‘कालनेमी’: सत्ता के गलियारों में घुसे ठगों का खतरनाक जाल, आवश्यक है एक नई जाँच
प्रदीप रावत ‘रवांल्टा’ नकल माफिया हाकम सिंह रावत की तस्वीरें तो आपको याद ही होंगी। उसकी तस्वीरें देखकर ऐसा लगता था मानो वह किसी राजघराने का राजकुमार हो, लेकिन सच्चाई यह थी कि वह नकल माफिया निकला। हाकम को लोग भूलने लगे थे, लेकिन जितेंद्र कुमार की आत्महत्या ने हाकम जैसे कालनेमियों की याद फिर …

‘कालनेमी’: सत्ता के गलियारों में घुसे ठगों का खतरनाक जाल, आवश्यक है एक नई जाँच
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कम शब्दों में कहें तो, हाल ही में जितेंद्र कुमार की आत्महत्या ने एक बार फिर दिखा दिया है कि कैसे भारत में ठगों का जाल सत्ता के गलियारों में फैल चुका है। नकल माफिया हाकम सिंह रावत का मामला इस बात का उदाहरण है कि ऐसे कालनेमियों के खिलाफ एक और ऑपरेशन की आवश्यकता है। भारत की नई सोच के लिए हमारे साथ जुड़े रहें.
हाकम से जितेंद्र तक: एक दर्दनाक कहानी
जब हम प्रदीप रावत ‘रवांल्टा’ के बारे में बात करते हैं, तो उसकी भव्यता से भरी तस्वीरें देखकर लगता है कि वह किसी राजघराने का होगा। लेकिन असलियत में वह एक ठग से ज्यादा कुछ नहीं था। हाकम जैसे लोगों के प्रभाव से जितेंद्र कुमार को जो मानसिक दबाव सहना पड़ा, उसके परिणाम भयानक थे।
ठगों का बढ़ता हुआ जाल
जितेंद्र कुमार का मामला मात्र एक उदाहरण है। हिमांशु चमोली, जिसे उसने ठगने का शिकार बनाया, का प्रभाव इतना व्यापक था कि इससे कई अन्य युवा भी मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे थे। इन सबके बीच, यह स्पष्ट है कि इस तरह के ठगों का नेटवर्क बढ़ता जा रहा है।
सत्ता के गलियारों में छिपा खतरा
यह सवाल उठता है कि जितेंद्र कुमार के मामले को पुलिस ने कैसे देखा? क्या वह अकेल था या इसके पीछे एक बड़ा नेटवर्क विद्यमान है? हिमांशु चमोली जैसे ठगों का सत्ता में प्रवेश दर्शाता है कि कैसे राजनीतिक रिश्तों का दुरुपयोग हो रहा है। इसके साथ ही, जाँच एजेंसियों को आवश्यक कदम उठाने की ज़रूरत है।
सरकार की तैयारी और कार्रवाई
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ने पहले ‘ऑपरेशन कालनेमी’ की शुरुआत की थी, लेकिन क्या यह पर्याप्त था? वर्तमान प्रणाली में ठगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता स्पष्ट है। जब तक ऐसे लोग बेखौफ घूमते रहेंगे, तब तक युवा, जैसे कि जितेंद्र, दिक्कत में रहेंगे।
निष्कर्ष: जागरूकता और बदलाव की आवश्यकता
समाज को अब जागरूक रहने की आवश्यकता है। जितेंद्र जैसे युवा अकेले नहीं हैं, हम सभी को उनकी समस्याओं को समझना होगा और सच्चाई को सामने लाने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। राजनीतिक नेताओं को भी इस सच्चाई का सामना करना होगा और ठगों से निपटने के लिए रणनीतियों में बदलाव लाना होगा।
हमें एक नई रणनीति और एक नए ऑपरेशन की आवश्यकता है ताकि ऐसे ठगों का जाल तोड़ा जा सके। यदि हम सक्रिय नहीं हुए, तो आने वाले समय में हम कई नए जितेंद्र के मामलों का सामना कर सकते हैं।
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