैरकामकाजी आबादी (15 साल से कम और 64 से अधिक) की कामकाजी आबादी (15 से 64 साल) पर निर्भरता अगले 11 साल तक लगातार घटने के आसार हैं। नेशनल सेंसस यानी राष्ट्रीय जनगणना अगले साल 2025 से शुरू होगी। इसके 2026 के शुरुआती महीने में खत्म होने की उम्मीद है। हर दस साल में होने वाली जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन काेराेना के कारण ये टलती रही। लेकिन अब जनगणना को हरी झंडी मिल गई है। जनगणना 2025 के आंकड़ों से कई नए जानकारियां सामने आएंगी। 2021 में जनगणना नहीं होने के कारण संयुक्त राष्ट्र, वर्ल्ड बैंक और अन्य एजेंसियों के डेटा से जनगणना के फाइनल डेटा का मिलान करना भी दिलचस्प होगा। भारत की 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, देश की जनसंख्या 121 करोड़ से ज्यादा थी। 2062 के बाद आबादी में गिरावट का दौर शुरू होगा एक अनुमान के मुताबिक 2062 के बाद भारत की आबादी में गिरावट का दौर शुरू हो जाएगा। सरकारी डेटा के मुताबिक देश में सालाना जनसंख्या वृद्धि दर 2011 में 1.64% थी, ये आजादी के बाद सबसे कम थी, केवल 1951 में ये दर 1.25% थी, क्योंकि तब मृत्यु दर में बहुत अधिक तेजी दर्ज की गई थी। ऑनलाइन खुद भी भर सकेंगे जानकारी इस बार डोर टू डोर जनगणना के अलावा लोगों को ऑनलाइन जनगणना फॉर्म भरकर खुद सारी डिटेल भरने का ऑप्शन मिलेगा। इसके लिए, जनगणना प्राधिकरण ने एक स्व-गणना पोर्टल तैयार किया है। स्व-गणना के दौरान प्रत्येक व्यक्ति को आधार नंबर और मोबाइल नंबर को इस पोर्टल पर अनिवार्य रूप से भरना होगा। जनगणना जल्दी पूरी करने के 2 बड़े कारण पहला: साल 2026 में गठित होने वाले डिलिमिटेशन कमिशन के आधार पर लोकसभा और विधानसभा सीटों का नए सिरे से सीमांकन होना है। 2026 तक लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभाओं के निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या पर फ्रीज लगा था। आबादी के नए आंकड़ों के हिसाब से इन निर्वाचन क्षेत्रों का नए सिरे से सीमांकन होगा। संसद की सीटों की संख्या भी बढ़ेगी। दूसरा: इन बढ़ी सीटों के हिसाब से महिलाओं के लिए लोकसभा व विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें आरक्षित की जाएंगी। इसके लिए ऐतिहािसक िवधेयक सितंबर 23 में पारित किया जा चुका है। अगली जनगणना 2035 में होगी 2025 की जनगणना से नया सेंसस चक्र शुरू होगा। 2025 के बाद 2035 और 2045 में जनगणना होगी। 1881 से हर दस साल बाद होने वाली जनगणना 2021 में होनी थी, जो 3 साल की देरी से शुरू होगी। पूरी कवायद 2 से ढाई साल में पूरी होगी। ऐसे में इस डेटा को 2031 तक सीमित रखना तार्किक नहीं होगा। इस बार की जनगणना डिजिटल होगी और सेल्फ इन्यूमिरेशन ऐप का सहारा भी लिया जाएगा। जनगणना की जो कवायद 3 साल में फैली होती है, उसे 18-24 महीनों में पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। (इनपुट- यश कुमार सिंघल)

Nov 3, 2024 - 04:00
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2025 में देश की जनसंख्या 146 करोड़ होने की संभावना:राष्ट्रीय जनगणना अगले साल शुरू होकर 2026 की शुरुआत में खत्म होगी
