औरैया में श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ:भव्य कलश यात्रा में उमड़े भक्त, कथावाचक मनोज अवस्थी ने श्रोताओं को सुनाई कथा

औरैया के सतेश्वर ब्लॉक स्थित श्रीमद्भागवत कथा पंडाल में साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ। इस अवसर पर शहर के प्रमुख मार्गों पर से होकर कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं, पुरुषों और बच्चों ने उत्साह के साथ भाग लिया। कलश यात्रा कथा स्थल से शुरू होकर बैंड बाजों के साथ विभिन्न मार्गों से होकर पुनः कथा स्थल पर पहुंची। यहां कथा के प्रथम दिन अंतरराष्ट्रीय कथावाचक आचार्य मनोज अवस्थी जी महाराज ने कथा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा देवताओं के लिए भी दुर्लभ मानी जाती है। उन्होंने कहा कि जब ब्रह्माजी ने सत्यलोक में तराजू पर विभिन्न साधनों, व्रत, यज्ञ, ध्यान और मूर्तिपूजा को तोला, तो सभी साधन हल्के पड़ गए, जबकि भागवत सबसे अधिक महत्वपूर्ण साबित हुई। महाराज ने कहा कि जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी लीला समाप्त कर निजधाम जाने लगे, तब भक्तों की प्रार्थना पर उन्होंने कहा कि वे श्रीमद्भागवत में ही समाहित हैं और यही शाश्वत रूप में उनकी उपस्थिति का प्रतीक है। इस ग्रंथ का श्रवण करने से भक्ति प्राप्त होती है और यह मोक्ष प्रदान करने में सक्षम है। इस मौके पर परीक्षित ममता, अर्चना पुरवार, ज्योति पुरवार, नेहा पुरवार, राधा पुरवार, स्वाति पुरवार, आकांक्षा पुरवार, रमाकांत अवस्थी, शिव कुमार श्रीवास्तव, विपिन पुरवार, विवेक पुरवार, विनय पुरवार, रामवीर चौहान, विकास पुरवार, ब्रजेश यादव, विजय कांत पुरवार, अनिल गुप्ता, आनंद नाथ गुप्ता, आचार्य केशवम अवस्थी, विशाल चौहान, विनय पोरवाल सहित अन्य भक्तजन उपस्थित रहे।

Nov 5, 2024 - 11:05
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औरैया में श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ:भव्य कलश यात्रा में उमड़े भक्त, कथावाचक मनोज अवस्थी ने श्रोताओं को सुनाई कथा
औरैया के सतेश्वर ब्लॉक स्थित श्रीमद्भागवत कथा पंडाल में साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ। इस अवसर पर शहर के प्रमुख मार्गों पर से होकर कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं, पुरुषों और बच्चों ने उत्साह के साथ भाग लिया। कलश यात्रा कथा स्थल से शुरू होकर बैंड बाजों के साथ विभिन्न मार्गों से होकर पुनः कथा स्थल पर पहुंची। यहां कथा के प्रथम दिन अंतरराष्ट्रीय कथावाचक आचार्य मनोज अवस्थी जी महाराज ने कथा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा देवताओं के लिए भी दुर्लभ मानी जाती है। उन्होंने कहा कि जब ब्रह्माजी ने सत्यलोक में तराजू पर विभिन्न साधनों, व्रत, यज्ञ, ध्यान और मूर्तिपूजा को तोला, तो सभी साधन हल्के पड़ गए, जबकि भागवत सबसे अधिक महत्वपूर्ण साबित हुई। महाराज ने कहा कि जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी लीला समाप्त कर निजधाम जाने लगे, तब भक्तों की प्रार्थना पर उन्होंने कहा कि वे श्रीमद्भागवत में ही समाहित हैं और यही शाश्वत रूप में उनकी उपस्थिति का प्रतीक है। इस ग्रंथ का श्रवण करने से भक्ति प्राप्त होती है और यह मोक्ष प्रदान करने में सक्षम है। इस मौके पर परीक्षित ममता, अर्चना पुरवार, ज्योति पुरवार, नेहा पुरवार, राधा पुरवार, स्वाति पुरवार, आकांक्षा पुरवार, रमाकांत अवस्थी, शिव कुमार श्रीवास्तव, विपिन पुरवार, विवेक पुरवार, विनय पुरवार, रामवीर चौहान, विकास पुरवार, ब्रजेश यादव, विजय कांत पुरवार, अनिल गुप्ता, आनंद नाथ गुप्ता, आचार्य केशवम अवस्थी, विशाल चौहान, विनय पोरवाल सहित अन्य भक्तजन उपस्थित रहे।

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