BHU में आज से एडनेट की हुई शुरूआत:12 देशों से पहुंच रहे ख्यात जेनेटिक एक्सपर्ट, 72 रिसर्च पेपर होंगे प्रस्तुत

बायोक्लूज़ और एडनट संगठनों के संयुक्त तत्त्वाधान में आज तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन शुभारम्भ हुआ. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महामना हॉल में इस उद्घाटन समारोह एवं आज के मुख्य वक्ताओं का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ विज्ञान संस्थान, संकाय प्रमुख प्रो. एस. एम. सिंह, और विभागाध्यक्ष अरविंद आचार्य की उपस्थिति में हुआ। समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण के साथ हुई, इसके बाद कुलगीत प्रस्तुत किया गया। हड़प्पा सभ्यता की खोज के 100 वर्ष को समर्पित है एडनट हड़प्पा सभ्यता की खोज के 100 वर्ष पूरे कर चुके महत्त्वपूर्ण उपलब्धि को समर्पित इस संगोष्ठी के कार्यक्रम में बायोक्लूज के संस्थापक डॉ प्रशांत एन सुरवझाला और ऐडनेट के अध्यक्ष प्रो.सतीश कुमार ने अपनी-अपनी संस्थाओं की शोध के क्षेत्र में भूमिका पर उद्घाटन भाषण दिया। डॉ सुरझवाला ने अपने वक्तव्य में अपनी संस्था के 20 वर्ष की भुमिका के बारे में बताया। ये संस्था शोधार्थीयों को शोध पत्र लिखने और प्रकाशन का मार्गदर्शन करती है और विज्ञान के क्षेत्र में नवीन आयाम जोड़ रही है। प्रो सतीश ने बताया कि एटनट 30 वर्ष से भी ज्यादा समय से विज्ञान के क्षेत्र में DNA शोध कार्य कर रही है। IPS जी के गोस्वामी ने 1998 के धमाकों को किया याद फॉरेंसिक साइंस संस्थान, उत्तर प्रदेश के निदेशक डॉ जी के गोस्वामी सेवानिवृत IPS ने अपने समय के उन यादों को बताया जब वो यहाँ SP वाराणसी थे जब वाराणसी तब 1998 के धमाकों में हुये तबाही को देखा, आतंकियों को मारा और उन यादों की विशद चर्चा की। विज्ञान में नौकरी की संभावनाएं, कैसे कानून के कई कार्यों में विज्ञान का प्रयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे शोध का कोई अर्थ नहीं जिसमें समाज को सीधा कोई लाभ नहीं, उन्होने शोधार्थीयों को ये सलाह दिया। विज्ञान के सही, सटिक एवं समाज में उपयोग पर इन्होने जोर दिया। न्याय एवं दण्ड में विज्ञान के महत्त्व को दर्शाते हुये उदाहरण दिये। सर्वे आफ इंडिया के योगदान को बताया विशिष्ट अतिथि प्रो. भल्लमूडी वी. शर्मा (निदेशक, भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण) ने “एएनएसआई और पुरावनस्पतिक अनुसंधान: उपलब्धियां और वर्तमान प्रयास” विषय पर अपना विचार रखा। प्रो शर्मा ने अपने बात की शुरुवात में इस सन्गोष्ठी को हड़प्पा सभ्यता की खोज के 100 वर्ष पूरे होने को समर्पित की बात की और साथ ही हड़प्पा एवं मोहेन्जोदारो की खोज और इन स्थलों में हुये मान्वशास्तृयों के योगदान की बात की। प्रो शर्मा ने भारत में मानवविज्ञान के सन्दर्भ में बताया कि किस प्रकार भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण ने अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने बताया कि भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण ने प्राचीन मानवों और उनके मध्य आपसी संबन्धओं का अध्ययन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें जीवाश्म अवशेषों, पुरातात्त्विक खोजों और अन्य साक्ष्यों ने अहम् भूमिका निभाई है। यह मानव विकास और मानव समाजों के विकास को समझने के लिए पुरातात्विक, आनुवांशिकी, और विकासात्मक जीवविज्ञान सहित विभिन्न विषयों के अंतर्विषयक सम्बन्धों की जानकारी को एकीकृत किया है। उन्होंने यह भी बताया की प्राचीन मानव जीवविज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में अतीत की सफलताओं की समीक्षा और इस क्षेत्र के ज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए चल रही प्रयासों या वर्तमान परियोजनाओं पर ध्यान दिया जाएगा। नर्मदा घाटी से प्राप्ति पाषाण कालीन अस्थियों की चर्चा की जिसके निमित्त भारतीय मान्वशास्त्र सर्वेक्षण की भुमिका पर विशद चर्चा की।

