उन्नाव जिला कारागार में दिवाली की तैयारी:बंदियों ने बनाए गाय के गोबर के दीपक, घर होंगे रोशन

उन्नाव में दिवाली के त्योहार की तैयारी को लेकर उन्नाव जिला कारागार में महिला और पुरुष बंदियों द्वारा गाय के गोबर के हजारों दीपक बनाए जा रहे हैं। यह पहल न केवल त्योहार के उल्लास को बढ़ाने के लिए है बल्कि यह बंदियों को एक सकारात्मक गतिविधि मे संलग्न करती है। महिला बंदियों ने बताया कि उन्हें समूह के रूप में गाय के गोबर के दीपक बनाने की विधि सिखाई गई है। इस प्रक्रिया में उन्हें न केवल नई तकनीकें सीखने का अवसर मिल रहा है बल्कि वे अपनी कला और रचनात्मकता को भी प्रकट कर रही हैं। "हम रोजाना इन दीपकों को बनाने में जुटे हैं और यह अनुभव बहुत संतोषजनक है," एक महिला बंदी ने कहा। गाय के गोबर के दीपक, एक पारंपरिक विकल्प गाय के गोबर के दीपक बनाने की परंपरा भारतीय संस्कृति में सदियों से प्रचलित है। यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि इसे बनाने में भी बहुत कम संसाधनों की आवश्यकता होती है। जेल में यह कार्य बंदियों के लिए न केवल व्यस्तता का साधन है बल्कि उन्हें त्योहार की खुशी में भागीदारी का अहसास भी कराता है। जेल अधीक्षक ने इस कार्य की सराहना करते हुए कहा, "यह पहल न केवल बंदियों को व्यस्त रखने का काम कर रही है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी प्रेरित कर रही है।" उन्होंने कहा कि इस बार जेल में बने दीपक त्यौहार के दौरान उनके घरों को रोशन करेंगे। जिससे परिवारों में खुशियों का संचार होगा। महिला बंदियों का समूह इस कार्य में विशेष रूप से सक्रिय है। वे दिन-रात मेहनत कर रही हैं और दीपकों को सजाने के लिए विभिन्न रंगों और डिजाइनों का प्रयोग कर रही हैं। "हम चाहते हैं कि हमारे बनाए दीपक लोगों के घरों में खुशियाँ और रोशनी लाएं," बंदियों की यह मेहनत इस बात का प्रतीक है कि वे अपनी गलतियों से सीख रहे हैं और समाज में पुनः शामिल होने के लिए तत्पर हैं। उन्होंने कहा, "हम अपने परिवारों के लिए इन दीपकों को बनाकर एक संदेश देना चाहते हैं कि हम सुधार कर रहे हैं और एक नई शुरुआत करने के लिए तैयार हैं।"

Oct 31, 2024 - 09:05
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उन्नाव जिला कारागार में दिवाली की तैयारी:बंदियों ने बनाए गाय के गोबर के दीपक, घर होंगे रोशन
उन्नाव में दिवाली के त्योहार की तैयारी को लेकर उन्नाव जिला कारागार में महिला और पुरुष बंदियों द्वारा गाय के गोबर के हजारों दीपक बनाए जा रहे हैं। यह पहल न केवल त्योहार के उल्लास को बढ़ाने के लिए है बल्कि यह बंदियों को एक सकारात्मक गतिविधि मे संलग्न करती है। महिला बंदियों ने बताया कि उन्हें समूह के रूप में गाय के गोबर के दीपक बनाने की विधि सिखाई गई है। इस प्रक्रिया में उन्हें न केवल नई तकनीकें सीखने का अवसर मिल रहा है बल्कि वे अपनी कला और रचनात्मकता को भी प्रकट कर रही हैं। "हम रोजाना इन दीपकों को बनाने में जुटे हैं और यह अनुभव बहुत संतोषजनक है," एक महिला बंदी ने कहा। गाय के गोबर के दीपक, एक पारंपरिक विकल्प गाय के गोबर के दीपक बनाने की परंपरा भारतीय संस्कृति में सदियों से प्रचलित है। यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि इसे बनाने में भी बहुत कम संसाधनों की आवश्यकता होती है। जेल में यह कार्य बंदियों के लिए न केवल व्यस्तता का साधन है बल्कि उन्हें त्योहार की खुशी में भागीदारी का अहसास भी कराता है। जेल अधीक्षक ने इस कार्य की सराहना करते हुए कहा, "यह पहल न केवल बंदियों को व्यस्त रखने का काम कर रही है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी प्रेरित कर रही है।" उन्होंने कहा कि इस बार जेल में बने दीपक त्यौहार के दौरान उनके घरों को रोशन करेंगे। जिससे परिवारों में खुशियों का संचार होगा। महिला बंदियों का समूह इस कार्य में विशेष रूप से सक्रिय है। वे दिन-रात मेहनत कर रही हैं और दीपकों को सजाने के लिए विभिन्न रंगों और डिजाइनों का प्रयोग कर रही हैं। "हम चाहते हैं कि हमारे बनाए दीपक लोगों के घरों में खुशियाँ और रोशनी लाएं," बंदियों की यह मेहनत इस बात का प्रतीक है कि वे अपनी गलतियों से सीख रहे हैं और समाज में पुनः शामिल होने के लिए तत्पर हैं। उन्होंने कहा, "हम अपने परिवारों के लिए इन दीपकों को बनाकर एक संदेश देना चाहते हैं कि हम सुधार कर रहे हैं और एक नई शुरुआत करने के लिए तैयार हैं।"

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