जस्टिस गवई बोले-जज का बिहेव ज्यूडिशियल एथिक्स के मुताबिक हो:उनका किसी राजनेता की प्रशंसा करना लोगों के ज्यूडिशियरी में भरोसे को प्रभावित कर सकता है

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि जज का व्यवहार ज्यूडिशियल एथिक्स के हाई स्टैंडर्ड के मुताबिक होना चाहिए। पद पर रहते हुए और शिष्टाचार के दायरे से बाहर जज का किसी राजनेता या नौकरशाह की प्रशंसा करने से पूरी न्यायपालिका में लोगों का भरोसा प्रभावित हो सकता है। चुनाव लड़ने के लिए जज का इस्तीफा देना निष्पक्षता को लेकर लोगों की धारणा को प्रभावित कर सकता है। ज्यूडिशियल एथिक्स और ईमानदारी ऐसे बुनियादी स्तंभ हैं जो कानूनी व्यवस्था की विश्वसनीयता को बनाए रखते हैं। जस्टिस गवई ने 19 अक्टूबर को गुजरात के अहमदाबाद में ये बात कही। वे यहां न्यायिक अधिकारियों के लिए आयोजित वार्षिक सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे थे। जस्टिस गवई ने कहा- बेंच पर और बेंच से बाहर जज का आचरण ज्यूडिशियल एथिक्स के हाई स्टैंडर्ड के मुताबिक होना चाहिए। पद पर रहते हुए और शिष्टाचार के दायरे से बाहर जज का किसी राजनेता या नौकरशाह की प्रशंसा करने से पूरी न्यायपालिका में लोगों का भरोसा प्रभावित हो सकता है। उन्होने उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के एक जस्टिस को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की आलोचना करने वाली टिप्पणियों के लिए माफी मांगनी पड़ी। कोई न्यायाधीश तुरंत चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे देता है। तो इससे उसकी निष्पक्षता के बारे में लोगों की धारणा प्रभावित हो सकती है। जनता का विश्वास बरकरार रखना जरूरी जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि न्यायपालिका में जनता के विश्वास को बरकरार रखना जरूरी है। इसका सैद्धांतिक कारण ये है कि यदि न्यायपालिका में लोगों का विश्वास कम हुआ तो वे ज्यूडिशियल सिस्टम के बाहर न्याय तलाश करेंगे। उन्होंने कहा कि न्याय के लिए लोग भ्रष्टाचार, भीड़ के न्याय के जैसे तरीके अपना सकते हैं। इससे समाज में कानून और व्यवस्था का नुकसान हो सकता है। लोग केस दर्ज कराने और फैसलों के खिलाफ अपील करने में हिचकिचाहट महसूस कर सकते हैं। धीमी अदालती प्रक्रिया से ज्यूडिशियल सिस्टम से मोहभंग जस्टिस गवई ने कहा- लंबी मुकदमेबाजी और धीमी अदालती प्रक्रियाएं ज्यूडिशियल सिस्टम से मोहभंग पैदा करती हैं। न्याय देने में देरी से निष्पक्ष सुनवाई तय करना मुश्किल हो जाता है। ज्यूडिशियल सिस्टम में विश्वास कम हो जाता है, जिससे अन्याय और लापरवाही की धारणा बनती है। जस्टिस ने कहा कि न्याय में देरी से उन आरोपियों को नुकसान होता है जो बाद में निर्दोष पाए जाते हैं। इससे जेलों में भीड़ भी बढ़ जाती है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग-लाइव स्ट्रीमिंग से कार्यवाही में पारदर्शिता जस्टिस गवई ने कहा कि संवैधानिक पीठ की कार्यवाही की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और लाइव स्ट्रीमिंग को से कोर्ट की पारदर्शिता बढ़ रही है। ये अच्छा कदम है। इससे जनता को रियल टाइम में फैसले देखने की परमिशन मिलती है। उन्होंने कहा कि हालांकि अदालती कार्यवाही की छोटी क्लिप जस्टिस के बारे में गलत धारणा बना सकती हैं। इसके लिए वायरल क्लिप क्लिप के दुरुपयोग को रोकने के लिए अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए गाइड लाइन बनाने की जरूरत है। CJI ने कहा था- रिटायर होते ही पॉलिटिक्स जॉइन न करें जज ​​​​​​​​​​​​​​क्या जजों को रिटायरमेंट के तुरंत बाद राजनीतिक पद स्वीकार करने चाहिए? क्या इससे उनकी निष्पक्ष न्यायमूर्ति की छवि प्रभावित नहीं होती है? ऐसे तमाम सवाल हैं, जिनके जवाब कयासों के रूप में हमारे और आपके बीच तैरते रहते हैं। इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ से दैनिक भास्कर मध्य प्रदेश के स्टेट एडिटर सतीश सिंह ने दिल्ली के 5 कृष्ण मेनन मार्ग स्थित उनके आवास पर खास बातचीत की। जस्टिस चंद्रचूड़ ने हर सवाल का खुलकर जवाब दिया था। देश के किसी भी मीडिया संस्थान को साल 2024 में दिया गया यह उनका पहला इंटरव्यू था। पूरी खबर पढ़ें... ........................................... सुप्रीम कोर्ट में ‘न्याय की देवी’ की नई मूर्ति:आंख से पट्‌टी हटी, हाथ में तलवार की जगह संविधान की किताब; CJI ने ऑर्डर देकर बनवाई सुप्रीम कोर्ट में ‘लेडी ऑफ जस्टिस’ यानी न्याय की देवी की नई मूर्ति लगाई गई। इस मूर्ति की आंखों से पट्‌टी हटा दी गई है, जो अब तक कानून के अंधे होने का संकेत देती थी। वहीं, उसके हाथ में तलवार की जगह संविधान की किताब दी गई है। यह मूर्ति सुप्रीम कोर्ट के जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई। पूरी खबर पढ़ें... सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी अन्य खबरें भी पढ़ें... जस्टिस संजीव खन्ना होंगे 51वें CJI: अनुच्छेद 370 हटाने को सही बताया था, कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का, 13 मई को रिटायर होंगे स्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के 51वें चीफ जस्टिस होंगे। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार से उनके नाम की सिफारिश की है। दरअसल, CJI चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो जाएंगे। परंपरा है कि मौजूदा CJI अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश तभी करते हैं, जब उन्हें कानून मंत्रालय से ऐसा करने का आग्रह किया जाता है। CJI चंद्रचूड़ के बाद वरिष्ठता सूची में जस्टिस संजीव खन्ना का नाम है। इसलिए जस्टिस खन्ना का नाम आगे बढ़ाया गया। पूरी खबर पढ़ें...

Oct 20, 2024 - 21:55
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जस्टिस गवई बोले-जज का बिहेव ज्यूडिशियल एथिक्स के मुताबिक हो:उनका किसी राजनेता की प्रशंसा करना लोगों के ज्यूडिशियरी में भरोसे को प्रभावित कर सकता है
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि जज का व्यवहार ज्यूडिशियल एथिक्स के हाई स्टैंडर्ड के मुताबिक होना चाहिए। पद पर रहते हुए और शिष्टाचार के दायरे से बाहर जज का किसी राजनेता या नौकरशाह की प्रशंसा करने से पूरी न्यायपालिका में लोगों का भरोसा प्रभावित हो सकता है। चुनाव लड़ने के लिए जज का इस्तीफा देना निष्पक्षता को लेकर लोगों की धारणा को प्रभावित कर सकता है। ज्यूडिशियल एथिक्स और ईमानदारी ऐसे बुनियादी स्तंभ हैं जो कानूनी व्यवस्था की विश्वसनीयता को बनाए रखते हैं। जस्टिस गवई ने 19 अक्टूबर को गुजरात के अहमदाबाद में ये बात कही। वे यहां न्यायिक अधिकारियों के लिए आयोजित वार्षिक सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे थे। जस्टिस गवई ने कहा- बेंच पर और बेंच से बाहर जज का आचरण ज्यूडिशियल एथिक्स के हाई स्टैंडर्ड के मुताबिक होना चाहिए। पद पर रहते हुए और शिष्टाचार के दायरे से बाहर जज का किसी राजनेता या नौकरशाह की प्रशंसा करने से पूरी न्यायपालिका में लोगों का भरोसा प्रभावित हो सकता है। उन्होने उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के एक जस्टिस को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की आलोचना करने वाली टिप्पणियों के लिए माफी मांगनी पड़ी। कोई न्यायाधीश तुरंत चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे देता है। तो इससे उसकी निष्पक्षता के बारे में लोगों की धारणा प्रभावित हो सकती है। जनता का विश्वास बरकरार रखना जरूरी जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि न्यायपालिका में जनता के विश्वास को बरकरार रखना जरूरी है। इसका सैद्धांतिक कारण ये है कि यदि न्यायपालिका में