49 फीसदी मतदान, भाजपा के लिए नुकसान या फायदेमंद:सीसामऊ सीट पर सपा-भाजपा में हुई सीधी टक्कर; बसपा नहीं बना सकी त्रिकोणीय मुकाबला
प्रदेश में 9 सीटों पर हुए उपचुनाव में सबसे हॉट सीट सीसामऊ पर 49.13 फीसदी मतदान हुआ। हालांकि फाइनल अपडेट के साथ इसमें 1 से 3 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है। लेकिन करीब 50 फीसदी मतदान होने से भाजपा नेताओं के माथे पर सिकन आ गई है। इस सीट पर पुराने मतदान के आंकड़ों पर नजर डाले तो 50 फीसदी से ज्यादा मतदान भाजपा के लिए नुकसानदायक ही साबित हुआ है। पहले बात बीते चुनावों में पर मतदान प्रतिशत की वर्ष-2012 में परिसीमन के बाद सीसामऊ सीट बनी। इस पर 2012 में हुए मतदान में 51.95 फीसदी वोट पड़े। इस चुनाव में भाजपा को हार और सपा को जीत हासिल हुई। ऐसा ही मुकाबला भाजपा और सपा के बीच 2017 में 56.65 और 2022 में 56.85 प्रतिशत मत सपा को हासिल हुए और भाजपा को फिर हार का सामना करना पड़ा। परिसीमन से पहले सीसामऊ सीट पर 2007 में सबसे कम 34.73 फीसदी वोट पड़े थे। इस चुनाव में कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी। बता दें कि सीसामऊ सीट पर इस बार भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर हुई है। हालांकि समाजवादी पार्टी ने लगातार पुलिस और प्रशासन पर मुस्लिम मतदाताओं को मतदान न करने के आरोप लगाए। बसपा त्रिकोणीय मुकाबला बनाने में नाकाम सीसामऊ उपचुनाव में मतदान के बाद यह स्पष्ट हो गया कि भाजपा और सपा के बीच सीधी और करीबी टक्कर हुई है, जबकि बसपा को कोई खास सफलता नहीं मिली। बसपा ने इस चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला बनाने की कोशिश की, लेकिन वह अपेक्षित स्तर पर वोट नहीं जुटा सकी और चुनावी मैदान से बाहर रही। इनकी जमानत भी जब्त हो सकती है। मुस्लिम क्षेत्रों में सपा रही मजबूत मुस्लिम इलाकों में सपा की साइकिल तेजी से दौड़ी, जबकि भाजपा ने हिंदू बाहुल्य क्षेत्रों में अपनी मजबूत पकड़ बनाई। दलित क्षेत्रों में भी बसपा का कोई खास असर नहीं दिखा। भाजपा और सपा के शीर्ष नेताओं ने अपनी-अपनी रणनीतियां इस चुनाव में पेश कीं और दोनों दलों के प्रमुख नेताओं ने विधानसभा क्षेत्र के आसपास डेरा डाले रखा। मतदान प्रतिशत बढ़ना, सपा के लिए इसलिए फायदेमंद... 1. सीसामऊ सीट पर मतदान प्रतिशत बढ़ने का सीधा मतलब होता है कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में जमकर मतदान हुआ और ऐसा देखा भी गया। इससे सीधे तौर पर भाजपा को नुकसान होगा। 2. सुबह 7 से 9 बजे तक पुलिस की सख्ती से कम मतदान हुआ। लेकिन मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में 9 बजे के बाद धड़ल्ले से मुस्लिम मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग बिना डरे किया। 3. भाजपा के कटोगे और बटोगे जैसे बयानों से मुस्लिम मतदाता सपा के लिए एकजुट हुआ। वहीं सपा को हिंदू मतदाताओं ने भी मतदान किया। जबकि भाजपा सिर्फ हिंदू वोटर्स के सहारे रही। 4. हिंदू बाहुल्य क्षेत्रों में भाजपा ने अपने मतदाताओं को घरों से निकालने में कामयाब तो रहे, लेकिन मुस्लिम मतदाताओं के मुकाबले खुद से हिंदू वोटर वोट डालने बूथों तक नहीं पहुंचा। अब पूरे दिन हुए मतदान का टेंड समझिये... सीसामऊ विधानसभा में उपचुनाव को वोटरों में उत्साह तो था, लेकिन यह सुबह सात से नौ बजे के बीच नहीं दिखाई दिया। इस दो घंटे में सिर्फ 5.73 प्रतिशत ही मतदाता अपने घरों से निकल कर बूथों तक पहुंचे। हालांकि इसके बाद बूथों पर लाइन लगना शुरू हुई और तेजी से मतदान प्रतिशत बढ़ने लगा। 2 घंटे पोलिंग बूथों पर दिखा असर सुबह की ठंड ने इधर तीन-चार दिन से तेजी पकड़ी है। इसका ही असर सुबह दो घंटे की पोलिंग पर दिखा। उसके बाद मतदाता घरों से निकले और तेजी से मतदान प्रतिशत बढ़ने लगा। अगले दो घंटे में कुल मतदान 10 प्रतिशत से ऊपर रहा। 11 बजे तक कुल मतदान प्रतिशत15.91 पहुंच गया। 11 बजे के बाद वोटरों की बूथों पर लाइन लगनी शुरू हुई। 3 बजे तक बरकरार रही बूथों पर लाइन एक बजे मतदान प्रतिशत 28.53 पहुंच गया। मतदाताओं की लाइन तीन बजे तक बरकरार रही। जोश के साथ वोटर बूथों पर पहुंचे और तीन बजे मतदान प्रतिशत 40.29 रहा। इसके बाद तीन से पांच बजे के बीच करीब 9 प्रतिशत मतदान और हो पाया। पांच बजे तक कुल 49.13 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। सुबह 7 से शाम 5 बजे तक का मतदान प्रतिशत समय- मतदान प्रतिशत 7-9- 05.73 9-11- 15.91 11-1- 28.53 1-3- 40.29 3-5- 49.13 पार्टी प्रत्याशी जीत के दावे के साथ मतदान समाप्त होने के बाद भाजपा, सपा और बसपा के प्रत्याशियों ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया। सभी ने अपने-अपने बूथों और क्षेत्रों में मिले वोटों के आधार पर अपनी जीत की संभावना जताई। भाजपा और सपा के प्रत्याशियों ने जीत की रणनीति पर चर्चा करते हुए कहा कि वे अपनी-अपनी पार्टी के लिए जीत सुनिश्चित कर रहे हैं। 28 साल बाद क्या भाजपा तोड़ पाएगी सपा का गढ़? इस उपचुनाव में भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर अपने कद्दावर मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को मैदान में उतारा, जबकि सपा ने भी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, डिंपल यादव, शिवपाल यादव समेत दिग्गजों को चुनावी रणनीति बनाने के लिए लगाया। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या भाजपा 28 साल बाद इस सीट पर अपनी जीत दर्ज करेगी, या सपा अपनी साख बचाए रखने में सफल रहेगी। मतदान परिणामों का इंतजार किया जा रहा है, जो इस मुकाबले की तस्वीर को स्पष्ट करेगा।
What's Your Reaction?