उत्तराखंड में 250 रुपये के बदले 1 लाख 20 हजार की मांग, प्रभारी सचिव की गिरफ्तारी
काशीपुर : उत्तराखंड की मंडी समितियों में चल रहे कथित भ्रष्टाचार की परतें एक बार फिर खुलने लगी हैं। फल-सब्जी मंडी समिति के प्रभारी सचिव पूरन सिंह सैनी को विजिलेंस टीम ने 1.20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ धर दबोचा। वह दुकानदारों से लाइसेंस रिन्यूवल के नाम पर अवैध वसूली कर रहे थे, …

उत्तराखंड में 250 रुपये के बदले 1 लाख 20 हजार की मांग, प्रभारी सचिव की गिरफ्तारी
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By Priya Sharma and Neha Verma, Team India Twoday
काशीपुर में भ्रष्टाचार का खुलासा
कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड के काशीपुर में मंडी समितियों में आई भ्रष्टाचार की लहर ने एक बार फिर से गंभीर मुद्दे को उजागर किया है। फल-सब्जी मंडी समिति के प्रभारी सचिव पूरन सिंह सैनी को विजिलेंस टीम ने 1.20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया। उन्होंने दुकानदारों से लाइसेंस नवीनीकरण के नाम पर यह धनराशि मांग रहे थे, जबकि असली विभागीय शुल्क केवल 250 रुपये था।
दुकानदारों की शिकायत का असर
ग्राम सरवरखेड़ा के फल-सब्जी मंडी में काम कर रहे स्थानीय दुकानदारों—शफायत चौधरी और शकील चौधरी—ने दशकों से अपनी दुकानें खोली हुई हैं। इस बार जब उन्होंने लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए आवेदन किया, तो सचिव सैनी ने उनसे 60-60 हजार रुपये की अवैध 'सुविधा शुल्क' की मांग की। निराश दुकानदारों ने कई बार निवेदन किया, लेकिन जब समस्या का हल नहीं हुआ, तो उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी हेल्पलाइन नंबर 1064 पर शिकायत दर्ज करवाई।
विजिलेंस टीम की कार्रवाई
दुकानदारों की शिकायत पर प्रतिक्रिया देते हुए, मंगलवार को विजिलेंस टीम ने मंडी समिति कार्यालय में सैनी को रंगेहाथ रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया। इस घटना के दौरान मंडी परिसर में हड़कंप मच गया, जहां अन्य व्यापारी और कर्मचारी इकट्ठा हुए और पुलिस ने समिति के कार्यालय को घेर लिया। इस बात की पुष्टि विजिलेंस टीम ने की कि उन्होंने सभी संबंधित पक्षों से देर रात तक पूछताछ की।
पुरान इतिहास की परतें
पूरन सिंह सैनी का कार्यकाल विवादास्पद रहा है। वह पिछले 15-20 वर्षों से मंडी समिति में अकाउंटेंट के पद पर काम कर रहे थे और दो महीने पूर्व ही प्रभारी सचिव की जिम्मेदारी संभाली थी। ज्ञात हो कि उनका रिटायरमेंट अब केवल सात से आठ महीने की दूरी पर है। दुकानदारों का कहना है कि उनके पहले कार्यकाल में भी काम बिना रिश्वत के नहीं होता था, जो उनकी प्रशासनिक साख को और कमज़ोर करता है।
भ्रष्टाचार की गंभीरता
मंडी समिति के व्यापारी बताते हैं कि दरअसल विभागीय शुल्क तो केवल 250 रुपये है, लेकिन अधिकांश व्यापारी रिश्वत की मांग को अनिवार्य मानते हैं, जो 30 से 60 हजार रुपये तक पहुंच जाती है। फल मंडी में यह रकम 60 हजार तक और अनाज मंडी में 35 हजार रुपये तक होती है। यह स्थिति केवल व्यवसायियों के लिए ही नहीं, बल्कि आम जन के लिए भी चिंताजनक हो रही है।
भविष्य की उम्मीद
विजिलेंस टीम अब पूरन सिंह सैनी से नवीनतम जानकारी हासिल कर रही है और मंडी समितियों में भर्ती भ्रष्टाचार के अन्य पहलुओं की जांच कर रही है। यह घटना निश्चित तौर पर उत्तराखंड प्रशासन की स्थिति एवं भ्रष्टाचार की स्थिति को स्पष्ट करने में मददगार होगी।
निष्कर्ष
इस पूरे मामले से स्पष्ट हो गया है कि भ्रष्टाचार की समस्या जड़ से गहरी है और इससे बाहर निकलना आसान नहीं है। हालांकि, इस प्रकार की कार्रवाई से शायद सुधार की आस बनी रह सकती है। हम आशा करते हैं कि सरकार तथा प्रशासन इस गंभीर मुद्दे को संबोधित करने के लिए ठोस कदम उठाएगी।
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