DRDO की नई रणनीति: भविष्य की युद्ध में रोबोट सैनिकों और AI हथियारों का विकास

नई दिल्ली : भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) तेजी से उन्नत तकनीकों पर काम कर रही है। रोबोटिक सिस्टम, स्वचालित उपकरण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI ) आधारित प्रणालियों का विकास सैनिकों की सुरक्षा बढ़ाने, खतरनाक परिस्थितियों में नुकसान न्यूनतम करने और युद्धक्षेत्र में बेहतर निर्णय क्षमता हासिल करने के उद्देश्य से हो …

Sep 30, 2025 - 18:27
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DRDO की नई रणनीति: भविष्य की युद्ध में रोबोट सैनिकों और AI हथियारों का विकास
नई दिल्ली : भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) तेजी से उन्नत तकनीकों पर काम कर रही है। रोबोट

DRDO की नई रणनीति: भविष्य की युद्ध में रोबोट सैनिकों और AI हथियारों का विकास

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कम शब्दों में कहें तो, भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने रोबोटिक्स और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में क्रांतिकारी प्रगति की है, जो भविष्य की जंग में सैनिकों की सुरक्षा और कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित होगी।

नई दिल्ली : भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) तेजी से उन्नत तकनीकों पर काम कर रही है। रोबोटिक सिस्टम, स्वचालित उपकरण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित प्रणालियों का विकास सैनिकों की सुरक्षा बढ़ाने, खतरनाक परिस्थितियों में नुकसान न्यूनतम करने और युद्धक्षेत्र में बेहतर निर्णय क्षमता हासिल करने के उद्देश्य से हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, ये तकनीकें दुश्मन देशों से निपटने की तैयारी में मील का पत्थर साबित होंगी।

ह्यूमनोइड रोबोट की प्रगति

DRDO के पुणे स्थित रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट (इंजीनियर्स) ने एक ह्यूमनोइड रोबोट विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यह रोबोट खतरनाक मिशनों में सैनिकों को जोखिम से बचाने के लिए डिजाइन किया जा रहा है। इसके ऊपरी और निचले हिस्सों के प्रोटोटाइप पहले ही तैयार हो चुके हैं। यह रोबोट खतरनाक वस्तुओं को संभालने, अवरोधों को हटाने और दरवाजे खोलने-बंद करने जैसे कार्य कर सकेगा। यह दिन-रात दोनों स्थितियों में कार्य करने में सक्षम होगा।

AI-आधारित हथियार सिस्टम

DRDO और अन्य भारतीय संस्थाओं द्वारा विकसित हो रही एआई-आधारित हथियार प्रणालियां युद्ध के परिदृश्य को बदलने वाली हैं। इनमें प्रमुख हैं:

  • गन ऑन ड्रोन: DRDO ने ऐसी ड्रोन प्रणाली विकसित की है, जिसमें ड्रोन पर लगी बंदूक लक्ष्यों की पहचान कर कमांड सेंटर से मिले आदेश पर निशाना साध सकती है।
  • एक्सोस्केलेटन सूट: यह शक्ति-वर्धक पोशाक सैनिकों की थकान कम करेगी और उनकी कार्य अवधि बढ़ाएगी। यह वर्तमान में विकास के चरण में है।
  • सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (सीएआईआर) के प्रोजेक्ट्स: इसमें इंटेलिजेंट अनमैन्ड सिस्टम्स, कंप्यूटर विजन, पाथ-प्लानिंग, स्लैम (सिमुल्टेनिअस लोकलाइजेशन एंड मैपिंग), टैक्टिकल सेंसर नेटवर्क और स्वार्म रोबोटिक सिस्टम शामिल हैं।
  • दक्ष: यह बम निष्क्रिय करने वाला रोबोट है, जो खतरनाक वस्तुओं की पहचान कर उन्हें सुरक्षित रूप से निष्क्रिय करता है।

प्रौद्योगिकी की उपलब्धि और समय सीमा

ह्यूमनोइड रोबोट प्रोजेक्ट का लक्ष्य 2027 तक महत्वपूर्ण परीक्षण और विकास पूरा करना है। हालांकि, तकनीकी चुनौतियां, विश्वसनीयता, नियंत्रण प्रणाली और नैतिक-कानूनी दिशा-निर्देशों के कारण सेना में शामिल होने में और समय लग सकता है। अन्य एआई प्रणालियां भी क्रमिक परीक्षण के बाद ही परिचालन में आएंगी।

सैनिकों की सुरक्षा से लेकर सीमा सुरक्षा तक

ये तकनीकें सैनिकों को सीधे खतरे से बचाएंगी। आतंकवाद विरोधी अभियानों, बम निष्क्रियण, खतरनाक इलाकों में गश्त ऐसे कार्यों में ये तकनीकें उपयोगी साबित होंगी। मनुष्यों की जान जोखिम में डाले बिना मिशन पूरे किए जा सकेंगे। एआई-सेंसर और स्वचालित लक्ष्य पहचान से निगरानी, गश्त और सीमा सुरक्षा जैसे दैनिक कार्यों में दक्षता बढ़ेगी। इस तरह, युद्धक्षेत्र में भारत को मजबूत बढ़त मिलेगी। इससे समाज के लिए भी मानव जीवन की रक्षा सुनिश्चित होगी।

जोखिम और चिंताएं

इन तकनीकों के साथ चुनौतियां भी जुड़ी हैं। एआई गलत जानकारी दे सकता है या सेंसर/डेटा फ्यूजन में त्रुटियां हो सकती हैं। मानव नियंत्रण का स्तर, गलतियों की जिम्मेदारी और नैतिक मुद्दे प्रमुख चिंताएं हैं। इसके अलावा, उच्च लागत, प्रशिक्षण, मरम्मत और डेटा संचालन जैसी व्यावसायिक कठिनाइयां भी हैं। डीआरडीओ इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए निरंतर शोध कर रही है।

भारत का आत्मनिर्भर भविष्य

डीआरडीओ के ये प्रयास भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ये तकनीकें न केवल सैन्य क्षमता बढ़ाएंगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की तकनीकी पहचान को भी मजबूत करेंगी। अधिक अपडेट के लिए यहाँ क्लिक करें.

Team India Twoday

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