लोगों का विश्वास कम हुआ तो वे ज्यूडिशियल सिस्टम के बाहर न्याय तलाश करेंगे। उन्होंने कहा कि न्याय के लिए लोग भ्रष्टाचार, भीड़ के न्याय के जैसे तरीके अपना सकते हैं। इससे समाज में कानून और व्यवस्था का नुकसान हो सकता है। लोग केस दर्ज कराने और फैसलों के खिलाफ अपील करने में हिचकिचाहट महसूस कर सकते हैं। धीमी अदालती प्रक्रिया से ज्यूडिशियल सिस्टम से मोहभंग जस्टिस गवई ने कहा- लंबी मुकदमेबाजी और धीमी अदालती प्रक्रियाएं ज्यूडिशियल सिस्टम से मोहभंग पैदा करती हैं। न्याय देने में देरी से निष्पक्ष सुनवाई तय करना मुश्किल हो जाता है। ज्यूडिशियल सिस्टम में विश्वास कम हो जाता है, जिससे अन्याय और लापरवाही की धारणा बनती है। जस्टिस ने कहा कि न्याय में देरी से उन आरोपियों को नुकसान होता है जो बाद में निर्दोष पाए जाते हैं। इससे जेलों में भीड़ भी बढ़ जाती है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग-लाइव स्ट्रीमिंग से कार्यवाही में पारदर्शिता जस्टिस गवई ने कहा कि संवैधानिक पीठ की कार्यवाही की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और लाइव स्ट्रीमिंग को से कोर्ट की पारदर्शिता बढ़ रही है। ये अच्छा कदम है। इससे जनता को रियल टाइम में फैसले देखने की परमिशन मिलती है। उन्होंने कहा कि हालांकि अदालती कार्यवाही की छोटी क्लिप जस्टिस के बारे में गलत धारणा बना सकती हैं। इसके लिए वायरल क्लिप क्लिप के दुरुपयोग को रोकने के लिए अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए गाइड लाइन बनाने की जरूरत है। CJI ने कहा था- रिटायर होते ही पॉलिटिक्स जॉइन न करें जज ​​​​​​​​​​​​​​क्या जजों को रिटायरमेंट के तुरंत बाद राजनीतिक पद स्वीकार करने चाहिए? क्या इससे उनकी निष्पक्ष न्यायमूर्ति की छवि प्रभावित नहीं होती है? ऐसे तमाम सवाल हैं, जिनके जवाब कयासों के रूप में हमारे और आपके बीच तैरते रहते हैं। इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ से दैनिक भास्कर मध्य प्रदेश के स्टेट एडिटर सतीश सिंह ने दिल्ली के 5 कृष्ण मेनन मार्ग स्थित उनके आवास पर खास बातचीत की। जस्टिस चंद्रचूड़ ने हर सवाल का खुलकर जवाब दिया था। देश के किसी भी मीडिया संस्थान को साल 2024 में दिया गया यह उनका पहला इंटरव्यू था। पूरी खबर पढ़ें... ........................................... सुप्रीम कोर्ट में ‘न्याय की देवी’ की नई मूर्ति:आंख से पट्‌टी हटी, हाथ में तलवार की जगह संविधान की किताब; CJI ने ऑर्डर देकर बनवाई सुप्रीम कोर्ट में ‘लेडी ऑफ जस्टिस’ यानी न्याय की देवी की नई मूर्ति लगाई गई। इस मूर्ति की आंखों से पट्‌टी हटा दी गई है, जो अब तक कानून के अंधे होने का संकेत देती थी। वहीं, उसके हाथ में तलवार की जगह संविधान की किताब दी गई है। यह मूर्ति सुप्रीम कोर्ट के जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई। पूरी खबर पढ़ें... सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी अन्य खबरें भी पढ़ें... जस्टिस संजीव खन्ना होंगे 51वें CJI: अनुच्छेद 370 हटाने को सही बताया था, कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का, 13 मई को रिटायर होंगे स्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के 51वें चीफ जस्टिस होंगे। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार से उनके नाम की सिफारिश की है। दरअसल, CJI चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो जाएंगे। परंपरा है कि मौजूदा CJI अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश तभी करते हैं, जब उन्हें कानून मंत्रालय से ऐसा करने का आग्रह किया जाता है। CJI चंद्रचूड़ के बाद वरिष्ठता सूची में जस्टिस संजीव खन्ना का नाम है। इसलिए जस्टिस खन्ना का नाम आगे बढ़ाया गया। पूरी खबर पढ़ें...

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