Nov 28, 2024 - 11:50
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BHU में आज से एडनेट की हुई शुरूआत:12 देशों से पहुंच रहे ख्यात जेनेटिक एक्सपर्ट, 72 रिसर्च पेपर होंगे प्रस्तुत
बायोक्लूज़ और एडनट संगठनों के संयुक्त तत्त्वाधान में आज तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन शुभारम्भ हुआ. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महामना हॉल में इस उद्घाटन समारोह एवं आज के मुख्य वक्ताओं का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ विज्ञान संस्थान, संकाय प्रमुख प्रो. एस. एम. सिंह, और विभागाध्यक्ष अरविंद आचार्य की उपस्थिति में हुआ। समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण के साथ हुई, इसके बाद कुलगीत प्रस्तुत किया गया। हड़प्पा सभ्यता की खोज के 100 वर्ष को समर्पित है एडनट हड़प्पा सभ्यता की खोज के 100 वर्ष पूरे कर चुके महत्त्वपूर्ण उपलब्धि को समर्पित इस संगोष्ठी के कार्यक्रम में बायोक्लूज के संस्थापक डॉ प्रशांत एन सुरवझाला और ऐडनेट के अध्यक्ष प्रो.सतीश कुमार ने अपनी-अपनी संस्थाओं की शोध के क्षेत्र में भूमिका पर उद्घाटन भाषण दिया। डॉ सुरझवाला ने अपने वक्तव्य में अपनी संस्था के 20 वर्ष की भुमिका के बारे में बताया। ये संस्था शोधार्थीयों को शोध पत्र लिखने और प्रकाशन का मार्गदर्शन करती है और विज्ञान के क्षेत्र में नवीन आयाम जोड़ रही है। प्रो सतीश ने बताया कि एटनट 30 वर्ष से भी ज्यादा समय से विज्ञान के क्षेत्र में DNA शोध कार्य कर रही है। IPS जी के गोस्वामी ने 1998 के धमाकों को किया याद फॉरेंसिक साइंस संस्थान, उत्तर प्रदेश के निदेशक डॉ जी के गोस्वामी सेवानिवृत IPS ने अपने समय के उन यादों को बताया जब वो यहाँ SP वाराणसी थे जब वाराणसी तब 1998 के धमाकों में हुये तबाही को देखा, आतंकियों को मारा और उन यादों की विशद चर्चा की। विज्ञान में नौकरी की संभावनाएं, कैसे कानून के कई कार्यों में विज्ञान का प्रयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे शोध का कोई अर्थ नहीं जिसमें समाज को सीधा कोई लाभ नहीं, उन्होने शोधार्थीयों को ये सलाह दिया। विज्ञान के सही, सटिक एवं समाज में उपयोग पर इन्होने जोर दिया। न्याय एवं दण्ड में विज्ञान के महत्त्व को दर्शाते हुये उदाहरण दिये। सर्वे आफ इंडिया के योगदान को बताया विशिष्ट अतिथि प्रो. भल्लमूडी वी. शर्मा (निदेशक, भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण) ने “एएनएसआई और पुरावनस्पतिक अनुसंधान: उपलब्धियां और वर्तमान प्रयास” विषय पर अपना विचार रखा। प्रो शर्मा ने अपने बात की शुरुवात में इस सन्गोष्ठी को हड़प्पा सभ्यता की खोज के 100 वर्ष पूरे होने को समर्पित की बात की और साथ ही हड़प्पा एवं मोहेन्जोदारो की खोज और इन स्थलों में हुये मान्वशास्तृयों के योगदान की बात की। प्रो शर्मा ने भारत में मानवविज्ञान के सन्दर्भ में बताया कि किस प्रकार भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण ने अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने बताया कि भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण ने प्राचीन मानवों और उनके मध्य आपसी संबन्धओं का अध्ययन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें जीवाश्म अवशेषों, पुरातात्त्विक खोजों और अन्य साक्ष्यों ने अहम् भूमिका निभाई है। यह मानव विकास और मानव समाजों के विकास को समझने के लिए पुरातात्विक, आनुवांशिकी, और विकासात्मक जीवविज्ञान सहित विभिन्न विषयों के अंतर्विषयक सम्बन्धों की जानकारी को एकीकृत किया है। उन्होंने यह भी बताया की प्राचीन मानव जीवविज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में अतीत की सफलताओं की समीक्षा और इस क्षेत्र के ज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए चल रही प्रयासों या वर्तमान परियोजनाओं पर ध्यान दिया जाएगा। नर्मदा घाटी से प्राप्ति पाषाण कालीन अस्थियों की चर्चा की जिसके निमित्त भारतीय मान्वशास्त्र सर्वेक्षण की भुमिका पर विशद चर्चा की।

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