CSA कानपुर के छात्रों ने एड्स के प्रति किया जागरूक:‘टेक द राइट पाथ: माय हेल्थ, माय राइट्स’ थीम पर हुआ आयोजन

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर में रविवार को विश्व एड्स दिवस पर जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। वर्ष 2024 में विश्व एड्स दिवस की थीम “टेक द राइट पाथ: माय हेल्थ, माय राइट्स” रही। इस कार्यक्रम में अधिष्ठाता सामुदायिक विज्ञान डॉ. मुक्ता गर्ग मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहीं। संगोष्ठी में विचार-विमर्श हुआ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रश्मि सिंह ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से एड्स के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एड्स का सबसे पहला मामला चिंपैंजी और बंदरों में पाया गया था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एड्स का अभी तक कोई इलाज नहीं है और इसकी रोकथाम ही इसका सबसे बड़ा उपाय है। एड्स सामाजिक कलंक बन गया है बी.एससी. तृतीय सेमेस्टर की छात्रा शाजिया खान और जागृति दास ने कहा, “एड्स सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि एक सामाजिक कलंक बन गया है। हमें एड्स पीड़ितों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए, बल्कि उन्हें समाज में पूरा सम्मान और सहयोग मिलना चाहिए।” इस अवसर पर कार्यक्रम पर अधिष्ठाता डॉ. मुक्त गर्ग ने कहा कि “एड्स जैसे विषय पर जागरूकता फैलाने के लिए सबसे पहले हमें खुद जागरूक होना पड़ेगा। एड्स से जुड़ी भ्रांतियों को समाप्त करना और पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता दिखाना अत्यंत आवश्यक है। जागरूकता ही समाज में बदलाव का सबसे बड़ा माध्यम बन सकती है।” पोस्टर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया कार्यक्रम के दौरान पोस्टर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें छात्राओं ने रचनात्मक और विचारोत्तेजक पोस्टरों के माध्यम से एड्स से जुड़े मिथकों को दूर करने और जागरूकता फैलाने का प्रयास किया। पोस्टरों ने एड्स पीड़ितों के प्रति समाज के रवैये को बदलने और सहानुभूति बढ़ाने का संदेश दिया। कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई 3-डॉ. रश्मी सिंह ने अधिष्ठाता डॉ. मुक्ता गर्ग का स्वागत किया। गेस्ट फैकल्टी डॉ. पल्लवी सिंह और डॉ. रीमा भी उपस्थिति रहीं।

Dec 1, 2024 - 17:15
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CSA कानपुर के छात्रों ने एड्स के प्रति किया जागरूक:‘टेक द राइट पाथ: माय हेल्थ, माय राइट्स’ थीम पर हुआ आयोजन
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर में रविवार को विश्व एड्स दिवस पर जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। वर्ष 2024 में विश्व एड्स दिवस की थीम “टेक द राइट पाथ: माय हेल्थ, माय राइट्स” रही। इस कार्यक्रम में अधिष्ठाता सामुदायिक विज्ञान डॉ. मुक्ता गर्ग मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहीं। संगोष्ठी में विचार-विमर्श हुआ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रश्मि सिंह ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से एड्स के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एड्स का सबसे पहला मामला चिंपैंजी और बंदरों में पाया गया था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एड्स का अभी तक कोई इलाज नहीं है और इसकी रोकथाम ही इसका सबसे बड़ा उपाय है। एड्स सामाजिक कलंक बन गया है बी.एससी. तृतीय सेमेस्टर की छात्रा शाजिया खान और जागृति दास ने कहा, “एड्स सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि एक सामाजिक कलंक बन गया है। हमें एड्स पीड़ितों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए, बल्कि उन्हें समाज में पूरा सम्मान और सहयोग मिलना चाहिए।” इस अवसर पर कार्यक्रम पर अधिष्ठाता डॉ. मुक्त गर्ग ने कहा कि “एड्स जैसे विषय पर जागरूकता फैलाने के लिए सबसे पहले हमें खुद जागरूक होना पड़ेगा। एड्स से जुड़ी भ्रांतियों को समाप्त करना और पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता दिखाना अत्यंत आवश्यक है। जागरूकता ही समाज में बदलाव का सबसे बड़ा माध्यम बन सकती है।” पोस्टर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया कार्यक्रम के दौरान पोस्टर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें छात्राओं ने रचनात्मक और विचारोत्तेजक पोस्टरों के माध्यम से एड्स से जुड़े मिथकों को दूर करने और जागरूकता फैलाने का प्रयास किया। पोस्टरों ने एड्स पीड़ितों के प्रति समाज के रवैये को बदलने और सहानुभूति बढ़ाने का संदेश दिया। कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई 3-डॉ. रश्मी सिंह ने अधिष्ठाता डॉ. मुक्ता गर्ग का स्वागत किया। गेस्ट फैकल्टी डॉ. पल्लवी सिंह और डॉ. रीमा भी उपस्थिति रहीं।

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