कब शुरू हुआ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का विवाद:​​​​​​​एससी-एसटी और ओबीसी को रिजर्वेशन नहीं; कैसे मिला ये अधिकार?

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी यानी एमयू को अल्पसंख्यक दर्जा का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फिर चर्चा में है। एमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर फैसला अब सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार ने कहा कि बेंच इस फैक्ट की जांच करेगी कि क्या AMU को अल्पसंख्यकों ने स्थापित किया था। सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की संवैधानिक बेंच ने 4:3 के बहुमत से फैसला दिया कि AMU संविधान के आर्टिकल 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे का दावा कर सकती है। क्या अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान, अल्पसंख्यकों को कैसे मिलता है विशेषाधिकारी, एससी-एसटी और ओबीसी को आरक्षण क्यों नहीं मिलता? जानिए भास्कर एक्सप्लेनर में सबकुछ… सवाल: देश में कौन-कौन अल्पसंख्यक हैं? जवाब: भारत में मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध अल्पसंख्यक माने जाते हैं, लेकिन कुछ राज्यों में ये बहुसंख्यक हैं। जैसे- जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं और नगालैंड में ईसाई। सवाल: कैसे बनते हैं अल्पसंख्यक संस्थान? जवाब: संविधान के 30वें अनुच्छेद के मुताबिक, अल्पसंख्यक अपने शैक्षणिक संस्थान स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्थापित कर सकते हैं। ये अनुच्छेद उन्हें गारंटी देता है कि सरकार इन संस्थानों को फंड देने में कोई भेदभाव नहीं करेगी। नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स एक्ट के तहत किसी भी राज्य की जनसंख्या के हिसाब से जो भी अल्पसंख्यक हों, वो अपने शैक्षणिक संस्थान शुरू कर सकते हैं। लेकिन बहुसंख्यक लोगों को अपने राज्य में अल्पसंख्यक संस्थान खोलने की इजाजत नहीं है। जैसे-पंजाब में सिख, नगालैंड में ईसाई, जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं, ये अपने राज्य में अल्पसंख्यक संस्थान नहीं खोल सकते। सवाल: अल्पसंख्यक दर्जे के लिए क्या करना होता है? जवाब: देश का कोई भी अल्पसंख्यक व्यक्ति या संस्था को शैक्षणिक संस्थान शुरू करने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए शर्तें हैं। इसी तरह कोई भी शैक्षणिक संस्थान खुद को माइनॉरिटी स्टेटस दिलाने के लिए एप्लीकेशन दे सकता है। नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेने के बाद संस्थान को माइनॉरिटी स्टेटस मिल जाता है। पहली शर्त- उसे ये साबित करना होगा कि वो धर्म या भाषा के आधार पर एक अल्पसंख्यक समुदाय है। दूसरा- जिसके लिए माइनॉरिटी स्टेटस मांगा जा रहा है, वो संस्थान उसी अल्पसंख्यक समुदाय ने ही शुरू किया है। सवाल: माइनॉरिटी संस्थानों के क्या अधिकार होते हैं? जवाब: ऐसे कॉलेज या यूनिवर्सिटी जो अल्पसंख्यकों के लिए बनाए गए हैं, उनको छूट होती है कि अपनी शर्तों के मुताबिक स्टूडेंट्स को एडमिशन दे सकें, लेकिन इसमें एक तय संख्या में बहुसंख्यक समुदाय के स्टूडेंट्स का होना भी जरूरी है। ये अपना अलग एडमिशन प्रोसेस रख सकते हैं, जो पारदर्शी और न्यायपूर्ण होना चाहिए। वो अपना अलग फीस स्ट्रक्चर भी रख सकते हैं। सवाल: किस नियम के तहत अल्पसंख्यक संस्थानों में एससी-एसटी और ओबीसी को आरक्षण नहीं मिलता? जवाब: संविधान के मुताबिक अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान एससी-एसटी आरक्षण के दायरे से बाहर हैं। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 (5) कहता है कि राज्य को किसी भी व्यवसायिक गतिविधि को चलाने या उन्हें रोकने के लिए सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए कोई विशेष प्रावधान करने से नहीं रोका जा सकता। इसके लिए शैक्षणिक संस्थान भी खोले जा सकते हैं और उनमें किसी दूसरे जाति-धर्म-भाषा के आधार पर अन्य पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं होगा, जिसे 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया और लागू कर दिया। राइट टू एजुकेशन एक्ट में आर्थिक रूप से पिछड़े 6 से 14 साल के बच्चों को स्कूलों में 25 फीसदी आरक्षण मिलता है, लेकिन माइनॉरिटी स्टेटस वाले स्कूलों पर यह नियम लागू नहीं होता है। सवाल: अल्पसंख्यक स्टेटस को लेकर विवाद की शुरुआत कहां से शुरू हुई? जवाब: अल्पसंख्यक स्टेटस को लेकर बहस की शुरुआत भी एमयू से ही है। दावा किया गया था कि एमयू एक माइनॉरिटी संस्थान नहीं है। इसके बाद से दूसरे अल्पसंख्यक संस्थानों को लेकर भी विवाद सामने आए। सवाल: क्या 100% सीटें अल्पसंख्यक संस्थान में आरक्षित हो सकती है? जवाब: नहीं। किसी भी अल्पसंख्यक संस्थान में पूरी तरह से अल्पसंख्यकों के लिए सीटें रिजर्व नहीं किया जा सकता। अधिकतम 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखी जा सकती हैं। लेकिन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने अपने मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए 75% सीटें मुस्लिमों के लिए आरक्षित कर दी थी। जबकि सामान्य वर्ग के लिए सिर्फ 25% सीटें ही रखी गई थी। इसी मामले को लेकर छात्र इलाहाबाद हाई कोर्ट चले गए। 