कोहली का पर्थ में शतक से कमबैक:ऑस्ट्रेलिया उनका दूसरा होमग्राउंड, 2018 में बेस्ट टेस्ट कैप्टन बने; यहीं लगाया था 'शॉट ऑफ द सेंचुरी'

विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ टेस्ट की दूसरी पारी में सेंचुरी लगा दी। उन्होंने 16 महीने बाद टेस्ट शतक लगाया और फॉर्म में वापसी की। यह विराट का टेस्ट में 30वां और इंटरनेशनल क्रिकेट में 81वां शतक है। यह पहली बार नहीं है, जब कोहली ने ऑस्ट्रेलिया में कमबैक किया है। विराट 2012 से इस देश में ऐतिहासिक कारनामें कर रहे हैं। विराट ने 2022 में ऑस्ट्रेलिया में ही 'शॉट ऑफ द सेंचुरी' लगाकर पाकिस्तान के खिलाफ टी-20 वर्ल्ड कप मैच जिताया था। 2018 में विराट ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने वाले पहले एशियन कैप्टन भी बने थे। स्टोरी में जानिए विराट के ऑस्ट्रेलिया से कमबैक करने का सफर... 2011: मांजरेकर के बयान का दिया जवाब कोहली ने 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया। इसके बाद उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए भी टीम में शामिल किया गया। शुरुआती 2 टेस्ट की 4 पारियों में कोहली 41 रन ही बना सके। भारत के पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने तब कहा था, विराट को 1 और टेस्ट खिला दो, ताकि पता चले कि वह इस फॉर्मेट में फिट नहीं बैठते हैं कि नहीं। अगला टेस्ट पर्थ में हुआ, विराट ने 44 और 75 रन की पारियां खेल दीं। उन्हें एडिलेड टेस्ट में भी मौका मिला, जहां उन्होंने पहली पारी में 116 रन बना दिए। टेस्ट में यह उनका पहला ही शतक था। 2012 में विराट को बाहर करने की बात करने वाले मांजरेकर को 2023 में कहना पड़ा कि कोहली इस जनरेशन में भारत के बेस्ट टेस्ट बैटर हैं। 2012: श्रीलंका के खिलाफ आया 'होबार्ट हरिकैन' विराट ने 2008 में वनडे डेब्यू किया, 2011 तक विराट ने इस फॉर्मेट में 8 शतक लगा दिए। इनमें 7 सेंचुरी एशिया में रहीं, एशिया के बाहर उनकी टेक्निक पर सवाल उठने लगे। 2011-12 में टेस्ट सीरीज के बाद ऑस्ट्रेलिया में ही वनडे ट्राई सीरीज हुई। श्रीलंका सीरीज की तीसरी टीम थी। सीरीज के शुरुआती 7 मैचों में विराट 2 ही फिफ्टी लगा सके। कप्तान एमएस धोनी ने फिर भी उन्हें श्रीलंका के आखिरी मैच में मौका दिया। फाइनल में पहुंचने के लिए भारत को श्रीलंका के खिलाफ 40 ओवर से पहले टारगेट चेज करना था। श्रीलंका ने 50 ओवर में 320 रन बनाए। भारत ने 86 रन पर 2 विकेट गंवा दिए। फिर उतरे 23 साल के कोहली, जिन्होंने लसिथ मलिंगा जैसे यॉर्कर स्पेशलिस्ट गेंदबाज के होते हुए 86 गेंद पर 133 रन बना दिए। उनकी पारी के दम पर भारत ने 36.4 ओवर में ही मैच जीत लिया। मलिंगा ने 7.4 ओवर में 96 रन दिए, जिसमें 73 रन अकेले कोहली ने बनाए। होबार्ट के मैदान पर खेली गई इस पारी को ऑस्ट्रेलिया ने 'होबार्ट हरिकैन' नाम दिया। हरिकैन यानी तूफान। इसी पारी के साथ कोहली ने वनडे में अपनी छाप छोड़ने का सिलसिला शुरू कर दिया। 