जितेंद्र सिंह आत्महत्या मामला: परिवार का अंतिम संस्कार से इनकार, मांग रहे हैं दोषियों को सजा
पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में जितेंद्र सिंह द्वारा आत्महत्या किए जाने का मामला लगातार गरमाता जा रहा है। शुक्रवार, 22 अगस्त को जितेंद्र का अंतिम संस्कार होना था, लेकिन परिजनों ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया। उन्होंने साफ कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, वे अंतिम संस्कार नहीं […] The post जितेंद्र सिंह आत्महत्या मामला गरमाया, परिजनों ने अंतिम संस्कार से किया इनकार, दोषियों को फांसी की मांग first appeared on Vision 2020 News.

जितेंद्र सिंह आत्महत्या मामला: परिवार का अंतिम संस्कार से इनकार, मांग रहे हैं दोषियों को सजा
पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में जितेंद्र सिंह के आत्महत्या के मामले में हलचल तेज हो गई है। शुक्रवार, 22 अगस्त को जितेंद्र का अंतिम संस्कार होना था, लेकिन परिजनों ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया। उनका कहना है कि जब तक उनकी सभी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - India Twoday
परिजनों की मांगें
जितेंद्र के परिजनों ने अपनी तीन मुख्य मांगें रखी हैं: पहली, आरोपी हिमांशु चमोली को फांसी की सजा दी जाए। दूसरी, जितेंद्र से लिए गए 35 लाख रुपये तुरंत परिवार को लौटाए जाएं और तीसरी, वीडियो में जिनके भी नाम हैं, उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। इस बीच, जब जितेंद्र का शव अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था, परिजनों और ग्रामीणों ने कीर्तिनगर पुल पर धरना प्रदर्शन किया, जिससे बिलकेदार-श्रीनगर मोटर मार्ग पूरी तरह से जाम हो गया।
पूरे मामले का विस्तार
गुरुवार को तलसारी गांव निवासी जितेंद्र सिंह ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले उन्होंने एक वीडियो अपने वाहन में पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने बीजेपी युवा मोर्चा के तत्कालीन प्रदेश मंत्री हिमांशु चमोली पर 35 लाख रुपये हड़पने और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही काफी चर्चित हो गया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, भाजपा ने तुरंत कार्रवाई की और हिमांशु चमोली को युवा मोर्चा के प्रदेश मंत्री पद से हटा दिया। हालांकि, परिजनों की नाराज़गी अभी भी बरकरार है। उनका कहना है कि केवल पद से हटाना पर्याप्त नहीं है, उन्हें कानूनी सजा मिलनी चाहिए।
पुलिस की प्रारंभिक जांच
पुलिस की जांच में पता चला है कि 20 अगस्त की रात जितेंद्र अपने दोस्तों के साथ शिकार पर गया था। लौटते समय उन्होंने एक मेसेज भेजा और लिखा, "मैं जा रहा हूं, माफ करना।" इसके बाद, सुबह चार बजे उन्होंने आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार, जितेंद्र के मोबाइल में आत्महत्या से संबंधित दो वीडियो मिले हैं, जिन्हें उसने 6 और 18 अगस्त को रिकॉर्ड किया था।
आपात स्थिति और प्रशासन का अलर्ट
इस घटना के बाद, घटनास्थल पर भारी पुलिस तैनात की गई है। शव के पास धरना प्रदर्शन जारी है। प्रशासन का प्रयास है कि परिजनों को शांति के साथ अंतिम संस्कार के लिए मनाया जाए, लेकिन ऐसा लगता है कि आंदोलन रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है।
यह मामला यह बताता है कि राज्य में न्याय की व्यवस्था कितनी प्रभावी है और नागरिकों की शिकायतों पर सरकार किस प्रकार ध्यान देती है। परिजनों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे इस संघर्ष को जारी रखेंगे। यह मामला सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि समाज में व्याप्त एक बड़ी समस्या का भी प्रतीक है।
अतः इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जितेंद्र सिंह की मृत्यु केवल उनका निजी मामला नहीं था, बल्कि यह एक बड़ा प्रश्न है जो समाज के समक्ष खड़ा है — क्या हम वास्तव में न्याय की उम्मीद कर सकते हैं? कम शब्दों में कहें तो जितेंद्र के मामले ने एक बार फिर हमें सोचने पर मजबूर किया है कि समाज में अन्याय के खिलाफ उठने वाली आवाजें कितनी महत्वपूर्ण हैं।
लेखक: विद्या रानी, कंठाक्षी मलिक, दीप्ति जोशी
टीम IndiaTwoday
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