2006 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1981 में केंद्र सरकार के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर किए गए संविधान संशोधन को अमान्य करार दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने कानून में संशोधन करके सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक फैसले (जिसमें एमयू को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना गया था) को गलत तरीके से बदलने की कोशिश की है। 2006 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद से अभी तक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पास अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा नहीं है। सवाल: कितने माइनॉरिटी संस्थान हैं देश में? जवाब: अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने जुलाई 2019 में लोकसभा में बताया था कि अभी तक तकरीबन 13,555 शिक्षण संस्थानों को माइनॉरिटी स्टेटस दिया गया है। इनमें तकरीबन 26.45 लाख स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं। 2011 में माइनॉरिटी स्टेटस मिलने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने भी 50 फीसदी सीटें मुस्लिम कैंडिडेट्स के लिए आरक्षित कर दी हैं। सबसे प्रसिद्ध माइनॉरिटी स्टेट वाले संस्थान जामिया मिल्लिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, सेंट स्टीफंस कॉलेज, श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज है। ------------------------------ ये भी पढ़ें: AMU अल्पसंख्यक दर्जे पर नई बेंच फैसला करेगी:सुप्रीम कोर्ट ने 1967 का फैसला पलटा; जिसमें कहा था- यह सेंट्रल यूनिवर्सिटी, माइनॉर

Nov 9, 2024 - 05:55
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कब शुरू हुआ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का विवाद:​​​​​​​एससी-एसटी और ओबीसी को रिजर्वेशन नहीं; कैसे मिला ये अधिकार?
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी यानी एमयू को अल्पसंख्यक दर्जा का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फिर चर्चा में है। एमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर फैसला अब सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार ने कहा कि बेंच इस फैक्ट की जांच करेगी कि क्या AMU को अल्पसंख्यकों ने स्थापित किया था। सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की संवैधानिक बेंच ने 4:3 के बहुमत से फैसला दिया कि AMU संविधान के आर्टिकल 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे का दावा कर सकती है। क्या अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान, अल्पसंख्यकों को कैसे मिलता है विशेषाधिकारी, एससी-एसटी और ओबीसी को आरक्षण क्यों नहीं मिलता? जानिए भास्कर एक्सप्लेनर में सबकुछ… सवाल: देश में कौन-कौन अल्पसंख्यक हैं? जवाब: भारत में मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध अल्पसंख्यक माने जाते हैं, लेकिन कुछ राज्यों में ये बहुसंख्यक हैं। जैसे- जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं और नगालैंड में ईसाई। सवाल: कैसे बनते हैं अल्पसंख्यक संस्थान? जवाब: संविधान के 30वें अनुच्छेद के मुताबिक, अल्पसंख्यक अपने शैक्षणिक संस्थान स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्थापित कर सकते हैं। ये अनुच्छेद उन्हें गारंटी देता है कि सरकार इन संस्थानों को फंड देने में कोई भेदभाव नहीं करेगी। नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स एक्ट के तहत किसी भी राज्य की जनसंख्या के हिसाब से जो भी अल्पसंख्यक हों, वो अपने शैक्षणिक संस्थान शुरू कर सकते हैं। लेकिन बहुसंख्यक लोगों को अपने राज्य में अल्पसंख्यक संस्थान खोलने की इजाजत नहीं है। जैसे-पंजाब में सिख, नगालैंड में ईसाई, जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं, ये अपने राज्य में अल्पसंख्यक संस्थान नहीं खोल सकते। सवाल: अल्पसंख्यक दर्जे के लिए क्या करना होता है? जवाब: देश का कोई भी अल्पसंख्यक व्यक्ति या संस्था को शैक्षणिक संस्थान शुरू करने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए शर्तें हैं। इसी तरह कोई भी शैक्षणिक संस्थान खुद को माइनॉरिटी स्टेटस दिलाने के लिए एप्लीकेशन दे सकता है। नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेने के बाद संस्थान को माइनॉरिटी स्टेटस मिल