आयोग ने ‘फूट डालो-राज करो’ की चाल चली:RO-ARO अभ्यर्थी बोले- जब पेपर लीक हुआ था तब भी कमेटी बनी; ये सिर्फ झुनझुना दे रहे
लोक सेवा आयोग प्रयागराज के सामने पिछले 4 दिन से प्रदर्शन कर रहे युवाओं को थोड़ी राहत मिली। यूपी पीसीएस परीक्षा अब पुराने पैटर्न पर होगी। यानी नॉर्मलाइजेशन जैसा कुछ नहीं होगा। समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) परीक्षा को लेकर कमेटी बना दी गई है, तारीख पर फैसला रिपोर्ट आने के बाद होगा। यह बात प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों को नहीं जमी। उन्होंने कहा विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। हालांकि शुक्रवार देर शाम खबर आई कि एक गुट ने प्रदर्शन समाप्त करने की घोषणा कर दी। दैनिक भास्कर की टीम लगातार युवाओं के आंदोलन के बीच रही। युवाओं का कहना है कि आयोग ने फूट डालो-राज करो का काम किया है। छात्रों ने कई तर्क दिए। हमने ये भी जाना कि आखिर आरओ-एआरओ परीक्षा को लेकर कन्फ्यूजन क्यों है? सबसे पहले जानते हैं युवाओं का पक्ष, उनका क्या कहना है? 76वां जिला बना रहे, क्या 75 जिलों में परीक्षा नहीं करवा सकते
बाराबंकी जिले की पूजा चतुर्वेदी पिछले 3 साल से प्रयागराज में किराए पर कमरा लेकर पढ़ाई कर रही हैं। वह कहती हैं, यूपी में 75 जिले हैं, अब 76वां जिला बनाने जा रहा, कहते हैं कि परीक्षा के लिए सेंटर नहीं है। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। आरओ-एआरओ में कमेटी बनाने का जो फैसला लिया गया, वह छात्रों को यहां से हटाने के लिए। आखिर जब पीसीएस के लिए फैसला लिया जा सकता है तो आरओ-एआरओ के लिए क्यों नहीं। सच तो यह है कि इन्होंने सिर्फ बांटने का काम किया है। हमने कहा कि आंदोलन में आने को लेकर घर से दिक्कत तो नहीं? पूजा कहती हैं, घर वाले कहते हैं कि हम तुम्हारे साथ हैं। आखिर हम अपने हक की मांग के लिए बैठे हैं। सबसे बड़ी दिक्कत तो यह है कि आखिर जीएस में नॉर्मलाइजेशन कैसे करेंगे। पूजा के पास बैठीं मानवी सिंह कहती हैं, पीसीएस से नॉर्मलाइजेशन हटाकर ठीक किया लेकिन आरओ-एआरओ को फंसा दिया। हम लोग तो स्पेशली 3 साल से आरओ-एआरओ की ही तैयारी कर रहे हैं, समय पर पेपर नहीं होता तो घर से भी प्रेशर पड़ता है। हम यहां 4 दिन से बैठे हैं, आयोग तब नहीं सोच पाया लेकिन जब छात्रों का दबाव बढ़ा तो कमेटी बनाने की बात कही। परीक्षा की डेट कब आएगी। फरवरी से लेकर नवंबर तक का समय बर्बाद हुआ। आगे कितना जाएगा पता नहीं। पेपर रद्द हुआ था तब भी कमेटी बनी थी
प्रयागराज में रहकर तैयारी करने वाले प्रवीण द्विवेदी कहते हैं, 11 फरवरी को जब आरओ-एआरओ का पेपर हुआ और फिर लीक का खुलासा हुआ तब भी हम लोगों ने आंदोलन किया। बहुत मशक्कत के बाद शासन ने निरस्त किया। उस वक्त भी कमेटी बनी, कमेटी ने फैसला दिया कि दो पेपर, दो शिफ्ट में करवाएंगे। नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया लाएंगे। आज फिर से इन्होंने कमेटी बना दी। पड़ोस खड़े सुधीर सिंह कहते हैं कि कमेटी ही लगातार बन रही है, जबकि जरूरी है कि छात्रों के हक में जल्दी फैसले लिए जाएं। पीसीएस और आरओ-एआरओ का 6 बार मेंस दे चुके संतोष पांडेय कहते हैं, हम दोनों परीक्षाओं के लिए वन डे, वन शिफ्ट चाहते थे। पीसीएस पर तो फैसला दे दिया, लेकिन आरओ को लेकर एक नोटिस जारी कर दी गई। फरवरी में पेपर लीक हुआ तो सीएम योगी ने कहा कि 6 महीने के अंदर परीक्षा करवा ली जाएगी, 6 महीने बीत गए, 3 महीने और बीत गए। क्या उन 9 महीनों में कमेटी बनाकर यह फैसला नहीं कर सकते थे लेकिन इन्होंने नहीं किया। संतोष कहते हैं, प्रयागराज में रहने वाले लड़कों का महीने का खर्च 6-7 हजार है। हर छात्र की स्थिति एक जैसी नहीं है, परिवार ने बहुत सीमित समय देकर भेजा है। खासकर लड़कियों को। उन्हें कम उम्र में ब्याह दिया जाता है। इसलिए उनके ऊपर जल्दी रिजल्ट देने का प्रेशर है, लेकिन आयोग डेढ़ साल में एक परीक्षा नहीं करवा सका है। 'आयोग ने फूट डालने का काम किया'