2014: इंग्लैंड में खराब दौरे के बाद 4 सेंचुरी लगाई विराट कोहली 2014 तक तीनों फॉर्मेट में खुद को साबित कर चुके थे। यहां तक कि 25 साल की उम्र में टीम ने उन्हें उप कप्तान भी बना दिया, लेकिन फिर आया इंग्लैंड दौरा। जहां 5 टेस्ट की 10 पारियों में विराट एक फिफ्टी तक नहीं लगा सके। उन्होंने महज 13.40 की औसत से 134 रन बनाए। इंग्लिश पेसर जेम्स एंडरसन ने उन्हें लगातार आउट किया। अगस्त में इंग्लैंड दौरा खत्म होने के बाद दिसंबर में टीम ऑस्ट्रेलिया गई। आउट ऑफ फॉर्म विराट को पहले टेस्ट में कप्तानी करनी पड़ी, क्योंकि धोनी इंजर्ड थे। कोहली ने एडिलेड में इस मौके को भुनाया और दोनों पारियों में सेंचुरी लगा दी। टीम 364 रन के टारगेट को चेज करने गई थी, लेकन कोहली के 141 रन पर आउट होते ही बिखर गई। दूसरे टेस्ट में धोनी लौटे, तीसरे टेस्ट में विराट ने फिर शतक लगा दिया। उन्होंने मेलबर्न में 169 और 54 रन की पारी खेल दी। मेलबर्न टेस्ट के बाद धोनी ने टेस्ट से संन्यास ले लिया, कोहली को फुल टाइम कप्तानी मिल गई। उन्होंने अगले टेस्ट में भी शतक लगा दिया। 4 टेस्ट में कोहली ने 692 रन बनाए, जो किसी भी भारतीय बैटर से ऑस्ट्रेलिया के एक दौरे पर बनाए गए सबसे ज्यादा रन हैं। 2016: टी-20 में बेस्ट बने, पीक फॉर्म पर पहुंचे 2015 का वनडे वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया में हुआ, विराट सेमीफाइनल में कंगारू टीम के खिलाफ नहीं चले और टीम हार गई। अगले साल टीम फिर ऑस्ट्रेलिया गई, इस बार व्हाइट बॉल की सीरीज खेलने। 5 वनडे में विराट ने 2 सेंचुरी और 2 फिफ्टी लगाकर 381 रन बनाए, लेकिन टीम 4-1 से हार गई। विराट का विक्राल रूप फिर टी-20 में सामने आया। जब उन्होंने 90, 59 और 50 रन की पारियां खेलकर टीम को तीनों मैच जिता दिए। 3 टी-20 में 199 की औसत और 160.48 के स्ट्राइक रेट से विराट ने 199 रन बनाए। जिसके लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड मिला। यहां से 2019 तक विराट ने तीनों फॉर्मेट में राज किया, 2017 और 2018 में तो ICC ने उन्हें क्रिकेटर ऑफ द ईयर का अवॉर्ड भी दिया। 2018: बेस्ट टेस्ट कैप्टन बने 2017 में विराट को तीनों फॉर्मेट की कप्तानी मिल गई, 2018 में टीम उनकी कप्तानी में पहली बार इंग्लैंड दौरे पर गई। 5 टेस्ट में टीम 4-1 से हार गई, जिसके बाद उनकी कप्तानी पर सवाल उठने लगे। सितंबर में इंग्लैंड दौरा खत्म हुआ और दिसंबर में टीम फिर एक बार ऑस्ट्रेलिया पहुंच गई। कंगारू पेसर पैट कमिंस ने कहा कि विराट इस बार एक भी शतक नहीं लगा सकेंगे। विराट 4 टेस्ट में 282 रन ही बना सके, लेकिन पर्थ में मुश्किल पिच पर उन्होंने 123 रन की पारी खेली। ऑस्ट्रेलियन एक्सपर्ट्स ने भी इसे वन ऑफ द बेस्ट सेंचुरी बताया। विराट एक इंटरव्यू में कह भी चुके हैं, यह उनके टेस्ट करियर की बेस्ट पारी है। दौरे पर विराट का असली कारनामा कप्तानी में दिखा, जब टीम ने 2-1 से सीरीज जीत ली। क्रिकेट इतिहास में यह किसी भी एशियन टीम की ऑस्ट्रेलिया में पहली ही टेस्ट सीरीज जीत थी। विराट ऐसा करने वाले एशिया के पहले ही कप्तान बने। जिसके बाद 2020 में ICC ने विराट को दशक की बेस्ट टेस्ट टीम का कप्तान भी चुना। 2021: 'कोहली की टीम' का विराट कारनामा 2018 में ऑस्ट्रेलिया टीम 2 बड़े बैटर्स स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर के बिना उतरी थ

