काशी में स्वर्ण अन्नपूर्णेश्वरी ​​​​​​​के दरबार में भक्तों की कतार:चांदी और नवरत्नों का खजाना लुटा रहीं माता, घाट से मंदिर तक बैरिकेडिंग में हजारों श्रद्धालु

काशी में बाबा विश्वनाथ को अन्न-धन की भिक्षा देने वाली स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा ने मंगलाआरती के बाद भक्तों को स्वर्णमयी स्वरूप में दर्शन दिए। घंटों से इंतजार की कतार में खड़े भक्त माता का दर्शन पाकर गदगद हो गए, माता अन्नपूर्णा के साथ ही मां भूमि देवी, लक्ष्मी और रजत महादेव के दर्शन भी हुए। भोर में 5 बजे से अब तक दर्शन का क्रम जारी हैं। स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा भक्तों पर चांदी और नवरत्नों का खजाना भी लुटा रही हैं। सिक्के और लावे के साथ ही श्रद्धालुओं को पहली बार चांदी, पीतल और तांबे के सिक्के प्रसाद स्वरूप दिए जा रहे हैं। आज धनतेरस से लेकर अन्नकूट तक मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन भक्तों को सुलभ होंगे। माता अन्नपूर्णा और रजत महादेव के अब तक दस हजार लोग दर्शन कर चुके हैं और हजारों लोग कतार में लगे हैं। माता के दर्शन के लिए रात 12 बजे से कतार में लोग नहाकर खड़े थे और दर्शन की लालसा में एकटक घड़ी को निहारते रहे। काशी ही नहीं आसपास के जिलों से हजारों लोग काशी पहुंच चुके हैं। मंगलवार को कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी उदया तिथि में ढुंढिराज गणेश द्वार स्थित अन्नपूर्णा मंदिर में प्रथम तल पर विराजमान स्वर्ण अन्नपूर्णेश्वरी के पट भोर में पांच बजे से खुल गए। भोर में चार बजे मंगला आरती व खजाना पूजन के बाद श्रद्धालुओं के लिए कपाट खोल दिए गए। भक्तगण दर्शन-पूजन करने में जुटे हैं और अन्न-धन का खजाना लेकर निहाल हैं। भोर से पट खुलने के बाद मध्याह्न भोग आरती के लिए आधे घंटे का विश्राम होगा और फिर रात 11 बजे तक दर्शन पूजन का क्रम चलेगा। चार दिनी विधान अनुसार दर्शन-पूजन का यही क्रम चलेगा। अंतिम दिन अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा और रात 11 बजे महाआरती के साथ एक साल के लिए मंदिर के पट फिर बंद हो जाएंगे। स्वर्ण अन्नपूर्णेश्वरी के पट धनतेरस पर खुलते ही महिलाओं का जत्था बैरिकेडिंग में कतारबद्ध नजर आया। पुलिस व मंदिर प्रशासन की ओर से आधी रात से कतार लगवाई गई। कपाट खुलते ही कड़ी सुरक्षा के बीच भक्तों को एक-एक करके दर्शन के लिए भेजा जा रहा था। आस्था को देखते हुए मंदिर प्रशासन की ओर से महिलाओं के चाय-नाश्ता व भोजन का बैरिकेडिंग में ही इंतजाम किया गया। सुरक्षा बाबत गोदौलिया से लेकर बांस फाटक और चौक तक फोर्स तैनात है और कैमरों की संख्या बढ़ा दी गई है। जिसके लिए कंट्रोल रूम बना है, जहां से सभी पर नजर रखी जा रही है। मंदिर में जगह-जगह सेवादार तैनात रहेंगे। जिससे दिव्यांग व बुजुर्ग भक्तों को माता के दर्शन में समस्या का समाधान कर रहे हैं। बांसफाटक से दिया गया भक्तों को प्रवेश धनतेरस पर महंत की मौजूदगी में पुजारियों ने 3:30 बजे अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट विधि विधान के साथ खोले। माता के जयघोष के बीच पूजन और शृंगार किया गया। माता को नए वस्त्र