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र अनूप कहते हैं, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने पीसीएस को पुराने पैटर्न पर किया। लेकिन मैं उनकी तुलना लॉर्ड कर्जन से करना चाहूंगा। जिन्होंने फूट डालो-राज करो जैसा काम किया था। आज वही काम पीसीएस कैंडिडेट और आरओ-एआरओ कैंडिडेट के साथ किया जा रहा। मैं अपील करता हूं कि आरओ-एआरओ कैंडिडेट के साथ जल्द से जल्द न्याय किया जाए, ताकि हम अपने कमरों पर जाकर पढ़ाई कर सकें। अमित द्विवेदी कहते हैं, आयोग और सरकार ने छात्रों को लॉलीपॉप और झुनझुना देने का काम किया है। पीसीएस वाले परीक्षार्थियों को लॉलीपॉप दिया है, आरओ-एआरओ परीक्षार्थियों को झुनझुना दे दिया है, वही लेकर अब युवा अभ्यर्थी बजा रहे हैं। लगातार छात्रों के साथ दुर्व्यहार किया जा रहा। यह सब सरकार के इशारे पर ही हो रहा है। अमित ने कहा, ‘पिछले दिनों पीसीएस-जे में गड़बड़ी हुई, इन्होंने 50 कॉपी मानी जबकि 150 सीटों से ज्यादा पर धांधली हुई। आज 150 फर्जी जज साहब न्याय दे रहे होंगे।’ इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र यादवेंद्र यादव कहते हैं, सरकार कहती है कि हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे। यूपी सरकार कहती है कि हम देश में जीडीपी के मामले में पहले नंबर पर पहुंचने वाले हैं। लेकिन परीक्षा करवाने के मामले में कहते हैं कि हम मंडल से इतनी ही दूरी पर सेंटर बनाएंगे और परीक्षा करवाएंगे। यह तो सरासर धोखा है, सरकार का रवैया तानाशाही भरा है। दिसंबर में आरओ-एआरओ परीक्षा करवा पाना चुनौती
लोक सेवा आयोग ने 5 नवंबर की शाम यूपी पीसीएस प्री परीक्षा की डेट 7-8 दिसंबर को घोषित की। लेकिन अब एक दिन में करवाए जाने की बात कही है। वहीं, आरओ-एआरओ मामले में कमेटी बना दी गई। इसके पीछे की वजह ऐसे समझिए। आयोग ने दो दिन परीक्षा करवाने के लिए 41 जिलों में 978 सेंटर को फाइनल किया था। साथ ही यह भी बताया था कि अगर एक दिन में परीक्षा करवानी होगी तो 1558 सेंटर्स की जरूरत पड़ेगी। इतने सेंटर में परीक्षा करवाना चुनौतीपूर्ण काम होगा। यूपी सरकार के ही एक अधिकारी बताते हैं, यूपी सरकार ने सिपाही भर्ती परीक्षा में एक शिफ्ट में 5 लाख अभ्यर्थियों की परीक्षा करवाई। यह प्रयोग सफल रहा। कहीं भी पेपर लीक जैसी घटना सामने
लोक सेवा आयोग प्रयागराज के सामने पिछले 4 दिन से प्रदर्शन कर रहे युवाओं को थोड़ी राहत मिली। यूपी पीसीएस परीक्षा अब पुराने पैटर्न पर होगी। यानी नॉर्मलाइजेशन जैसा कुछ नहीं होगा। समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) परीक्षा को लेकर कमेटी बना दी गई है, तारीख पर फैसला रिपोर्ट आने के बाद होगा। यह बात प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों को नहीं जमी। उन्होंने कहा विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। हालांकि शुक्रवार देर शाम खबर आई कि एक गुट ने प्रदर्शन समाप्त करने की घोषणा कर दी। दैनिक भास्कर की टीम लगातार युवाओं के आंदोलन के बीच रही। युवाओं का कहना है कि आयोग ने फूट डालो-राज करो का काम किया है। छात्रों ने कई तर्क दिए। हमने ये भी जाना कि आखिर आरओ-एआरओ परीक्षा को लेकर कन्फ्यूजन क्यों है? सबसे पहले जानते हैं युवाओं का पक्ष, उनका क्या कहना है? 76वां जिला बना रहे, क्या 75 जिलों में परीक्षा नहीं करवा सकते
