गाजियाबाद में 30 साल की दिव्यांग महिला ने डाला वोट:भाई गोद में लेकर पहुंचा मतदान केंद्र, विकास और ट्रैफिक के मुद्दे को लेकर की वोटिंग

उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद सदर सीट पर हो रहे उपचुनाव में लोकतंत्र की खूबसूरती भी देखने को मिली। यहां 30 साल की बचपन से दिव्यांग महिला को उसका भाई गोदी में लेकर वोट डलवाने लाया। यह महिला बचपन से ही दिव्यांग है और चलने फिरने में असमर्थ है। जन्म से दिव्यांग है गुलअफशा गाजियाबाद के कैला भट्टा के चमन कॉलोनी में रहने वाले मोहम्मद नाजिम ने बताया कि उसकी बहन का नाम गुलअफशा है और वह जन्म से ही दिव्यांग है। गुलअफशा चलने -फिरने में असमर्थ है। नाजिम अपने घर से गुलअफशा को स्कूटी पर बैठाकर ले आए और मतदान केंद्र से पोलिंग बूथ तक अंदर गोदी में लेकर गए। इन मुद्दों को लेकर किया वोट हालांकि गुलअफसा कुछ बोलने में असमर्थ है वह बातें कम समझती है लेकिन मोहम्मद नाजिम ने बताया कि यह लोकतंत्र का पर्व है इसलिए उन्होंने अपने अधिकार का प्रयोग किया है। स्थानीय मुद्दे जैसे विकास और ट्रैफिक को लेकर उन्होंने वोटिंग की है।

Nov 20, 2024 - 11:15
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गाजियाबाद में 30 साल की दिव्यांग महिला ने डाला वोट:भाई गोद में लेकर पहुंचा मतदान केंद्र, विकास और ट्रैफिक के मुद्दे को लेकर की वोटिंग
उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद सदर सीट पर हो रहे उपचुनाव में लोकतंत्र की खूबसूरती भी देखने को मिली। यहां 30 साल की बचपन से दिव्यांग महिला को उसका भाई गोदी में लेकर वोट डलवाने लाया। यह महिला बचपन से ही दिव्यांग है और चलने फिरने में असमर्थ है। जन्म से दिव्यांग है गुलअफशा गाजियाबाद के कैला भट्टा के चमन कॉलोनी में रहने वाले मोहम्मद नाजिम ने बताया कि उसकी बहन का नाम गुलअफशा है और वह जन्म से ही दिव्यांग है। गुलअफशा चलने -फिरने में असमर्थ है। नाजिम अपने घर से गुलअफशा को स्कूटी पर बैठाकर ले आए और मतदान केंद्र से पोलिंग बूथ तक अंदर गोदी में लेकर गए। इन मुद्दों को लेकर किया वोट हालांकि गुलअफसा कुछ बोलने में असमर्थ है वह बातें कम समझती है लेकिन मोहम्मद नाजिम ने बताया कि यह लोकतंत्र का पर्व है इसलिए उन्होंने अपने अधिकार का प्रयोग किया है। स्थानीय मुद्दे जैसे विकास और ट्रैफिक को लेकर उन्होंने वोटिंग की है।

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