धारण कराए गए। इसके बाद मंदिर के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए भोर में पांच बजे से खोल दिया गया। बांसफाटक से गोदौलिया तक बैरिकेडिंग कराई गई। भक्तों को बांसफाटक से होते हुए गेट नंबर एक ढुंढिराज से मां अन्नपूर्णा मंदिर में प्रवेश दिया गया। मंदिर में बनी अस्थायी सीढि़यों से होते हुए स्वर्णमयी माता के दर्शन कराए गए। फिर दूसरे रास्ते से श्रद्धालु कालिका गली से बाहर निकले गए। धनतेरस से अन्नकूट तक श्रद्धालुओं के लिए मेडिकल टीम भी तैनात है। कतार से मंदिर तक भक्त बोले-अन्नपूर्णे सदापूर्णे धनतेरस के साथ सिद्धपीठ मां अन्नपूर्णा मंदिर में माता के स्वर्णमयी कक्ष के पट भक्तों के लिए खोलते ही माता का जयघोष गूंजता रहा। सुबह जब देवी अन्नपूर्णा के श्रृंगार और मंगला आरती के बाद कपाट खोल दिए गए। तो मंदिर द्वार के दोनों छोर पर एक-एक किलोमीटर से ज्यादा लंबी लाइन देखने को मिली। अन्नपूर्णे सदापूर्णे और हर-हर महादेव जयघोष के बीच भक्त मंदिर की ओर बढ़ते जा रहे थे। भोर में दर्शन करने वाले हजारों भक्त मंगलवार की रात 12 बजे से कतार में लगे थे और हजारों अभी दर्शन के लिए कतारबद्ध हैं। अन्नक्षेत्र से इन्हें भोजन भी वितरित किया गया। देश का एकमात्र अन्नपूर्णा मंदिर, जहां बंटता है खजाना वाराणसी के श्रीकाशी विश्वनाथ परिसर में मां अन्नपूर्णा का एकमात्र मंदिर है। जहां धनतेरस पर खजाना बंटता है। महंत शंकर पुरी ने बताया, ''अन्नपूर्णा से महादेव ने काशीवासियों और भक्तों के लिए भूखा न रहने का आशीर्वाद मांगा था। मां की ऐसी कृपा कि इस नगरी में कोई भी इंसान भूखा नहीं सोता। ऐसा खजाना जो केवल साल में एक बार खुलता है, जो इस खजाने से मिले लावे और सिक्के को घर में रखता है। उसके घर में धन और धान्य की वृद्धि होती है। इस खजाने से मिले लावे को अगर घर में अन्न के डिब्बे में रख दें तो पूरे परिवार को कभी भूखे नहीं सोना पड़ेगा।'' मां अन्नपूर्णा का स्थान ढुंढिराज के दक्षिण भाग में विराजमान अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी ने बताया कि काशीपुरी में शुक्रेश्वर के पश्चित भवानी अन्नपूर्णा और भगवान शंकर विराजमान हैं। भगवान शंकर मां अन्नपूर्णा से कहते हैं कि अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकरप्राणवल्लभे, ज्ञानवैराग्यसिद्धयर्थं भिक्षां देहि च पार्वति... अर्थात हे अन्नपूर्णे तुम सदा पूर्ण हो, तुम शंकर की प्राण प्रिया हो, तुम मुझे ज्ञान, वैराग्य की सिद्धि के लिए भिक्षा दो। ढुंढिराज के दक्षिण भाग में असमान भवानीतीर्थ है, वहां पर विधिपूर्वक स्नान करके भवानी की पूजा करनी चाहिए। कलियुग में माता अन्नपूर्णा की पुरी काशी अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकरपुरी के अनुसार, "भगवान शंकर से विवाह के बाद देवी पार्वती ने काशीपुरी में निवास की इच्छा जताई। महादेव उन्हें लेकर अविमुक्त-क्षेत्र (काशी) आ गए। तब काशी महाश्मशान नगरी थी। माता पार्वती को यह नहीं भाया। तब शिव-पार्वती के विमर्श से एक व्यवस्था दी गई। वह यह कि सत, त्रेता और द्वापर युगों में काशी श्मशान रहेगी, किंतु कलिकाल में यह अन्नपूर्णा की पुरी होकर बसेगी। इसी कारण वर्तमान में अन्नपूर्णा का मंदिर काशी का प्रधान देवीपीठ हुआ। पुराणों में काशी के भावी नामों में

