कानपुर के किसान मेले में किसानों की पसंद ‘जमुनिया आलू’:अमेरिका से आया कीट की प्रजाति बढ़ाने पर काम करेगा कृषि विश्वविद्यालय
अब आपके शरीर के लिए आलू नुकसान नहीं बल्कि फायदेमंद साबित होगी। चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्याल, कानपुर में कुफरी की प्रजाति वाला जमुनिया आलू के बीज तैयार किए जा रहे हैं। ये आलू की प्रजाति किसानों को खूब पसंद आई। विश्वविद्यालय में चल रहे किसान मेले में दूर-दराज से आने वाले किसानों ने इस बीच की जानकारी जुटाई। शरीर के लिए होगी फायदेमंद विशेषज्ञ डॉ. अजय कुमार यादवने बताया कि ये आलू शरीर के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। ये आलू आपके शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर करेगी। इसके साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और खून भी बढ़ेगा। सीएसए में इस आलू के बीज पर रिसर्च की जा रही है, तीन सालों के भीतर इसके बीज सीएसए से मिलने भी लगेंगे। इसके लिए वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। डॉ. यादव ने बताया कि इस आलू में जेंट्रोफिन, जिंक, कैरोटीन, एंथोसिनिन पाया जाता है। इसके अलावा कुफरी जमुनिया आलू की पहली बैंगनी गूदे वाली किस्म है। आईसीएआर शिमला ने तैयार किया बीच इस किस्म को आईसीएआर-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने तैयार किया है। डॉ. यादव ने बताया कि इस बीच को पहली बार मेले में लाया गया है। इसमें लोगों ने खूब उत्साह के साथ जानकारी ली। 90 दिनों में तैयार होता है आलू उन्होंने बताया कि कुफरी जमुनिया आलू की फसल मात्र 90 दिनों में तैयार हो जाती है। साथ ही इसकी उपज क्षमता 320-350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता। इसमें अरारोट की मात्रा काफी कम होती है। इसलिए इसको आम आलू के मुताबिक लंबे समय तक हम स्टोर कर सकते हैं। अमेरिकी कीट की प्रजाति बढ़ाने पर कर रहे काम अमेरिकी कीट की प्रजाति को बढ़ाने के लिए कृषि विश्वविद्यालय काम कर रहे हैं। ये कीट किसानों के साथ काफी अच्छा साबित होगा। ये कीट सिर्फ गाजर घास को खाता है, जोकि अस्थमा मरीजों के लिए भी अधिक घातक है। विश्विद्यालय के शोधार्थी राम अजीत चौधरी ने बताया कि ये जाइको ग्रामा वाई कुलेराटा कीट है। ये कीट अमेरिका में पाया जाता है। सत्तर के दशक में भारत में गेहूं आयात होता था, तब ये कीट भारत आया था। 80 के दशक में यह कीट वैज्ञानिकों की नजर में आया। जैविक खेती से तैयार किया ड्रैगन फ्रूट बाजार में बिकने वाला चाइनीज ड्रैगन फ्रूट पौष्टिक तो होता है, लेकिन उसका स्वाद कुछ खट्ठा होता है। इसी ड्रैगन फ्रूट को भारतीय जलवायु और जैविक तरीके से कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। इसका नाम कमलम फल दिया है। यह ड्रैगन फ्रूट की तरह ही पौष्टिक है। साथ ही इसका स्वाद मीठा है। क्योंकि इस फल के पौधे को जैविक विधि से तैयार किया गया है। विवि के उद्यान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. वीके त्रिपाठी ने बताया कि छात्र कई फलों पर रिसर्च कर रहे हैं, जिसमें कि कमलम फल का पौधा 16 से 18 माह में तैयार किया गया है। इसके बाद हर साल इसमें फल मिलने लगते हैं।
What's Your Reaction?