साल 2025 में भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 0.9% रहेगी। 2025 में भारत की जनसंख्या 146 करोड़ होने की संभावना है। संयुक्त राष्ट्र सोशल-इकोनॉमिक एजेंसी UNDESA ने अप्रैल 2023 में भारत की आबादी चीन के बराबर 142 करोड़ होने या इससे ज्यादा होने का अनुमान जताया था। UNDESA के मुताबिक भारत में 2035 तक उत्पादकता में इजाफा होगा। इसका कारण है कि गैरकामकाजी आबादी (15 साल से कम और 64 से अधिक) की कामकाजी आबादी (15 से 64 साल) पर निर्भरता अगले 11 साल तक लगातार घटने के आसार हैं। नेशनल सेंसस यानी राष्ट्रीय जनगणना अगले साल 2025 से शुरू होगी। इसके 2026 के शुरुआती महीने में खत्म होने की उम्मीद है। हर दस साल में होने वाली जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन काेराेना के कारण ये टलती रही। लेकिन अब जनगणना को हरी झंडी मिल गई है। जनगणना 2025 के आंकड़ों से कई नए जानकारियां सामने आएंगी। 2021 में जनगणना नहीं होने के कारण संयुक्त राष्ट्र, वर्ल्ड बैंक और अन्य एजेंसियों के डेटा से जनगणना के फाइनल डेटा का मिलान करना भी दिलचस्प होगा। भारत की 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, देश की जनसंख्या 121 करोड़ से ज्यादा थी। 2062 के बाद आबादी में गिरावट का दौर शुरू होगा एक अनुमान के मुताबिक 2062 के बाद भारत की आबादी में गिरावट का दौर शुरू हो जाएगा। सरकारी डेटा के मुताबिक देश में सालाना जनसंख्या वृद्धि दर 2011 में 1.64% थी, ये आजादी के बाद सबसे कम थी, केवल 1951 में ये दर 1.25% थी, क्योंकि तब मृत्यु दर में बहुत अधिक तेजी दर्ज की गई थी। ऑनलाइन खुद भी भर सकेंगे जानकारी इस बार डोर टू डोर जनगणना के अलावा लोगों को ऑनलाइन जनगणना फॉर्म भरकर खुद सारी डिटेल भरने का ऑप्शन मिलेगा। इसके लिए, जनगणना प्राधिकरण ने एक स्व-गणना पोर्टल तैयार किया है। स्व-गणना के दौरान प्रत्येक व्यक्ति को आधार नंबर और मोबाइल नंबर को इस पोर्टल पर अनिवार्य रूप से भरना होगा। जनगणना जल्दी पूरी करने के 2 बड़े कारण पहला: साल 2026 में गठित होने वाले डिलिमिटेशन कमिशन के आधार पर लोकसभा और विधानसभा सीटों का नए सिरे से सीमांकन होना है। 2026 तक लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभाओं के निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या पर फ्रीज लगा था। आबादी के नए आंकड़ों के हिसाब से इन निर्वाचन क्षेत्रों का नए सिरे से सीमांकन होगा। संसद की सीटों की संख्या भी बढ़ेगी। दूसरा: इन बढ़ी सीटों के हिसाब से महिलाओं के लिए लोकसभा व विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें आरक्षित की जाएंगी। इसके लिए ऐतिहािसक िवधेयक सितंबर 23 में पारित किया जा चुका है। अगली जनगणना 2035 में होगी 2025 की जनगणना से नया सेंसस चक्र शुरू होगा। 2025 के बाद 2035 और 2045 में जनगणना होगी। 1881 से हर दस साल बाद होने वाली जनगणना 2021 में होनी थी, जो 3 साल की देरी से शुरू होगी। पूरी कवायद 2 से ढाई साल में पूरी होगी। ऐसे में इस डेटा को 2031 तक सीमित रखना तार्किक नहीं होगा। इस बार की जनगणना डिजिटल होगी और सेल्फ इन्यूमिरेशन ऐप का सहारा भी लिया जाएगा। जनगणना की जो कवायद 3 साल में फैली होती है, उसे 18-24 महीनों में पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। (इनपुट- यश कुमार सिंघल)

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