इंडियन एयरफोर्स में 4.5 जनरेशन फाइटर की कमी:114 लड़ाकू विमानों के लिए जल्द जारी होगा टेंडर; 2016 में 36 राफेल खरीदे थे

इंडियन एयरफोर्स 4.5 जेनरेशन वाले फाइटर प्लेन की कमी से जूझ रहा है। एजेंसी के मुताबिक सूत्रों ने बताया कि एयरफोर्स जल्द ही 114 मल्टी रोल फाइटर जेट खरीदने के लिए ओपन टेंडर जारी करने की तैयारी में हैं। एयरफोर्स का मानना ​​है कि नॉर्थ और वेस्टर्न फ्रंट पर चुनौतियों का सामना करने के लिए उसे एडवांस 4.5 जेनरेशन के फाइटर जेट्स की जरूरत है। इससे पहले साल 2016 में सरकार ने 36 राफेल विमान खरीदे थे। सूत्रों के मुताबिक इन एडवांस जेट्स की खरीदी के लिए नॉन-कंट्रोवर्शियल मॉडल अपनाया जाएगा, क्योंकि इन फाइटर जेट्स को भारत में ही बनाया जाएगा। सरकार मेक इन इंडिया प्रोसेस के तहत इन जेट्स को हासिल करने के लिए मल्टी-वेंडर टेंडर के लिए जाएगी, क्योंकि सरकार का मानना है कि वो किसी भी मेजर वेपन सिस्टम का इंपोर्ट नहीं करेगी। इंडियन एयरफोर्स में फाइटर जेट्स के करीब 30 स्क्वॉड्रन हैं। इनमें जगुआर, मिराज-2000 और मिग-29 शामिल हैं। इनमें शामिल कई जेट्स अगले 5-7 साल में रिटायर होने वाले हैं। अगले कुछ महीनों में मिग-21 को भी स्क्वाड्रन से हटाया जाना है। क्या सरकार और अधिक राफेल लड़ाकू जेट खरीदेगी? एजेंसी के मुताबिक आधिकारियों सूत्रों ने कहा है कि कई देशों ने राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी फर्म को राफेल के लिए ऑर्डर दिए हुए हैं। उन ऑर्डर को पूरा करने में हीं कंपनी को 10 साल लग जाएंगे। 59 हजार करोड़ में हुआ था सौदा भारत ने 2016 में फ्रांस से 36 राफेल फाइटर प्लेन की खरीदने के लिए 7.87 अरब यूरो, यानी करीब 59 हजार करोड़ रुपए का समझौता किया था। राफेल का निर्माण फ्रेंच कंपनी दसॉ एविएशन ने किया था। ये मिराज जेट्स भी बनाती है। लंबे इंतजार के बाद पहला राफेल साल 2019 में भारत को मिला था। 9 अक्टूबर 2019 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शस्त्र पूजा करने के साथ ही दैसो कंपनी से पहले राफेल विमान को रिसीव किया था। देश की सुरक्षा के लिए गेमचेंजर माने जा रहे राफेल विमानों की सबसे पहली खेप में पांच विमान अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर जुलाई 2020 में उतरे थे। राफेल कई घातक हथियार और मिसाइल ले जाने में सक्षम, दुनिया के सबसे आधुनिक फाइटर प्लेन में से एक है। इसे भारतीय सेना के लिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण अंबाला एयर फोर्स स्टेशन पर तैनात किया गया है, जो दूरी के लिहाज से पाकिस्तान और चीन दोनों के करीब पड़ता है। भारत और फ्रांस के बीच 26 राफेल मरीन जेट खरीदने की डील भारत और फ्रांस के बीच 26 राफेल मरीन जेट की खरीद को लेकर कई महीनों से बातचीत चल रही है। ये डील लगभर 50 हजार करोड़ (अनुमानित) की है। भारत नौसेना के लिए राफेल-M की डील के लिए बेस प्राइज वही रखना चाहता है, जो 2016 में वायुसेना के लिए 36 विमान खरीदते समय रखी थी। 26 राफेल-एम फाइटर जेट खरीदने की डील पर पहले दौर की चर्चा अगस्त में शुरू हुई थी। तब फ्रांस सरकार और दसॉ कंपनी के अधिकारियों ने रक्षा मंत्रालय की कॉन्ट्रैक्ट नेगोशिएशन कमेटी से चर्चा की थी। 50 हजार करोड़ की यह डील फाइनल होने पर फ्रांस राफेल-M जेट के साथ हथियार, सिमुलेटर, क्रू के लिए ट्रेनिंग और लॉजिस्टक सपोर्ट भी मुहैया कराएगा। इस डील की जानकारी सबसे पहले PM नरेंद्र मोदी की पिछले साल की फ्रांस यात्रा के दौरान सामने आई थी। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने लेटर ऑफ रिक्वेस्ट जारी किया था, जिसे फ्रांस ने दिसंबर 2023 में स्वीकार किया था। पूरी खबर पढ़ें..