बाराबंकी जिले की पूजा चतुर्वेदी पिछले 3 साल से प्रयागराज में किराए पर कमरा लेकर पढ़ाई कर रही हैं। वह कहती हैं, यूपी में 75 जिले हैं, अब 76वां जिला बनाने जा रहा, कहते हैं कि परीक्षा के लिए सेंटर नहीं है। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। आरओ-एआरओ में कमेटी बनाने का जो फैसला लिया गया, वह छात्रों को यहां से हटाने के लिए। आखिर जब पीसीएस के लिए फैसला लिया जा सकता है तो आरओ-एआरओ के लिए क्यों नहीं। सच तो यह है कि इन्होंने सिर्फ बांटने का काम किया है। हमने कहा कि आंदोलन में आने को लेकर घर से दिक्कत तो नहीं? पूजा कहती हैं, घर वाले कहते हैं कि हम तुम्हारे साथ हैं। आखिर हम अपने हक की मांग के लिए बैठे हैं। सबसे बड़ी दिक्कत तो यह है कि आखिर जीएस में नॉर्मलाइजेशन कैसे करेंगे। पूजा के पास बैठीं मानवी सिंह कहती हैं, पीसीएस से नॉर्मलाइजेशन हटाकर ठीक किया लेकिन आरओ-एआरओ को फंसा दिया। हम लोग तो स्पेशली 3 साल से आरओ-एआरओ की ही तैयारी कर रहे हैं, समय पर पेपर नहीं होता तो घर से भी प्रेशर पड़ता है। हम यहां 4 दिन से बैठे हैं, आयोग तब नहीं सोच पाया लेकिन जब छात्रों का दबाव बढ़ा तो कमेटी बनाने की बात कही। परीक्षा की डेट कब आएगी। फरवरी से लेकर नवंबर तक का समय बर्बाद हुआ। आगे कितना जाएगा पता नहीं। पेपर रद्द हुआ था तब भी कमेटी बनी थी
प्रयागराज में रहकर तैयारी करने वाले प्रवीण द्विवेदी कहते हैं, 11 फरवरी को जब आरओ-एआरओ का पेपर हुआ और फिर लीक का खुलासा हुआ तब भी हम लोगों ने आंदोलन किया। बहुत मशक्कत के बाद शासन ने निरस्त किया। उस वक्त भी कमेटी बनी, कमेटी ने फैसला दिया कि दो पेपर, दो शिफ्ट में करवाएंगे। नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया लाएंगे। आज फिर से इन्होंने कमेटी बना दी। पड़ोस खड़े सुधीर सिंह कहते हैं कि कमेटी ही लगातार बन रही है, जबकि जरूरी है कि छात्रों के हक में जल्दी फैसले लिए जाएं। पीसीएस और आरओ-एआरओ का 6 बार मेंस दे चुके संतोष पांडेय कहते हैं, हम दोनों परीक्षाओं के लिए वन डे, वन शिफ्ट चाहते थे। पीसीएस पर तो फैसला दे दिया, लेकिन आरओ को लेकर एक नोटिस जारी कर दी गई। फरवरी में पेपर लीक हुआ तो सीएम योगी ने कहा कि 6 महीने के अंदर परीक्षा करवा ली जाएगी, 6 महीने बीत गए, 3 महीने और बीत गए। क्या उन 9 महीनों में कमेटी बनाकर यह फैसला नहीं कर सकते थे लेकिन इन्होंने नहीं किया। संतोष कहते हैं, प्रयागराज में रहने वाले लड़कों का महीने का खर्च 6-7 हजार है। हर छात्र की स्थिति एक जैसी नहीं है, परिवार ने बहुत सीमित समय देकर भेजा है। खासकर लड़कियों को। उन्हें कम उम्र में ब्याह दिया जाता है। इसलिए उनके ऊपर जल्दी रिजल्ट देने का प्रेशर है, लेकिन आयोग डेढ़ साल में एक परीक्षा नहीं करवा सका है। 'आयोग ने फूट डालने का काम किया'