Nov 24, 2024 - 16:15
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कोहली का पर्थ में शतक से कमबैक:ऑस्ट्रेलिया उनका दूसरा होमग्राउंड, 2018 में बेस्ट टेस्ट कैप्टन बने; यहीं लगाया था 'शॉट ऑफ द सेंचुरी'
विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ टेस्ट की दूसरी पारी में सेंचुरी लगा दी। उन्होंने 16 महीने बाद टेस्ट शतक लगाया और फॉर्म में वापसी की। यह विराट का टेस्ट में 30वां और इंटरनेशनल क्रिकेट में 81वां शतक है। यह पहली बार नहीं है, जब कोहली ने ऑस्ट्रेलिया में कमबैक किया है। विराट 2012 से इस देश में ऐतिहासिक कारनामें कर रहे हैं। विराट ने 2022 में ऑस्ट्रेलिया में ही 'शॉट ऑफ द सेंचुरी' लगाकर पाकिस्तान के खिलाफ टी-20 वर्ल्ड कप मैच जिताया था। 2018 में विराट ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने वाले पहले एशियन कैप्टन भी बने थे। स्टोरी में जानिए विराट के ऑस्ट्रेलिया से कमबैक करने का सफर... 2011: मांजरेकर के बयान का दिया जवाब कोहली ने 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया। इसके बाद उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए भी टीम में शामिल किया गया। शुरुआती 2 टेस्ट की 4 पारियों में कोहली 41 रन ही बना सके। भारत के पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने तब कहा था, विराट को 1 और टेस्ट खिला दो, ताकि पता चले कि वह इस फॉर्मेट में फिट नहीं बैठते हैं कि नहीं। अगला टेस्ट पर्थ में हुआ, विराट ने 44 और 75 रन की पारियां खेल दीं। उन्हें एडिलेड टेस्ट में भी मौका मिला, जहां उन्होंने पहली पारी में 116 रन बना दिए। टेस्ट में यह उनका पहला ही शतक था। 2012 में विराट को बाहर करने की बात करने वाले मांजरेकर को 2023 में कहना पड़ा कि कोहली इस जनरेशन में भारत के बेस्ट टेस्ट बैटर हैं। 2012: श्रीलंका के खिलाफ आया 'होबार्ट हरिकैन' विराट ने 2008 में वनडे डेब्यू किया, 2011 तक विराट ने इस फॉर्मेट में 8 शतक लगा दिए। इनमें 7 सेंचुरी एशिया में रहीं, एशिया के बाहर उनकी टेक्निक पर सवाल उठने लगे। 2011-12 में टेस्ट सीरीज के बाद ऑस्ट्रेलिया में ही वनडे ट्राई सीरीज हुई। श्रीलंका सीरीज की तीसरी टीम थी। सीरीज के शुरुआती 7 मैचों में विराट 2 ही फिफ्टी लगा सके। कप्तान एमएस धोनी ने फिर भी उन्हें श्रीलंका के आखिरी मैच में मौका दिया। फाइनल में पहुंचने के लिए भारत को श्रीलंका के खिलाफ 40 ओवर से पहले टारगेट चेज करना था। श्रीलंका ने 50 ओवर में 320 रन बनाए। भारत ने 86 रन पर 2 विकेट गंवा दिए। फिर उतरे 23 साल के कोहली, जिन्होंने लसिथ मलिंगा जैसे यॉर्कर स्पेशलिस्ट गेंदबाज के होते हुए 86 गेंद पर 133 रन बना दिए। उनकी पारी के दम पर भारत ने 36.4 ओवर में ही मैच जीत लिया। मलिंगा ने 7.4 ओवर में 96 रन दिए, जिसमें 73 रन अकेले कोहली ने बनाए। होबार्ट के मैदान पर खेली गई इस पारी को ऑस्ट्रेलिया ने 'होबार्ट हरिकैन' नाम दिया। हरिकैन यानी तूफान। इसी पारी के साथ कोहली ने वनडे में अपनी छाप छोड़ने का सिलसिला शुरू कर दिया। 