Oct 29, 2024 - 05:45
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काशी में स्वर्ण अन्नपूर्णेश्वरी ​​​​​​​के दरबार में भक्तों की कतार:चांदी और नवरत्नों का खजाना लुटा रहीं माता, घाट से मंदिर तक बैरिकेडिंग में हजारों श्रद्धालु
काशी में बाबा विश्वनाथ को अन्न-धन की भिक्षा देने वाली स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा ने मंगलाआरती के बाद भक्तों को स्वर्णमयी स्वरूप में दर्शन दिए। घंटों से इंतजार की कतार में खड़े भक्त माता का दर्शन पाकर गदगद हो गए, माता अन्नपूर्णा के साथ ही मां भूमि देवी, लक्ष्मी और रजत महादेव के दर्शन भी हुए। भोर में 5 बजे से अब तक दर्शन का क्रम जारी हैं। स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा भक्तों पर चांदी और नवरत्नों का खजाना भी लुटा रही हैं। सिक्के और लावे के साथ ही श्रद्धालुओं को पहली बार चांदी, पीतल और तांबे के सिक्के प्रसाद स्वरूप दिए जा रहे हैं। आज धनतेरस से लेकर अन्नकूट तक मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन भक्तों को सुलभ होंगे। माता अन्नपूर्णा और रजत महादेव के अब तक दस हजार लोग दर्शन कर चुके हैं और हजारों लोग कतार में लगे हैं। माता के दर्शन के लिए रात 12 बजे से कतार में लोग नहाकर खड़े थे और दर्शन की लालसा में एकटक घड़ी को निहारते रहे। काशी ही नहीं आसपास के जिलों से हजारों लोग काशी पहुंच चुके हैं। मंगलवार को कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी उदया तिथि में ढुंढिराज गणेश द्वार स्थित अन्नपूर्णा मंदिर में प्रथम तल पर विराजमान स्वर्ण अन्नपूर्णेश्वरी के पट भोर में पांच बजे से खुल गए। भोर में चार बजे मंगला आरती व खजाना पूजन के बाद श्रद्धालुओं के लिए कपाट खोल दिए गए। भक्तगण दर्शन-पूजन करने में जुटे हैं और अन्न-धन का खजाना लेकर निहाल हैं। भोर से पट खुलने के बाद मध्याह्न भोग आरती के लिए आधे घंटे का विश्राम होगा और फिर रात 11 बजे तक दर्शन पूजन का क्रम चलेगा। चार दिनी विधान अनुसार दर्शन-पूजन का यही क्रम चलेगा। अंतिम दिन अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा और रात 11 बजे महाआरती के साथ एक साल के लिए मंदिर के पट फिर बंद हो जाएंगे। स्वर्ण अन्नपूर्णेश्वरी के पट धनतेरस पर खुलते ही महिलाओं का जत्था बैरिकेडिंग में कतारबद्ध नजर आया। पुलिस व मंदिर प्रशासन की ओर से आधी रात से कतार लगवाई गई। कपाट खुलते ही कड़ी सुरक्षा के बीच भक्तों को एक-एक करके दर्शन के लिए भेजा जा रहा था। आस्था को देखते हुए मंदिर प्रशासन की ओर से महिलाओं के चाय-नाश्ता व भोजन का बैरिकेडिंग में ही इंतजाम किया गया। सुरक्षा बाबत गोदौलिया से लेकर बांस फाटक और चौक तक फोर्स तैनात है और कैमरों की संख्या बढ़ा दी गई है। जिसके लिए कंट्रोल रूम बना है, जहां से सभी पर नजर रखी जा रही है। मंदिर में जगह-जगह सेवादार तैनात रहेंगे। जिससे दिव्यांग व बुजुर्ग भक्तों को माता के दर्शन में समस्या का समाधान कर रहे हैं। बांसफाटक से दिया गया भक्तों को प्रवेश धनतेरस पर महंत की