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र अनूप कहते हैं, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने पीसीएस को पुराने पैटर्न पर किया। लेकिन मैं उनकी तुलना लॉर्ड कर्जन से करना चाहूंगा। जिन्होंने फूट डालो-राज करो जैसा काम किया था। आज वही काम पीसीएस कैंडिडेट और आरओ-एआरओ कैंडिडेट के साथ किया जा रहा। मैं अपील करता हूं कि आरओ-एआरओ कैंडिडेट के साथ जल्द से जल्द न्याय किया जाए, ताकि हम अपने कमरों पर जाकर पढ़ाई कर सकें। अमित द्विवेदी कहते हैं, आयोग और सरकार ने छात्रों को लॉलीपॉप और झुनझुना देने का काम किया है। पीसीएस वाले परीक्षार्थियों को लॉलीपॉप दिया है, आरओ-एआरओ परीक्षार्थियों को झुनझुना दे दिया है, वही लेकर अब युवा अभ्यर्थी बजा रहे हैं। लगातार छात्रों के साथ दुर्व्यहार किया जा रहा। यह सब सरकार के इशारे पर ही हो रहा है। अमित ने कहा, ‘पिछले दिनों पीसीएस-जे में गड़बड़ी हुई, इन्होंने 50 कॉपी मानी जबकि 150 सीटों से ज्यादा पर धांधली हुई। आज 150 फर्जी जज साहब न्याय दे रहे होंगे।’ इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र यादवेंद्र यादव कहते हैं, सरकार कहती है कि हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे। यूपी सरकार कहती है कि हम देश में जीडीपी के मामले में पहले नंबर पर पहुंचने वाले हैं। लेकिन परीक्षा करवाने के मामले में कहते हैं कि हम मंडल से इतनी ही दूरी पर सेंटर बनाएंगे और परीक्षा करवाएंगे। यह तो सरासर धोखा है, सरकार का रवैया तानाशाही भरा है। दिसंबर में आरओ-एआरओ परीक्षा करवा पाना चुनौती
लोक सेवा आयोग ने 5 नवंबर की शाम यूपी पीसीएस प्री परीक्षा की डेट 7-8 दिसंबर को घोषित की। लेकिन अब एक दिन में करवाए जाने की बात कही है। वहीं, आरओ-एआरओ मामले में कमेटी बना दी गई। इसके पीछे की वजह ऐसे समझिए। आयोग ने दो दिन परीक्षा करवाने के लिए 41 जिलों में 978 सेंटर को फाइनल किया था। साथ ही यह भी बताया था कि अगर एक दिन में परीक्षा करवानी होगी तो 1558 सेंटर्स की जरूरत पड़ेगी। इतने सेंटर में परीक्षा करवाना चुनौतीपूर्ण काम होगा। यूपी सरकार के ही एक अधिकारी बताते हैं, यूपी सरकार ने सिपाही भर्ती परीक्षा में एक शिफ्ट में 5 लाख अभ्यर्थियों की परीक्षा करवाई। यह प्रयोग सफल रहा। कहीं भी पेपर लीक जैसी घटना सामने नहीं आई। यही प्रयोग आरओ-एआरओ में भी किया गया। यहां भी 10 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी हैं। प्राइवेट कॉलेज में सेंटर बनाना नहीं है, जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर के दायरे में ही रहना है, ऐसे में एक शिफ्ट में परीक्षा करवा पाना बहुत चुनौती का काम है। आरओ-एआरओ परीक्षा की पहले से तय तारीख 22 दिसंबर और 23 दिसंबर है। ऐसे में सेंटर्स की संख्या बढ़ानी होगी। 41 जिलों के बजाय सभी 75 जिलों में सेंटर्स बनाना होगा। अगर इन चीजों में देरी होती है तो परीक्षा दिसंबर में करवा पाना संभव नहीं होगा। अगले साल की शुरुआत में प्रयागराज में कुंभ का आयोजन है। इसे देखते हुए एक संभावना यह भी जताई जा रही कि परीक्षा मार्च 2025 तक जा सकती है। -------------------- ये खबर भी पढ़ें... यूपी PCS प्री परीक्षा 22 दिसंबर को:RO/ARO परीक्षा की तारीख अभी तय नहीं; 5वें दिन भी छात्र धरने पर उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन (UPPCS) ने प्रोविंशियल सिविल सर्विस (PCS) की प्रारंभिक परीक्षा की नई डेट की घोषणा कर दी। यह परीक्षा अब 22 दिसंबर, 2024 को एक ही दिन होगी। आयोग ने फिलहाल समीक्षा अधिकारी (RO) और सहायक समीक्षा अधिकारी (ARO) की परीक्षा टाल दी है। इसकी तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है। पढ़ें पूरी खबर...