2014: इंग्लैंड में खराब दौरे के बाद 4 सेंचुरी लगाई विराट कोहली 2014 तक तीनों फॉर्मेट में खुद को साबित कर चुके थे। यहां तक कि 25 साल की उम्र में टीम ने उन्हें उप कप्तान भी बना दिया, लेकिन फिर आया इंग्लैंड दौरा। जहां 5 टेस्ट की 10 पारियों में विराट एक फिफ्टी तक नहीं लगा सके। उन्होंने महज 13.40 की औसत से 134 रन बनाए। इंग्लिश पेसर जेम्स एंडरसन ने उन्हें लगातार आउट किया। अगस्त में इंग्लैंड दौरा खत्म होने के बाद दिसंबर में टीम ऑस्ट्रेलिया गई। आउट ऑफ फॉर्म विराट को पहले टेस्ट में कप्तानी करनी पड़ी, क्योंकि धोनी इंजर्ड थे। कोहली ने एडिलेड में इस मौके को भुनाया और दोनों पारियों में सेंचुरी लगा दी। टीम 364 रन के टारगेट को चेज करने गई थी, लेकन कोहली के 141 रन पर आउट होते ही बिखर गई। दूसरे टेस्ट में धोनी लौटे, तीसरे टेस्ट में विराट ने फिर शतक लगा दिया। उन्होंने मेलबर्न में 169 और 54 रन की पारी खेल दी। मेलबर्न टेस्ट के बाद धोनी ने टेस्ट से संन्यास ले लिया, कोहली को फुल टाइम कप्तानी मिल गई। उन्होंने अगले टेस्ट में भी शतक लगा दिया। 4 टेस्ट में कोहली ने 692 रन बनाए, जो किसी भी भारतीय बैटर से ऑस्ट्रेलिया के एक दौरे पर बनाए गए सबसे ज्यादा रन हैं। 2016: टी-20 में बेस्ट बने, पीक फॉर्म पर पहुंचे 2015 का वनडे वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया में हुआ, विराट सेमीफाइनल में कंगारू टीम के खिलाफ नहीं चले और टीम हार गई। अगले साल टीम फिर ऑस्ट्रेलिया गई, इस बार व्हाइट बॉल की सीरीज खेलने। 5 वनडे में विराट ने 2 सेंचुरी और 2 फिफ्टी लगाकर 381 रन बनाए, लेकिन टीम 4-1 से हार गई। विराट का विक्राल रूप फिर टी-20 में सामने आया। जब उन्होंने 90, 59 और 50 रन की पारियां खेलकर टीम को तीनों मैच जिता दिए। 3 टी-20 में 199 की औसत और 160.48 के स्ट्राइक रेट से विराट ने 199 रन बनाए। जिसके लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड मिला। यहां से 2019 तक विराट ने तीनों फॉर्मेट में राज किया, 2017 और 2018 में तो ICC ने उन्हें क्रिकेटर ऑफ द ईयर का अवॉर्ड भी दिया। 2018: बेस्ट टेस्ट कैप्टन बने 2017 में विराट को तीनों फॉर्मेट की कप्तानी मिल गई, 2018 में टीम उनकी कप्तानी में पहली बार इंग्लैंड दौरे पर गई। 