उगते सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाओं ने तोड़ा व्रत:लखनऊ के संकट मोचन धाम परिसर में धूमधाम से मना छठ महोत्सव

गोमती नगर विस्तार स्थित संकट मोचन धाम खरगापुर में शुक्रवार की सुबह व्रती महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। इसके पूर्व व्रती महिलाओं ने देर तक पानी में खड़ी होकर सूर्य भगवान के उगने का इंतजार किया। यहां भोर से व्रतियों का आना शुरू हो गया था। छठ के पारंपरिक गीतों के बीच व्रतियों ने पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। इस पवित्र अवसर पर परिवार के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र थे। शुक्रवार को छठ पूजा का यह आखिरी चरण था। मंगलवार को नहाय - खाय से शुरू हुआ यह महापर्व उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूरा हुआ। यह व्रत निर्जला किया जाता है। महिलाओं के लिए यह सबसे कठिन व्रत माना जाता है। व्रतियों ने घाट पर संकल्प लेकर भगवान सूर्य देवता से अपने परिवार के सुख - शांति और समृद्धि की कामना की। छठ पूजा के दौरान लोकगीतों की गूंज और पूजा की विधि ने वातावरण को और भी पवित्र बना दिया। यह पूजा सामाजिक सौहार्द, एकता और भाईचारे को बढ़ावा दे रही थी। इसमें जाति - धर्म से परे सभी लोग एक साथ मिलकर सूर्य देवता की पूजा करते हैं। शुक्रवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इस महापर्व का समापन किया गया। झूलेलाल घाट पर आयोजित इस पूजा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अपने परिजनों के साथ शामिल होकर छठ माई की पूजा की। सभी ने इस पवित्र पर्व के अवसर पर छठ माई के आशीर्वाद से अपने परिवार में खुशहाली की कामना की। इस मौके पर शिमला सिंह, निर्मला सिंह, पूनम गुप्ता, रोली समेत तमाम महिलाओं ने भागीदारी निभाई सिंदूर लगाकर पति के लंबी उम्र की कामना मंदिर परिसर में छठ पूजा के दौरान अद्भुत नजारा देखने को मिला। यहां महिलाओं ने नाक तक सिंदूर लगा रखा था। इस मौके पर सुहागिनों ने एक दूसरे को सिंदूर लगाया। माना जाता है कि इस मौके पर सिंदूर लगाने से छठ मैया पति को लंबी उम्र देती हैं। कम उम्र की महिलाएं अपने से बड़ी उम्र की महिलाओं का पैर छूकर आशीर्वाद लेती दिखी।

Nov 8, 2024 - 19:40
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उगते सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाओं ने तोड़ा व्रत:लखनऊ के संकट मोचन धाम परिसर में धूमधाम से मना छठ महोत्सव
गोमती नगर विस्तार स्थित संकट मोचन धाम खरगापुर में शुक्रवार की सुबह व्रती महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। इसके पूर्व व्रती महिलाओं ने देर तक पानी में खड़ी होकर सूर्य भगवान के उगने का इंतजार किया। यहां भोर से व्रतियों का आना शुरू हो गया था। छठ के पारंपरिक गीतों के बीच व्रतियों ने पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। इस पवित्र अवसर पर परिवार के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र थे। शुक्रवार को छठ पूजा का यह आखिरी चरण था। मंगलवार को नहाय - खाय से शुरू हुआ यह महापर्व उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूरा हुआ। यह व्रत निर्जला किया जाता है। महिलाओं के लिए यह सबसे कठिन व्रत माना जाता है। व्रतियों ने घाट पर संकल्प लेकर भगवान सूर्य देवता से अपने परिवार के सुख - शांति और समृद्धि की कामना की। छठ पूजा के दौरान लोकगीतों की गूंज और पूजा की विधि ने वातावरण को और भी पवित्र बना दिया। यह पूजा सामाजिक सौहार्द, एकता और भाईचारे को बढ़ावा दे रही थी। इसमें जाति - धर्म से परे सभी लोग एक साथ मिलकर सूर्य देवता की पूजा करते हैं। शुक्रवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इस महापर्व का समापन किया गया। झूलेलाल घाट पर आयोजित इस पूजा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अपने परिजनों के साथ शामिल होकर छठ माई की पूजा की। सभी ने इस पवित्र पर्व के अवसर पर छठ माई के आशीर्वाद से अपने परिवार में खुशहाली की कामना की। इस मौके पर शिमला सिंह, निर्मला सिंह, पूनम गुप्ता, रोली समेत तमाम महिलाओं ने भागीदारी निभाई सिंदूर लगाकर पति के लंबी उम्र की कामना मंदिर परिसर में छठ पूजा के दौरान अद्भुत नजारा देखने को मिला। यहां महिलाओं ने नाक तक सिंदूर लगा रखा था। इस मौके पर सुहागिनों ने एक दूसरे को सिंदूर लगाया। माना जाता है कि इस मौके पर सिंदूर लगाने से छठ मैया पति को लंबी उम्र देती हैं। कम उम्र की महिलाएं अपने से बड़ी उम्र की महिलाओं का पैर छूकर आशीर्वाद लेती दिखी।

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