मौजूदगी में पुजारियों ने 3:30 बजे अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट विधि विधान के साथ खोले। माता के जयघोष के बीच पूजन और शृंगार किया गया। माता को नए वस्त्र धारण कराए गए। इसके बाद मंदिर के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए भोर में पांच बजे से खोल दिया गया। बांसफाटक से गोदौलिया तक बैरिकेडिंग कराई गई। भक्तों को बांसफाटक से होते हुए गेट नंबर एक ढुंढिराज से मां अन्नपूर्णा मंदिर में प्रवेश दिया गया। मंदिर में बनी अस्थायी सीढि़यों से होते हुए स्वर्णमयी माता के दर्शन कराए गए। फिर दूसरे रास्ते से श्रद्धालु कालिका गली से बाहर निकले गए। धनतेरस से अन्नकूट तक श्रद्धालुओं के लिए मेडिकल टीम भी तैनात है। कतार से मंदिर तक भक्त बोले-अन्नपूर्णे सदापूर्णे धनतेरस के साथ सिद्धपीठ मां अन्नपूर्णा मंदिर में माता के स्वर्णमयी कक्ष के पट भक्तों के लिए खोलते ही माता का जयघोष गूंजता रहा। सुबह जब देवी अन्नपूर्णा के श्रृंगार और मंगला आरती के बाद कपाट खोल दिए गए। तो मंदिर द्वार के दोनों छोर पर एक-एक किलोमीटर से ज्यादा लंबी लाइन देखने को मिली। अन्नपूर्णे सदापूर्णे और हर-हर महादेव जयघोष के बीच भक्त मंदिर की ओर बढ़ते जा रहे थे। भोर में दर्शन करने वाले हजारों भक्त मंगलवार की रात 12 बजे से कतार में लगे थे और हजारों अभी दर्शन के लिए कतारबद्ध हैं। अन्नक्षेत्र से इन्हें भोजन भी वितरित किया गया। देश का एकमात्र अन्नपूर्णा मंदिर, जहां बंटता है खजाना वाराणसी के श्रीकाशी विश्वनाथ परिसर में मां अन्नपूर्णा का एकमात्र मंदिर है। जहां धनतेरस पर खजाना बंटता है। महंत शंकर पुरी ने बताया, ''अन्नपूर्णा से महादेव ने काशीवासियों और भक्तों के लिए भूखा न रहने का आशीर्वाद मांगा था। मां की ऐसी कृपा कि इस नगरी में कोई भी इंसान भूखा नहीं सोता। ऐसा खजाना जो केवल साल में एक बार खुलता है, जो इस खजाने से मिले लावे और सिक्के को घर में रखता है। उसके घर में धन और धान्य की वृद्धि होती है। इस खजाने से मिले लावे को अगर घर में अन्न के डिब्बे में रख दें तो पूरे परिवार को कभी भूखे नहीं सोना पड़ेगा।'' मां अन्नपूर्णा का स्थान ढुंढिराज के दक्षिण भाग में विराजमान अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी ने बताया कि काशीपुरी में शुक्रेश्वर के पश्चित भवानी अन्नपूर्णा और भगवान शंकर विराजमान हैं। भगवान शंकर मां अन्नपूर्णा से कहते हैं कि अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकरप्राणवल्लभे, ज्ञानवैराग्यसिद्धयर्थं भिक्षां देहि च पार्वति... अर्थात हे अन्नपूर्णे तुम सदा पूर्ण हो, तुम शंकर की प्राण प्रिया हो, तुम मुझे ज्ञान, वैराग्य की सिद्धि के लिए भिक्षा दो। ढुंढिराज के दक्षिण भाग में असमान भवानीतीर्थ है, वहां पर विधिपूर्वक स्नान करके भवानी की पूजा करनी चाहिए। कलियुग में माता अन्नपूर्णा की पुरी काशी अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकरपुरी के अनुसार, "भगवान शंकर से विवाह के बाद देवी पार्वती ने काशीपुरी में निवास की इच्छा जताई। महादेव उन्हें लेकर अविमुक्त-क्षेत्र (काशी) आ गए। तब काशी महाश्मशान नगरी थी। माता पार्वती को