5 टेस्ट में टीम 4-1 से हार गई, जिसके बाद उनकी कप्तानी पर सवाल उठने लगे। सितंबर में इंग्लैंड दौरा खत्म हुआ और दिसंबर में टीम फिर एक बार ऑस्ट्रेलिया पहुंच गई। कंगारू पेसर पैट कमिंस ने कहा कि विराट इस बार एक भी शतक नहीं लगा सकेंगे। विराट 4 टेस्ट में 282 रन ही बना सके, लेकिन पर्थ में मुश्किल पिच पर उन्होंने 123 रन की पारी खेली। ऑस्ट्रेलियन एक्सपर्ट्स ने भी इसे वन ऑफ द बेस्ट सेंचुरी बताया। विराट एक इंटरव्यू में कह भी चुके हैं, यह उनके टेस्ट करियर की बेस्ट पारी है। दौरे पर विराट का असली कारनामा कप्तानी में दिखा, जब टीम ने 2-1 से सीरीज जीत ली। क्रिकेट इतिहास में यह किसी भी एशियन टीम की ऑस्ट्रेलिया में पहली ही टेस्ट सीरीज जीत थी। विराट ऐसा करने वाले एशिया के पहले ही कप्तान बने। जिसके बाद 2020 में ICC ने विराट को दशक की बेस्ट टेस्ट टीम का कप्तान भी चुना। 2021: 'कोहली की टीम' का विराट कारनामा 2018 में ऑस्ट्रेलिया टीम 2 बड़े बैटर्स स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर के बिना उतरी थी। 2021 में दोनों प्लेयर्स ने वापसी कर ली और ऑस्ट्रेलिया बहुत मजबूत हो गई। टीम इंडिया दिसंबर में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई, लेकिन कोहली एक ही टेस्ट खेलने वाले थे। उन्होंने पारिवारिक कारणों से भारत लौटना पड़ा। कोहली ने पहले टेस्ट में 78 रन बनाए, टीम दूसरी पारी में महज 36 रन बना सकी और टेस्ट गंवा दिया। सवाल उठे कि मुश्किल सिचुएशन में कोहली को टीम का साथ नहीं छोड़ना चाहिए, लेकिन कप्तान विराट ने तब तक ऐसी टीम तैयार कर दी थी, जो कहीं भी जीत सकती थी। अंजिक्य रहाणे ने विराट की जगह कप्तानी की और टीम ने 2-1 से फिर एक बार सीरीज अपने नाम कर ली। 2011 में टीम इंडिया पहली बार टेस्ट रैंकिंग में नंबर-1 बनी थी। 2014 में विराट के कप्तानी संभालने के वक्त टीम 7वें नंबर पर पहुंच गई। 2017 में विराट ने टीम का कमबैक कराया और फिर नंबर-1 पर पहुंचा दिया। टीम फिर 2021 तक टेस्ट में नंबर-1 ही रही। विराट ने 2022 में कप्तानी छोड़ी और टीम तब से नंबर-2 पर है। 2022: ‘शॉट ऑफ द सेंचुरी’ से लौटा फॉर्म 2020 में कोरोना महामारी के कारण क्रिकेट मैच कम हो गए। 2019 तक अपने पीक फॉर्म में चल रहे कोहली आउट ऑफ फॉर्म हो गए। वह 2020 और 2021 में तीनों फॉर्मेट में एक भी शतक नहीं लगा सके। 8 सितंबर 2022 को उन्होंने फिर 1021 दिन बाद अफगानिस्तान के खिलाफ टी-20 शतक लगाकर शतक का सूखा खत्म किया। हालांकि, वह अब भी फॉर्म में नजर नहीं आ रहे थे। 2022 में टी-20 वर्ल्ड कप होना था, जिसका वेन्यू वही था, जिसे कोहली ने अपना दूसरा होम ग्राउंड पर बना रखा था। ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न स्टेडियम में भारत का पहला ही मैच पाकिस्तान से हो गया। टीम को 161 रन का टारगेट मिला, लेकिन भारत ने 31 रन पर 4 विकेट गंवा दिए। कोहली टिके हुए थे, वह आखिर तक टिके रहे, लेकिन एक समय टीम को 18 गेंद पर 48 रन चाहिए थे। 