800 करोड़ की लागत से राम मंदिर के परकोटे का:मंदिर के निर्माण में लग रहा 600 करोड़ रुपए, 20 नवंबर से शुरू होगा सभागार का निर्माण
अयोध्या राम मंदिर का निर्माण चल रहा है। राम मंदिर के साथ परकोटे का निर्माण भी चल रहा है। दो दिनों तक चली निर्माण समिति की बैठक में विभिन्न विकास कार्यों को लेकर चर्चा हुई। कई फैसले भी लिए गए। जिसमें सभागार, विश्राम गृह और ट्रस्ट का प्रशासनिक कार्यालय का निर्माण 20 नवंबर से होना प्रस्तावित हुआ है। सबसे खास बात है कि मंदिर के निर्माण से अधिक परकोटे के निर्माण में लागत आ रही है। मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया “राम मंदिर की भव्यता में परकोटा का निर्माण अब सबसे बड़ी चुनौती है। जिसमें मंदिर से भी अधिक पत्थरों का उपयोग किया जा रहा है। मंदिर निर्माण में सबसे ज्यादा खर्च परकोटे के निर्माण में आ रहा है, जहाँ मंदिर के निर्माण में लगभग 600 करोड़ रुपए लग रहे हैं, तो परकोटे में 800 करोड़ रुपए की लागत आ रही है। यह भी माना गया कि परकोटे का निर्माण सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है और सबसे ज्यादा कार्य है।” मंदिर परिसर में बन रहे सप्त मंदिर की भी समीक्षा अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र कहा “बैठक के दौरान राम मंदिर परिसर में बन रहे सप्त मंदिर की भी समीक्षा की गई है। शेषावतार मंदिर के भी निर्माण की समीक्षा की गई है। परिसर में बन रहे सभागार, विश्राम गृह और ट्रस्ट का प्रशासनिक कार्यालय इन सभी का टेंडर जारी हो चुका है। इन सभी का निर्माण 20 नवंबर से शुरू हो जाएगा। निर्माण में जो भी तकनीकी चुनौती थी, उसको पूर्ण किया गया है, राम मंदिर निर्माण पूर्ण करने का जो लक्ष्य रखा गया था उसमें तीन माह और लग रहे हैं यानी कि सितंबर 2025 तक राम मंदिर का निर्माण पूरा होगा। दो अन्य विग्रहों को लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र मंथन कर रहा राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के दो अन्य विग्रहों को लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र मंथन कर रहा है कि उन दोनों विग्रहों को किस उचित स्थान पर प्रतिष्ठित किया जाए। इस विषय में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज सर्वसम्मति से फैसला करेंगे। बोर्ड आफ ट्रस्टीज की बैठक इसी नवम्बर माह के 25 तारीख को मणिराम छावनी में महंत नृत्यगोपाल दास की अध्यक्षता में प्रस्तावित है। दो अन्य मूर्तियों की भी होगी स्थापना प्राण-प्रतिष्ठा से पहले तीन अलग-अलग मूर्तिकारों से अलग-अलग विग्रहों का निर्माण अलग-अलग शिला से बनवाया गया था। इनमें कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई मूर्ति का चयन कर लिया गया और 22 जनवरी 2024 को उनकी प्राण-प्रतिष्ठा भी हो गयी । उधर श्याम वर्ण के पाषाण खंड से प्रो.गणेश भट्ट व मकराना मार्बल की शिला से जयपुर के प्रसिद्ध मूर्तिकार सत्यनारायण पाण्डेय की बनाई गयी दो अन्य मूर्तियों का मामला अधर में अटका है। इन दोनों विग्रहों को तीर्थ क्षेत्र ने सुरक्षित रूप से रखवाया है। उम्मीद है कि सम्पूर्ण राम मंदिर निर्माण के बाद इन दोनों विग्रहों को भी राम मंदिर परिसर में नियत स्थान पर प्रतिष्ठित किया जाएगा। इस बारे में भवन-निर्माण समिति चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि इस विषय में निर्णय लेने के लिए बोर्ड ही अधिकृत है। तांबे के पेंटिंग के दस पीस का ट्रायल शुरू परकोटा में तांबे के प्लेट पर प्रस्तावित रामायण प्रसंगों की म्यूरल पेंटिंग के दस पीस आ गये है। इनमें से एक पेंटिंग को लगाकर उसका ट्रायल किया गया। राम दरबार समेत मूर्तियों के प्रतिष्ठा पर भी लेंगे फैसला भवन-निर्माण समिति चेयरमैन मिश्र का यह भी कहना है कि राम मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार के अलावा सप्त मंडपम व परकोटे में निर्माणाधीन मंदिरों के मूर्तियों का निर्माण दिसम्बर 2024 तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद मंदिरों में किस प्राथमिकता में और किस प्रकार मूर्तियों की प्रतिष्ठा होगी, इस बारे में भी बोर्ड ही फैसला करेगा। उन्होंने कहा कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का बड़ा उत्सव हो चुका है जबकि शेष मंदिरों की मूर्तियों की प्रतिष्ठा के लिए किस प्रकार का आयोजन होगा, इसका भी बोर्ड में निर्णय होगा। उन्होंने बताया कि रामलला के दर्शनार्थियों को परिसर में निर्माणाधीन दर्शनीय स्थलों पर भ्रमण कराने के दृष्टिगत यात्री सुविधा के लिए दस हजार शू स्टैंड का निर्माण इसी सप्ताह कर दिया जाएगा।
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