चंबा में अफीम की अवैध खेती का भंडाफोड़:तीन खेतों में मिले लगे मिले पौधे, मालिक के खिलाफ केस दर्ज, जांच जारी
हिमाचल प्रदेश में नशे के खिलाफ चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) कांगड़ा को एक सफलता हाथ लगी है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) राजेंद्र जसवाल को सूचना मिली कि चंबा के गांव चनेड़ में अवैध रूप से अफीम की खेती की जा रही है। सूचना के आधार पर एएनटीएफ कांगड़ा की टीम, जिसमें एएसआई विकास अरोड़ा, हेड कांस्टेबल दीपक, मनोज कुमार, हेमराज तथा कांस्टेबल सुमित कुमार शामिल थे, मौके पर पहुंची। टीम ने गांव के तीन खेतों में बड़े पैमाने पर अफीम के पौधे उगाए जाने की पुष्टि की। खेतों के मालिक की पहचान मनोहर लाल के रूप में हुई है, जिसकी पुष्टि स्थानीय पटवारी ने भी की है। पुलिस टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए मनोहर लाल के खिलाफ पुलिस थाना सदर में मादक द्रव्य अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। जारी रहेगा नशे के खिलाफ अभियान : एएसपी एएसपी राजेंद्र जसवाल ने कहा कि यह अत्यंत चिंताजनक है कि चंबा जिले के विभिन्न क्षेत्रों में नशे की खेती की जा रही है। इससे साफ जाहिर होता है कि जिले में नशे की मांग बढ़ रही है और लोग अवैध तरीके से इसकी आपूर्ति करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि नशे के खिलाफ अभियान भविष्य में भी पूरी सख्ती से जारी रहेगा। एएसपी जसवाल ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि नशे के खिलाफ इस मुहिम में पुलिस का सहयोग करें। उन्होंने आश्वासन दिया कि सूचना देने वाले व्यक्तियों की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी।

चंबा में अफीम की अवैध खेती का भंडाफोड़
चंबा जिले में हाल ही में अफीम की अवैध खेती का एक बड़ा भंडाफोड़ हुआ है। तीन खेतों में अवैध अफीम के पौधे पाए गए हैं, जो स्थानीय अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बन गए हैं। इस मामले में संबंधित खेतों के मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है और जांच अभी भी जारी है।
अवैध खेती की जांच
स्थानीय पुलिस और कृषि विभाग ने मिलकर इस मामले की गंभीरता को समझते हुए एक विशेष जांच दल का गठन किया है। यह दल खेतों की जमीनी स्थिति और उनके मालिकों की पृष्ठभूमि की जांच करेगा। यह प्रतिबंधित मादक पदार्थों के उत्पादन पर नकेल कसने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
इस घटना पर स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है। कुछ लोगों ने इसे कानून की सख्ती की जरूरत बताया है, जबकि दूसरों ने इसे स्थानीय किसानों की आर्थिक स्थिति से जोड़ा है। अफीम की खेती ने गांवों में रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं, लेकिन इसके नकारात्मक प्रभावों को भी नकारा नहीं जा सकता।
मामले की गंभीरता
अफीम की खेती से न केवल कानून का उल्लंघन होता है, बल्कि यह समाज के लिए भी खतरा है। आयोजकों का कहना है कि ऐसे मामलों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
इसके अलावा, संबंधित प्रशासन ने उपाय किए हैं जिससे ऐसी अवैध गतिविधियों को समाप्त किया जा सके। अधिकारियों ने स्थानीय निवासियों को सचेत किया है और उनके सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया है।
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निष्कर्ष
चंबा में अफीम की अवैध खेती का यह मामला स्पष्ट करता है कि हमें समाज में बढ़ते मादक पदार्थों के प्रभावों के प्रति जागरूक रहना होगा। स्थानीय प्रशासन की मेहनत और प्रयासों से इसे नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, लेकिन इसके लिए सामुदायिक सहयोग भी आवश्यक है। Keywords: चंबा में अफीम की अवैध खेती, अफीम के पौधे मिले, चंबा खेती मामले की जांच, अफीम खेती का भंडाफोड़, अफीम की खेती पर कानूनी कार्रवाई, चंबा अफीम केस, अवैध कृषि गतिविधियाँ चंबा, चंबा में अफीम उत्पादन, अफीम खेतों की खोज, indiatwoday.com समाचार
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