उत्तराखंड में कुदरत का कहर: 2013 के बाद 2025 में क्यों आई संकट की घड़ी?

2013 की तरह 2025 का मानसून भी बना काल, उत्तराखंड पर टूटा कुदरत का कहर l देहरादून: उत्तराखंड के इतिहास में 2013 की केदारनाथ त्रासदी को अब तक की सबसे भयावह आपदा माना जाता रहा है। लेकिन 2025 का मानसून भी किसी काले अध्याय से कम नहीं रहा। इस बार कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया […] The post कुदरत का कहर: 2013 के बाद 2025 में क्यों टूटा उत्तराखंड पर इतना बड़ा संकट? first appeared on Vision 2020 News.

Sep 19, 2025 - 18:27
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उत्तराखंड में कुदरत का कहर: 2013 के बाद 2025 में क्यों आई संकट की घड़ी?
2013 की तरह 2025 का मानसून भी बना काल, उत्तराखंड पर टूटा कुदरत का कहर l देहरादून: उत्तराखंड के इतिहास में 2

उत्तराखंड में कुदरत का कहर: 2013 के बाद 2025 में क्यों आई संकट की घड़ी?

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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड में 2025 का मानसून भी उतना ही भयानक साबित हुआ जितना कि 2013 की केदारनाथ त्रासदी। इस बार भी कुदरत ने कहर ढाया और हजारों परिवारों को प्रभावित किया।

देहरादून: उत्तराखंड की धरती पर कुदरत ने एक बार फिर अपने क्रोध का प्रदर्शन किया है। 2013 की केदारनाथ आपदा को भुला पाना भले ही मुश्किल हो, पर 2025 का मानसून भी किसी काले अध्याय से कम नहीं रहा। इस वर्ष अगस्त और सितंबर के शुरुआती दिनों में कुदरत ने जो त्रासदी दी, उसने हमें याद दिला दिया कि हम इस आपदाओं से कब तक अनजान रह सकते हैं।

5 अगस्त: धराली का विनाश

उत्तरकाशी जिले के धराली कस्बे में खीरगंगा नाले के अचानक आए मंसूस बाढ़ ने पूरे कस्बे को कुछ ही मिनटों में बदल कर रख दिया।

  • इस बाढ़ में 69 लोगों की जान गई, लेकिन अभी तक केवल 2 शव ही मिल पाए हैं।
  • 116 होटल, दुकानें और 112 मकान मलबे में समा गए हैं।
  • धराली, जो कभी पर्यटन और कृषि का केंद्र था, अब खंडहर में तब्दील हो चुका है।

सेब के बाग और आलू की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं।

16 सितंबर: देहरादून में मौत की बारिश

उत्तराखंड में तबाही का दूसरा बड़ा दिन 16 सितंबर को आया जब देहरादून जिले में भारी बारिश और बाढ़ ने कहर बरपाया।

  • इस दिन 37 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 10 शव अब तक नहीं मिल सके।
  • पिथौरागढ़ और नैनीताल में भी एक-एक व्यक्ति की मौत हुई।
  • देहरादून में 32 पुल बह गए और पूरा शहर तबाही के मंजर में डूब गया।

तबाही का संक्षिप्त आंकड़ा

इस मानसून सीजन में पूरे राज्य पर गहरा असर पड़ा।

  • 213 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 110 शवों का अभी तक पता नहीं चला है।
  • उत्तरकाशी, देहरादून, चमोली और नैनीताल समेत पूरा राज्य प्रभावित हुआ।

ये केवल आंकड़े नहीं हैं, बल्कि हजारों परिवारों की कहानियों का दस्तावेज हैं।

चेतावनी: क्या हम सीख रहे हैं?

विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड की नाजुक भौगोलिक स्थिति, जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित विकास हर साल ऐसी आपदाओं को निमंत्रण दे रहे हैं। धराली और देहरादून की यह त्रासदी एक चेतावनी है। सवाल यह है कि हम क्या इन घटनाओं से सीख रहे हैं, या फिर अगली आपदा की फिर से प्रतीक्षा कर रहे हैं?

आपातकालीन स्थिति में समुदायों की सुरक्षा और पुनर्निर्माण के प्रयासों के लिए सरकार की योजना को अधिक मजबूती और तत्परता से क्रियान्वित करने की आवश्यकता है।

जानकारी के लिए और अपडेट्स के लिए, यहाँ क्लिक करें.

संपादकीय टीम इंडिया टुडे द्वारा, प्रियंका शर्मा।

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