18वें ओवर से कोहली ने अपने शॉट्स खेलना शुरू किए, लेकिन 8 गेंद पर 28 रन की जरूरत आन पड़ी। हारिस रऊफ ने 19वें ओवर की 4 गेंदों पर 3 ही रन दिए थे। पांचवीं गेंद उन्होंने शॉर्ट पिच फेंकी, कोहली ने बैकफुट पर सामने की दिशा में छक्का लगा दिया। यह शॉट इतना विश्वसनीय था कि ICC ने इसे 'शॉट ऑफ द सेंचुरी' का नाम दे दिया। कोहली ने 82 रन बनाए और भारत ने लगभग हारा हुआ मैच जीत लिया। टी-20 वर्ल्ड कप में कोहली ने 4 फिफ्टी लगाकर 296 रन बनाए और फॉर्म में वापसी कर ली। इस टूर्नामेंट के बाद विराट ने टेस्ट और वनडे में भी शतक लगाए। 2023 में उन्होंने वनडे वर्ल्ड कप में 765 रन बनाकर प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का अवॉर्ड भी जीता। 2024: फिर गायब हुआ था कोहली का फॉर्म 2024 में कोहली एक बार आउट ऑफ फॉर्म हो गए। ऑस्ट्रेलिया आने से पहले वह 6 टेस्ट में 250 रन ही बना सके। वनडे और टी-20 में भी वह एक ही फिफ्टी लगा पाए। खराब फॉर्म के बाद विराट के लिए पॉजिटिव बात बस यही थी कि वह ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जा रहे थे। पर्थ टेस्ट 22 नवंबर को शुरू हुआ। भारत ने टॉस जीतकर ली और विराट 5 ही रन बनाकर आउट हो गए। तब लगा कि शायद विराट इस बार ऑस्ट्रेलिया में वापसी नहीं कर पाएंगी, लेकिन दूसरी पारी में विराट ने इसे गलत साबित कर दिया। उन्होंने 8 चौके और 2 छक्के लगाकर 100 रन बनाए और टीम को 487 रन तक पहुंचा दिया। ऑस्ट्रेलिया में 12वां इंटरनेशनल शतक लगाया विराट ने टेस्ट करियर में अपना 30वां शतक लगाया। सबसे ज्यादा टेस्ट सेंचुरी के मामले में वह ऑस्ट्रेलिया के सर डोनल्ड ब्रैडमैन से आगे निकल गए। ऑस्ट्रेलिया में विराट ने 7वां टेस्ट शतक लगाया, वह यहां सबसे ज्यादा टेस्ट शतक लगाने वाले भारतीय बने। विराट ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेट खेलना पसंद करते हैं, यहां की तेज और उछाल भरी पिचें उन्हें रास आती है। इसलिए यहां खेले 14 टेस्ट में 56.03 की औसत से 1457 रन हो गए। इनमें 7 सेंचुरी और 4 फिफ्टी शामिल हैं। इतना ही नहीं वह ऑस्ट्रेलिया में 1327 वनडे और 747 टी-20 रन भी बना चुके हैं। तीनों फॉर्मेट मिलाकर ऑस्ट्रेलिया में उनके नाम 12 शतक हैं, जो विदेशी प्लेयर्स में सबसे ज्यादा है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 9वां टेस्ट शतक लगाया चुके विराट को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी क्रिकेट खेलना पसंद हैं। वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कोहली 26 टेस्ट में 2147 रन बना चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनके नाम सेंचुरी से ज्यादा फिफ्टी हैं। उन्होंने 9 सेंचुरी और 5 फिफ्टी लगाई हैं। जिनमें 2 शतक भारत में लगाए, जबकि 7 सेंचुरी ऑस्ट्रेलिया में आईं। वनडे और टी-20 में भी ऑस्ट्रेलिया पसंद व्हाइट बॉल फॉर्मेट में कोहली को पाकिस्तान के बाद ऑस्ट्रेलिया ही सबसे ज्यादा पसंद है, दोनों के खिलाफ विराट खूब रन बनाते हैं। कंगारू टीम के खिलाफ 49 वनडे में उन्होंने 8 सेंचुरी लगाकर 2367 रन बनाए हैं। जबकि टी-20 के 23 मैचों में वह 8 फिफ्टी लगाकर 794 रन बना चुके हैं।

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