आज होगा होलिका दहन, कल धुलंडी

भास्कर न्यूज | इटावा नगर सहित आसपास के क्षेत्रों में होलिका दहन का पर्व गुरुवार को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 28 मिनट से शुरू होगा। यह मुहूर्त रात 12 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। कुल 47 मिनट का यह शुभ समय होगा। शहर के विभिन्न स्थानों पर होलिका दहन का आयोजन किया जाएगा। महिलाएं होलिका की पूजा करेंगी। वे सुख-समृद्धि की कामना करेंगी। होलिका दहन के बाद अगले दिन 14 मार्च को रंगों का त्योहार धुलंडी मनाई जाएगी। इटावा हिंदू पंचांग के अनुसार, होली के एक दिन पहले पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन किया जाता है। इस बार होलिका दहन 13 मार्च को होगा, जबकि 14 मार्च को होली खेली जाएगी। आचार्य प्रेम शास्त्री ने बताया कि 13 मार्च को पूर्णिमा तिथि सुबह 10:36 बजे शुरू होगी, जो अगले दिन दोपहर 12:15 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि की मान्यता के अनुसार पूर्णिमा दूसरे दिन 14 मार्च को होगी, लेकिन इस दिन पूर्णिमा का मान तीन प्रहर से कम रहेगा। इसलिए होलिका दहन 13 मार्च को किया जाएगा। रात 11:28 से 12:15 बजे के बीच होलिका दहन करना श्रेष्ठ रहेगा। नगर में शीतला मंदिर के पास नगर पालिका द्वारा होलिका दहन किया जाएगा। रामलीला मैदान में कृष्ण नवयुवक मंडल द्वारा होलिका दहन किया जाएगा। सब्जी मंडी में सब्जी मंडी व्यापार मंडल और आसपास के क्षेत्र के लोग मिलकर होलिका दहन करेंगे। इस प्रकार, इटावा नगर में तीन प्रमुख स्थानों पर होलिका दहन होगा। इटावा शहर में रंगोत्सव 14 मार्च को मनाया जाएगा, जिसे लेकर युवाओं सहित हर वर्ग में उत्साह है।

Mar 13, 2025 - 05:00
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आज होगा होलिका दहन, कल धुलंडी
भास्कर न्यूज | इटावा नगर सहित आसपास के क्षेत्रों में होलिका दहन का पर्व गुरुवार को मनाया जाएगा। प

आज होगा होलिका दहन, कल धुलंडी

इस विशेष अवसर पर, जिसमें हम होली के महापर्व का जश्न मनाते हैं, आज होलिका दहन का आयोजन किया जाएगा। होली का यह त्योहार भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो प्रेम, सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक माना जाता है। हिन्दू धर्म में, होलिका दहन का अर्थ है बुराई पर अच्छाई की विजय, और यह त्योहार न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता का संदेश भी देता है।

होलिका दहन का महत्व

होलिका दहन, जिसे फाल्गुन मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, का विशेष महत्व है। इस दिन होलिका, हिरण्यकश्यप की बहन, जो बुराई का प्रतीक है, का दहन किया जाता है। यह दहन यह दर्शाता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। इस मौके पर लोग एकत्रित होकर होलिका की पूजा अर्चना करते हैं और अग्नि में अपने पापों को जलाने की प्रार्थना करते हैं।

धुलंडी का उत्सव

कल, होलिका दहन के बाद, हम धुलंडी या होली का त्योहार मनाएंगे। धुलंडी पर रंगों का खेल होता है, जहां लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं और मिठाई बांटते हैं। यह दिन खुशियों और उत्साह से भरा होता है, और सभी उम्र के लोग इसे एक साथ मिलकर मनाते हैं।

तैयारियाँ और परंपराएँ

इस बार होलिका दहन और धुलंडी पर कई तरह की तैयारियाँ की जा रही हैं। लोग अपने घरों को रंग-बिरंगे गुलाल और रंगों से सजाते हैं। सभी अपने प्रियजनों के लिए खास पकवान बनाते हैं। इस प्राकृतिक रंगों के साथ, लोग एक-दूसरे के साथ नाचते और गाते हैं, जिससे वातावरण आनंदमय हो जाता है।

इस वर्ष होली का त्योहार विशेष रूप से कोविड-19 के बाद फिर से परिवार और दोस्तों के साथ जश्न मनाने का एक अवसर है। सभी लोग एक-दूसरे से मिलकर इस पर्व को मनाना चाहते हैं।

इस अद्वितीय पर्व की शुभकामनाएँ, और होलिका दहन पर सभी को ढेर सारी बधाई। याद रखें, इसके साथ-साथ सच्चाई और भाईचारे का संदेश भी फैलाएं।

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