PM मोदी को नाइजीरिया का सर्वोच्च सम्मान:नाइजीरियाई राष्ट्रपति से कहा- यहां 60 हजार भारतीय, इन्हें संभालने के लिए शुक्रिया
नाइजीरिया ने प्रधानमंत्री मोदी को सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान 'द ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द नाइजर' देने का ऐलान किया है। PM ने नाइजीरिया के राष्ट्रपति को इसके लिए धन्यवाद कहा। उन्होंने कहा कि यह सम्मान उनका नहीं बल्कि 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है। प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय नाइजीरिया के दौरे पर हैं। आज उनका आखिरी दिन है। उन्होंने रविवार को नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू के साथ राष्ट्रपति भवन में बैठक की। दोनों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- नाइजीरिया में रह रहे 60 हजार से ज्यादा भारतीय दोनों देशों के बीच मजबूत कड़ी हैं। उन्हें संभाल कर रखने और देखभाल करने के लिए मैं नाइजीरिया का धन्यवाद करता हूं मोदी से पहले एलिजाबेथ को नाइजीरिया का सर्वोच्च सम्मान मिला था न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक पीएम मोदी नाइजीरिया का सर्वोच्च सम्मान पाने वाले दूसरे विदेशी शख्स हैं। उनसे पहले ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ को 1969 में यह सम्मान दिया गया था। अब तक PM मोदी को 15 देश अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित कर चुके हैं। वहीं, उन्हें मिलने वाला यह 17वां अंतर्राष्ट्रीय अवॉर्ड होगा। इससे पहले 14 नवंबर को कैरेबियाई देश डोमिनिका ने मोदी को सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार- 'डोमिनिका अवॉर्ड ऑफ ऑनर' देने की घोषणा की थी। कोविड-19 महामारी के दौरान डोमिनिका की मदद करने के लिए उन्हें सम्मान दिया जाएगा। मोदी को 21-22 नवंबर को गुयाना दौरे पर सम्मानित किया जाएगा। PM को राजधानी अबुजा की चाबी सौंपी गई, ये विश्वास का प्रतीक प्रधानमंत्री मोदी शनिवार रात पहली बार नाइजीरिया पहुंचे। मोदी का स्वागत करने के लिए एयरपोर्ट पर भारतीय लोगों का जमावड़ा लगा था। हाथ में तिरंगा लिए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया। नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला टिनूबू भी अबुजा एयरपोर्ट पर PM मोदी के स्वागत के लिए पहुंचे थे। मंत्री न्येसोम विके ने PM मोदी को अबुजा शहर की चाबी सौंपी। नाइजीरिया में इसे विश्वास और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। मोदी के अबूजा पहुंचने पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। PM मोदी ने नाइजीरिया पहुंचने के बाद मराठी समुदाय से मुलाकात भी की। उन्होंने नाइजीरिया में मराठी समुदाय ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने पर खुशी जताई। PM मोदी के स्वागत की 3 तस्वीरें... मैप में नाइजीरिया की लोकेशन... भारत के लिए अहम क्यों है नाइजीरिया तेल और गैस के विशाल भंडार की वजह से नाइजीरिया, अफ्रीका के अहम देशों में से एक है। यह देश भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता है। अफ्रीका में भारतीय निवेश खासकर ऊर्जा, खनन, फार्मास्यूटिकल्स और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में लगातार बढ़ रहा है। नाइजीरिया इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) और तेल उत्पादक देशों के संगठन (OPEC) का अहम सदस्य है। ये दोनों संगठन भारत की कूटनीति और आर्थिक नीति के लिए अहम हैं। 66 साल पुराने हैं भारत-नाइजीरिया के रिश्ते भारत ने आजादी के बाद अफ्रीकी देशों की आजादी का पुरजोर समर्थन किया था। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की शुरुआत नाइजीरिया की आजादी से पहले ही हो गई थी। भारत ने 1958 में नाइजीरिया में डिप्लोमैटिक हाउस की स्थापना की थी। इसके 2 साल बाद नाइजीरिया को आजादी मिली। भारत के पहले PM जवाहरलाल नेहरू ने सितंबर 1962 में नाइजीरिया का दौरा किया था। उनकी इस यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की नींव रखी गई। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है तो नाइजीरिया अफ्रीका का सबसे बड़ा लोकतंत्रिक देश है। नाइजीरिया की आबादी (23 करोड़), उत्तर प्रदेश (24 करोड़) से कम है, लेकिन यह देश सबसे तेजी से आबादी बढ़ने वाले देशों में शामिल है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 2050 तक नाइजीरिया की आबादी 40 करोड़ होगी। तब वह भारत, चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा। BBC के मुताबिक नाइजीरिया दो भागों में बंटा हुआ है। उत्तरी हिस्सा जहां मुसलमान बहुसंख्यक हैं वहां गरीबी ज्यादा है। दक्षिणी और पूर्वी नाइजीरिया में ईसाई आबादी ज्यादा है। ये इलाका ज्यादा संपन्न है। ईसाइयों के विरोध के बावजूद कई उत्तरी राज्यों ने इस्लामी शरिया कानून को अपनाया है। इस वजह से दोनों समुदाय के बीच विवाद और लड़ाइयां हो चुकी हैं। ....................................................... पीएम मोदी के विदेश दौरे से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... मोदी ने जेलेंस्की को भारत आने का न्योता दिया:बोले- मैंने पुतिन की आंख से आंख मिलाकर कहा, यह युद्ध का समय नहीं रूस और यूक्रेन में ढाई साल से जारी जंग के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 अगस्त को यूक्रेन पहुंचे। यहां राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ बैठक में मोदी ने कहा, "भारत हमेशा से शांति के पक्ष में रहा है। मैं कुछ दिन पहले रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मिला था। तब मैंने मीडिया के सामने उनकी आंख से आंख मिलाकर कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है।" पूरी खबर यहां पढ़ें...
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