यह नहीं भाया। तब शिव-पार्वती के विमर्श से एक व्यवस्था दी गई। वह यह कि सत, त्रेता और द्वापर युगों में काशी श्मशान रहेगी, किंतु कलिकाल में यह अन्नपूर्णा की पुरी होकर बसेगी। इसी कारण वर्तमान में अन्नपूर्णा का मंदिर काशी का प्रधान देवीपीठ हुआ। पुराणों में काशी के भावी नामों में काशीपीठ नाम का भी उल्लेख है। अन्नपूर्णा हैं अन्न की अधिष्ठात्रि पंडित अजय शर्मा ने बताया कि स्कन्दपुराण के ‘काशीखंड’ में उल्लेख है कि भगवान विश्वेश्वर गृहस्थ हैं और भवानी उनकी गृहस्थी चलाती हैं। अत: काशीवासियों के योग-क्षेम का भार इन्हीं पर है। ‘ब्रह्मवैवर्त्तपुराण’ के काशी-रहस्य के अनुसार भवानी ही अन्नपूर्णा हैं। सामान्य दिनों में अन्नपूर्णा माता की आठ परिक्रमा की जाती है। प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन अन्नपूर्णा देवी के निमित्त व्रत रह कर उनकी उपासना का विधान है। इन्हें अन्न अधिष्ठात्रि भी माना जाता है। महंत ने बताया, इन 4 दिनों में मां का खजाना भक्तों के बीच बंटता है। इसमें लावा और 1,2,5 और 10 के सिक्के होते हैं। मान्यता है कि इस खजाने को घर में रखने से अन्न और धन की कभी कमी नहीं होती है। स्वर्ण-सिंहासन पर विराजमान देवी अन्नपूर्णा का स्वरूप देवी पुराण के अनुसार, मां अन्नपूर्णा का रंग जवापुष्प के समान है। भगवती बंधुक के फूलों के मध्य दिव्य आभूषणों से विभूषित होकर प्रसन्न मुद्रा में स्वर्ण-सिंहासन पर विराजमान हैं। उनके बाएं हाथ में अन्न से पूर्ण माणिक्य, रत्न से जड़ा पात्र तथा दाहिने हाथ में रत्नों से निर्मित कलछुल है। जो प्रतीक है कि माता अन्नदान में सदा तल्लीन रहती हैं। भवानी अन्नपूर्णा माता कमलासन पर विराजमान हैं और रजत प्रतिमा में विराजमान काशीपुराधिपति की झोली में स्वयं भगवती अन्नदान दे रहीं हैं। उनके के दायीं ओर देवी लक्ष्मी और बायीं तरफ देवी भूदेवी विराजमान हैं। यूपी, मप्र और बिहार समेत कई राज्यों से पहुंचे लोग महंत शंकरपुरी ने बताया, मां अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन करने कई राज्यों के लोग आए हैं। इसमें बनारस और आसपास के जनपदों समेत पूर्वांचल की बड़ी संख्या है। इसके अलावा मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, मद्रास, मुंबई, दिल्ली, बिहार, गुजरात जैसे राज्यों से भक्त आए हैं। मंदिर में मां अन्नपूर्णा के सोने की प्रतिमा का दर्शन पूरे साल में केवल चार दिन धनतेरस से अन्नकूट पर्व तक ही हो पाता है, इसलिए इन चार दिनों में मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जुटी है।​​​​​​​ दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए मंदिर परिसर से गोदौलिया और दूसरी छोर चौक तक वॉलेंटियर्स लगाए गए हैं। सुरक्षा के लिए जिला पुलिस, पैरा मिलिट्री फोर्स, PAC के साथ LIU को भी लगाया गया है। कंट्रोल रूम में सीसीटीवी के जरिए भी नजर रखी जा रही है। सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर प्रांगण में अतिरिक्त कैमरे लगाए गए हैं। साथ ही परिसर में चिकित्सकों की टीम भी मौजूद रहेगी। अधिकारी भी लगातार चक्रमण कर रहे हैं।

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