आजमगढ़ के घाटों पर छठ महापर्व की धूम:जिले के गौरीशंकर घाट गोलाघाट और दलाल घाट पर भक्तों का भारी मेला
भगवान सूर्य की उपासना का महापर्व छठ पूजा के तीसरे दिन आजमगढ़ जिले में काफी हर्षोहल्लास के साथ मनाया जा रहा है। हर तरफ छठ पूजा की धूम है। शहर से लेकर गांव तक सिर पर पूजा सामग्री और दउरा लेकर छठ पूजा घाटों पर जाते लोग। पीछे- पीछे ...कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए.., केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके..। आजमगढ़ जिले के दलाल घाट गौरीशंकर घाट कम घाट गोलाघाट एकलव्य घाट पर भक्तों का भारी मेला उम्दा है वहीं जिले में कुल 784 घाटों को चिन्हित किया गया है जहां पर छठ पर्व की पूजा की जानी है। शाम होते ही भक्तों की भारी भीड़ इन घाटों पर उमड़ पड़ी है। जहां व्रती महिलाओं ने पानी में खड़े होकर अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देंगी। साथ ही बेटे, पति की लंबी उम्र की मंगलकामना करेंगी। अब शुक्रवार तड़के अरुणोदय पर भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाएं व्रत का पारण करेंगी। वहीं, घाटों की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। सुबह से चल रही थी तैयारी सुबह से ही पूजा के लिए महिलाओं ने सारी तैयारियां कर रखी थी। अर्घ्य देने के लिए फलों को सूप या डलिया में 6, 12 या 24 की संख्या में सजाया गया है। इसमें संतरा, अन्नास, गन्ना, सुथनी, केला, अमरूद, शरीफा, नारियल, साठी के चावल का चिउड़ा, ठेकुआ आदि शामिल किया गया है। आज शाम दूध, शहद, तिल और अन्य द्रव्य से डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद सुशोभिता की पूजा होगी। तीन से चल रहा छठ महापर्व मंगलवार को नहाए-खाए के साथ छठ पूजा की शुरुआत हुई। इसके तहत व्रती महिलाओं ने नहाने के बाद चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी का भोजन किया। बुधवार को खरना था। इसमें उन्होंने साठी के चावल, गुड़ और गाय के दूध से बने खीर का सेवन किया। इसके बाद निर्जल व्रत की शुरुआत हुई। व्रती महिलाओं ने नदी या तालाब किनारे मिट्टी से सुशोभिता बनाई है। बेटों की लंबी उम्र के लिए व्रत रहती माताएं इस व्रत में शक्ति अर्थात माता षष्ठी एवं ब्रह्म अर्थात सूर्यदेव दोनों की उपासना होती है। इसलिए इसे सूर्यषष्ठी कहा जाता है। इस व्रत से जहां भगवान भास्कर समस्त वैभव प्रदान करते हैं, वहीं माता षष्ठी प्रसन्न होकर पुत्र देती हैं, साथ ही पुत्रों की रक्षा भी करती हैं।
What's Your Reaction?