जाता है। पहली शर्त- उसे ये साबित करना होगा कि वो धर्म या भाषा के आधार पर एक अल्पसंख्यक समुदाय है। दूसरा- जिसके लिए माइनॉरिटी स्टेटस मांगा जा रहा है, वो संस्थान उसी अल्पसंख्यक समुदाय ने ही शुरू किया है। सवाल: माइनॉरिटी संस्थानों के क्या अधिकार होते हैं? जवाब: ऐसे कॉलेज या यूनिवर्सिटी जो अल्पसंख्यकों के लिए बनाए गए हैं, उनको छूट होती है कि अपनी शर्तों के मुताबिक स्टूडेंट्स को एडमिशन दे सकें, लेकिन इसमें एक तय संख्या में बहुसंख्यक समुदाय के स्टूडेंट्स का होना भी जरूरी है। ये अपना अलग एडमिशन प्रोसेस रख सकते हैं, जो पारदर्शी और न्यायपूर्ण होना चाहिए। वो अपना अलग फीस स्ट्रक्चर भी रख सकते हैं। सवाल: किस नियम के तहत अल्पसंख्यक संस्थानों में एससी-एसटी और ओबीसी को आरक्षण नहीं मिलता? जवाब: संविधान के मुताबिक अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान एससी-एसटी आरक्षण के दायरे से बाहर हैं। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 (5) कहता है कि राज्य को किसी भी व्यवसायिक गतिविधि को चलाने या उन्हें रोकने के लिए सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए कोई विशेष प्रावधान करने से नहीं रोका जा सकता। इसके लिए शैक्षणिक संस्थान भी खोले जा सकते हैं और उनमें किसी दूसरे जाति-धर्म-भाषा के आधार पर अन्य पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं होगा, जिसे 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया और लागू कर दिया। राइट टू एजुकेशन एक्ट में आर्थिक रूप से पिछड़े 6 से 14 साल के बच्चों को स्कूलों में 25 फीसदी आरक्षण मिलता है, लेकिन माइनॉरिटी स्टेटस वाले स्कूलों पर यह नियम लागू नहीं होता है। सवाल: अल्पसंख्यक स्टेटस को लेकर विवाद की शुरुआत कहां से शुरू हुई? जवाब: अल्पसंख्यक स्टेटस को लेकर बहस की शुरुआत भी एमयू से ही है। दावा किया गया था कि एमयू एक माइनॉरिटी संस्थान नहीं है। इसके बाद से दूसरे अल्पसंख्यक संस्थानों को लेकर भी विवाद सामने आए। सवाल: क्या 100% सीटें अल्पसंख्यक संस्थान में आरक्षित हो सकती है? जवाब: नहीं। किसी भी अल्पसंख्यक संस्थान में पूरी तरह से अल्पसंख्यकों के लिए सीटें रिजर्व नहीं किया जा सकता। अधिकतम 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखी जा सकती हैं। लेकिन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने अपने मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए 75% सीटें मुस्लिमों के लिए आरक्षित कर दी थी। जबकि सामान्य वर्ग के लिए सिर्फ 25% सीटें ही रखी गई थी। इसी मामले को लेकर छात्र इलाहाबाद हाई कोर्ट चले गए। 2006 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1981 में केंद्र सरकार के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर किए गए संविधान संशोधन को अमान्य करार दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने कानून में संशोधन करके सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक फैसले (जिसमें एमयू को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना गया था) को गलत तरीके से बदलने की कोशिश की है। 2006 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद से अभी तक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पास अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा नहीं है। सवाल: कितने माइनॉरिटी संस्थान हैं देश में? जवाब: अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने जुलाई 2019 में लोकसभा में बताया था कि अभी तक तकरीबन 13,555 शिक्षण संस्थानों को माइनॉरिटी स्टेटस दिया गया है। इनमें तकरीबन 26.45 लाख स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं। 2011 में माइनॉरिटी स्टेटस मिलने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने भी 50 फीसदी सीटें मुस्लिम कैंडिडेट्स के लिए आरक्षित कर दी हैं। सबसे प्रसिद्ध माइनॉरिटी स्टेट वाले संस्थान जामिया मिल्लिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, सेंट स्टीफंस कॉलेज, श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज है। ------------------------------ ये भी पढ़ें: AMU अल्पसंख्यक दर्जे पर नई बेंच फैसला करेगी:सुप्रीम कोर्ट ने 1967 का फैसला पलटा; जिसमें कहा था- यह सेंट्रल यूनिवर्सिटी, माइनॉरिटी इंस्टीट्यूट नहीं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर फैसला अब 3 जजों की नई बेंच करेगी। सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने 4:3 के बहुमत से 1967 के अपने ही फैसले को पलट दिया। 1967 में सुप्रीम कोर्ट ने अजीज बाशा बनाम केंद्र सरकार के केस में कहा था कि केंद्रीय कानूनों के तहत बना संस्थान अल्पसंख्यक संस्थान का दावा नहीं कर सकता...(पढ़ें पूरी खबर)

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