Oct 29, 2024 - 18:15
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इंडियन एयरफोर्स में 4.5 जनरेशन फाइटर की कमी:114 लड़ाकू विमानों के लिए जल्द जारी होगा टेंडर; 2016 में 36 राफेल खरीदे थे
इंडियन एयरफोर्स 4.5 जेनरेशन वाले फाइटर प्लेन की कमी से जूझ रहा है। एजेंसी के मुताबिक सूत्रों ने बताया कि एयरफोर्स जल्द ही 114 मल्टी रोल फाइटर जेट खरीदने के लिए ओपन टेंडर जारी करने की तैयारी में हैं। एयरफोर्स का मानना ​​है कि नॉर्थ और वेस्टर्न फ्रंट पर चुनौतियों का सामना करने के लिए उसे एडवांस 4.5 जेनरेशन के फाइटर जेट्स की जरूरत है। इससे पहले साल 2016 में सरकार ने 36 राफेल विमान खरीदे थे। सूत्रों के मुताबिक इन एडवांस जेट्स की खरीदी के लिए नॉन-कंट्रोवर्शियल मॉडल अपनाया जाएगा, क्योंकि इन फाइटर जेट्स को भारत में ही बनाया जाएगा। सरकार मेक इन इंडिया प्रोसेस के तहत इन जेट्स को हासिल करने के लिए मल्टी-वेंडर टेंडर के लिए जाएगी, क्योंकि सरकार का मानना है कि वो किसी भी मेजर वेपन सिस्टम का इंपोर्ट नहीं करेगी। इंडियन एयरफोर्स में फाइटर जेट्स के करीब 30 स्क्वॉड्रन हैं। इनमें जगुआर, मिराज-2000 और मिग-29 शामिल हैं। इनमें शामिल कई जेट्स अगले 5-7 साल में रिटायर होने वाले हैं। अगले कुछ महीनों में मिग-21 को भी स्क्वाड्रन से हटाया जाना है। क्या सरकार और अधिक राफेल लड़ाकू जेट खरीदेगी? एजेंसी के मुताबिक आधिकारियों सूत्रों ने कहा है कि कई देशों ने राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी फर्म को राफेल के लिए ऑर्डर दिए हुए हैं। उन ऑर्डर को पूरा करने में हीं कंपनी को 10 साल लग जाएंगे। 59 हजार करोड़ में हुआ था सौदा भारत ने 2016 में फ्रांस से 36 राफेल फाइटर प्लेन की खरीदने के लिए 7.87 अरब यूरो, यानी करीब 59 हजार करोड़ रुपए का समझौता किया था। राफेल का निर्माण फ्रेंच कंपनी दसॉ एविएशन ने किया था। ये मिराज जेट्स भी बनाती है। लंबे इंतजार के बाद पहला राफेल साल 2019 में भारत को मिला था। 9 अक्टूबर 2019 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शस्त्र पूजा करने के साथ ही दैसो कंपनी से पहले राफेल विमान को रिसीव किया था। देश की सुरक्षा के लिए गेमचेंजर माने जा रहे राफेल विमानों की सबसे पहली खेप में पांच विमान अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर जुलाई 2020 में उतरे थे। राफेल कई घातक हथियार और मिसाइल ले जाने में सक्षम, दुनिया के सबसे आधुनिक फाइटर प्लेन में से एक है। इसे भारतीय सेना के लिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण अंबाला एयर फोर्स स्टेशन पर तैनात किया गया है, जो दूरी के लिहाज से पाकिस्तान और चीन दोनों के करीब पड़ता है। भारत और फ्रांस के बीच 26 राफेल मरीन जेट खरीदने की डील भारत और फ्रांस के बीच 26 राफेल मरीन जेट की खरीद को लेकर कई महीनों से बातचीत चल रही है। ये डील लगभर 50 हजार करोड़ (अनुमानित) की है। भारत नौसेना के लिए राफेल-M की डील के लिए बेस प्राइज वही रखना चाहता है, जो 2016 में वायुसेना के लिए 36 विमान खरीदते समय रखी थी। 26 राफेल-एम फाइटर जेट खरीदने की डील पर पहले दौर की चर्चा अगस्त में शुरू हुई थी। तब फ्रांस सरकार और दसॉ कंपनी के अधिकारियों ने रक्षा मंत्रालय की कॉन्ट्रैक्ट नेगोशिएशन कमेटी से चर्चा की थी। 50 हजार करोड़ की यह डील फाइनल होने पर फ्रांस राफेल-M जेट के साथ हथियार, सिमुलेटर, क्रू के लिए ट्रेनिंग और लॉजिस्टक सपोर्ट भी मुहैया कराएगा। इस डील की जानकारी सबसे पहले PM नरेंद्र मोदी की पिछले साल की फ्रांस यात्रा के दौरान सामने आई थी। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने लेटर ऑफ रिक्वेस्ट जारी किया था, जिसे फ्रांस ने दिसंबर 2023 में स्वीकार किया था। पूरी खबर पढ़ें..

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