इटावा जिला सहकारी बैंक में 102 करोड़ के घोटाले का-मामला:गिरफ्तार सीए भाई-बहन को मिली जमानत

इटावा जिला सहकारी बैंक में हुए 102 करोड़ रुपये के घोटाले में गिरफ्तार आगरा निवासी चार्टर्ड अकाउंटेंट भाई-बहन को बड़ी राहत मिली है। जिला जज ने सबूतों के अभाव में दोनों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। यह पहला मौका है जब इस मामले में किसी आरोपी को जमानत दी गई है। 13 आरोपियों में अब तक केवल इन चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को ही जमानत मिली है, जिनमें 6 बैंक कर्मी भी शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक, आगरा के न्यू राजामंडी निवासी दुर्गेश अग्रवाल और उनके भाई ऋषि अग्रवाल को पुलिस ने 16 अक्टूबर 2024 को गिरफ्तार किया था। अधिवक्ता अश्वनी सिंह ने बताया कि उन्होंने कोर्ट में दलील दी थी कि दोनों आरोपी इस गबन में शामिल नहीं हैं। उनका कहना था कि दुर्गेश और ऋषि ने 2013 से 2021 तक बैंक अधिकारियों को ऑडिट रिपोर्ट के जरिए घोटाले की जानकारी देते रहे, लेकिन अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज कर दिया। इस सम्बंध में उनके वकील अश्वनी सिंह ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि जिला जज की कोर्ट में जमानत के लिए अपनी अर्जी दा​खिल की थी। सोमवार को इस सम्बंध में कोर्ट में सुनवाई हुई। वह गबन के मामले में शामिल नही है। उन्होने कोर्ट को बताया कि सीए दुर्गेश अग्रवाल व रिषी अग्रवाल ने ऑडिट के बाद लगातार 2013 से 2021 तक लगातार बैंक के अधिकारियों को इस सम्बंध में जानकारी देते रहे थे। लेकिन बैंक के अ​धिकारियाें ने इस पर कोई ध्यान ही नही दिया। उनके खाते में किसी तरह का कोई पैसा नहीं गया। इन्ही सभी बिंदुओं को देखते हुए कोर्ट ने सुनवाई के बाद सीए भाई बहन की जमानत मंजूर कर ली है।

Oct 29, 2024 - 08:10
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इटावा जिला सहकारी बैंक में 102 करोड़ के घोटाले का-मामला:गिरफ्तार सीए भाई-बहन को मिली जमानत
इटावा जिला सहकारी बैंक में हुए 102 करोड़ रुपये के घोटाले में गिरफ्तार आगरा निवासी चार्टर्ड अकाउंटेंट भाई-बहन को बड़ी राहत मिली है। जिला जज ने सबूतों के अभाव में दोनों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। यह पहला मौका है जब इस मामले में किसी आरोपी को जमानत दी गई है। 13 आरोपियों में अब तक केवल इन चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को ही जमानत मिली है, जिनमें 6 बैंक कर्मी भी शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक, आगरा के न्यू राजामंडी निवासी दुर्गेश अग्रवाल और उनके भाई ऋषि अग्रवाल को पुलिस ने 16 अक्टूबर 2024 को गिरफ्तार किया था। अधिवक्ता अश्वनी सिंह ने बताया कि उन्होंने कोर्ट में दलील दी थी कि दोनों आरोपी इस गबन में शामिल नहीं हैं। उनका कहना था कि दुर्गेश और ऋषि ने 2013 से 2021 तक बैंक अधिकारियों को ऑडिट रिपोर्ट के जरिए घोटाले की जानकारी देते रहे, लेकिन अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज कर दिया। इस सम्बंध में उनके वकील अश्वनी सिंह ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि जिला जज की कोर्ट में जमानत के लिए अपनी अर्जी दा​खिल की थी। सोमवार को इस सम्बंध में कोर्ट में सुनवाई हुई। वह गबन के मामले में शामिल नही है। उन्होने कोर्ट को बताया कि सीए दुर्गेश अग्रवाल व रिषी अग्रवाल ने ऑडिट के बाद लगातार 2013 से 2021 तक लगातार बैंक के अधिकारियों को इस सम्बंध में जानकारी देते रहे थे। लेकिन बैंक के अ​धिकारियाें ने इस पर कोई ध्यान ही नही दिया। उनके खाते में किसी तरह का कोई पैसा नहीं गया। इन्ही सभी बिंदुओं को देखते हुए कोर्ट ने सुनवाई के बाद सीए भाई बहन की जमानत मंजूर कर ली है।

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