PM मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर फूल चढ़ाए:एकता दिवस की शपथ दिलाई, एकता दिवस परेड में 16 मार्चिंग टुकड़ियां शामिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिवाली और सरदार वल्लबभाई पटेल की जयंती के मौके पर गुजरात के केवड़िया में हैं। उन्होंने सुबह करीब 7:15 बजे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित की। मोदी ने एकता दिवस की शपथ दिलाई। उन्होंने कहा- मैं सत्य निष्ठा से शपथ लेता हूं कि मैं राष्ट्र की एकता अखंडता ओर सुरक्षा के लिए स्वयं को समर्पित करूंगा और अपने देशवासियों के बीच यह संदेश फैलाने का भी भरसक प्रयत्न करूंगा। मैं यह शपथ अपने देश की एकता की भावना से ले रहा हूं। जिसे सरदार वल्लभ भाई पटेल की दूरदर्शिता और कार्यो द्वारा संभव बनाया जा सका। मैं अपने देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपना योगदान करने का भी सत्य निष्ठा से संकल्प करता हूं। शपथ के बाद एकता दिवस परेड शुरू हुई है। इस परेड में 9 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश की पुलिस, 4 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, एनसीसी और एक मार्चिंग बैंड की 16 मार्चिंग टुकड़ियां शामिल हो रही है। इस एकता दिवस परेड में NSG की हेल मार्च टुकड़ी, BSF और CRPF के महिला और पुरुष बाइकर्स की रैली, BSF के मार्शल आर्ट के का शो, स्कूली बच्चों का पाइप बैंड शो, वायु सेना का ‘सूर्य किरण’ फ्लाईपास्ट शामिल होंगी। पीएम मोदी बुधवार को ही गुजरात पहुंच गए थे। उन्होंने एकता नगर में 280 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का उद्घाटन और आधारशिला रखी। PM मोदी ने दीपावली की शुभकामनाएं दी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सरदार पटेल की यह प्रतिमा (182 मीटर) दुनिया में सबसे ऊंची है। 2010 में मोदी ने बतौर मुख्यमंत्री इसे स्थापित करने का ऐलान किया था। 31 अक्टूबर 2013 से प्रतिमा का निर्माण शुरू हुआ, जो पांच साल बाद यानी कि 31 अक्टूबर 2018 को सरदार पटेल की 143वीं जयंती पर पूरा हुआ। प्रतिमा का उद्घाटन PM नरेंद्र मोदी ने किया था। 109 टन लोहे का इस्तेमाल किया गया इस प्रतिमा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके लिए देश भर के पांच लाख से अधिक किसानों के पास से 135 मीट्रिक टन खेती-किसानी के पुराने औजार दान में लिए गए, जिन्हें गलाकर 109 टन लोहा तैयार किया गया। इसी लोहे का उपयोग इस प्रतिमा में किया गया है। 6 हजार टन स्ट्रक्चरल स्टील से बनी है प्रतिमा इस प्रतिमा की लागत 2989 करोड़ रुपए आई। इसमें 2.10 लाख क्यूबिक मीटर सीमेंट-कंक्रीट और 2000 टन कांसे, 6 हजार 500 टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18 हजार 500 टन सरियों का इस्तेमाल किया गया है। यह 12 किमी इलाके में बनाए गए तालाब के बीचों-बीच बनी है। प्रतिमा 6.5 तीव्रता के भूकंप के झटके और 220 किमी की स्पीड के तूफान का भी सामना कर सकती है। प्रतिमा के निर्माण में 85% तांबे का उपयोग होने से हजारों साल तक इसमें जंग नहीं लग सकती। प्रतिमा की गैलरी में खड़े होकर एक बार में 40 लोग सरदार सरोवर डैम और विंध्य पर्वत के दर्शन कर सकते हैं।
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