झांसा देकर मरीजों को निजी अस्पताल भेज रहे रेजिडेंट डॉक्टर:KGMU के ट्रॉमा सेंटर का मामला, 5 जूनियर डॉक्टरों पर एक्शन

KGMU में निजी अस्पताल में प्रैक्टिस के आरोपों के बीच और और सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां के ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को अच्छे इलाज का झांसा देकर रेजिडेंट डॉक्टरों पर निजी अस्पताल में भेजने का आरोप लगा हैं। जिसके चलते विश्वविद्यालय प्रशासन ने ट्रॉमा सेंटर में तैनात 5 जूनियर रेजिडेंट की सेवाएं खत्म कर दी हैं। इस एक्शन के बाद जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों में भी अफरा-तफरी भरा माहौल है। 24 घंटे रहता है मरीजों का जबरदस्त दबाव KGMU के ट्रॉमा सेंटर में इस समय 450 बेड हैं। यहां दूर दराज से भी गंभीर मरीजों का दिन रात आना लगा रहता है। ज्यादातर बेड भरे रहते हैं। हालत यह होती है कि रोजाना यहां 100 से ज्यादा घायलों का इलाज स्ट्रेचर पर होता है। मरीजों का ज्यादा दबाव होने की वजह से शाम के बाद और विशेषकर रात में आने वाले घायलों को बेड मिलने में समस्या रहती है। इसका फायदा उठाते हुए यहां तैनात कई ट्रॉमा के बाहर खड़ी रहती हैं अस्पतालों की एंबुलेंस रेजिडेंट मरीजों को निर्धारित अस्पताल भेजते हैं। ट्रॉमा के बाहर निजी अस्पतालों की एम्बुलेंस का डेरा अहम बात ये है कि ट्रॉमा सेंटर के बाहर निजी अस्पतालों की एंबुलेंस राउंड द क्लॉक मौजूद रहती हैं। ये एंबुलेंस घायलों और मरीजों को सीधे वहां पहुंचा देती हैं। वहीं, इस मामले में KGMU के प्रवक्ता डॉ.सुधीर ने कहा कि ऐसे सभी मामलों में विश्वविद्यालय प्रशासन का जीरो टॉलरेंस का रवैया है, कोई भी संलिप्तता पाई जाएगी तो कठोर कार्रवाई होगी। इस मामले में क्या एक्शन हुआ है, ये कन्फर्म करके बता पाएंगे।

Nov 18, 2024 - 05:55
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झांसा देकर मरीजों को निजी अस्पताल भेज रहे रेजिडेंट डॉक्टर:KGMU के ट्रॉमा सेंटर का मामला, 5 जूनियर डॉक्टरों पर एक्शन
KGMU में निजी अस्पताल में प्रैक्टिस के आरोपों के बीच और और सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां के ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को अच्छे इलाज का झांसा देकर रेजिडेंट डॉक्टरों पर निजी अस्पताल में भेजने का आरोप लगा हैं। जिसके चलते विश्वविद्यालय प्रशासन ने ट्रॉमा सेंटर में तैनात 5 जूनियर रेजिडेंट की सेवाएं खत्म कर दी हैं। इस एक्शन के बाद जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों में भी अफरा-तफरी भरा माहौल है। 24 घंटे रहता है मरीजों का जबरदस्त दबाव KGMU के ट्रॉमा सेंटर में इस समय 450 बेड हैं। यहां दूर दराज से भी गंभीर मरीजों का दिन रात आना लगा रहता है। ज्यादातर बेड भरे रहते हैं। हालत यह होती है कि रोजाना यहां 100 से ज्यादा घायलों का इलाज स्ट्रेचर पर होता है। मरीजों का ज्यादा दबाव होने की वजह से शाम के बाद और विशेषकर रात में आने वाले घायलों को बेड मिलने में समस्या रहती है। इसका फायदा उठाते हुए यहां तैनात कई ट्रॉमा के बाहर खड़ी रहती हैं अस्पतालों की एंबुलेंस रेजिडेंट मरीजों को निर्धारित अस्पताल भेजते हैं। ट्रॉमा के बाहर निजी अस्पतालों की एम्बुलेंस का डेरा अहम बात ये है कि ट्रॉमा सेंटर के बाहर निजी अस्पतालों की एंबुलेंस राउंड द क्लॉक मौजूद रहती हैं। ये एंबुलेंस घायलों और मरीजों को सीधे वहां पहुंचा देती हैं। वहीं, इस मामले में KGMU के प्रवक्ता डॉ.सुधीर ने कहा कि ऐसे सभी मामलों में विश्वविद्यालय प्रशासन का जीरो टॉलरेंस का रवैया है, कोई भी संलिप्तता पाई जाएगी तो कठोर कार्रवाई होगी। इस मामले में क्या एक्शन हुआ है, ये कन्फर्म करके बता पाएंगे।

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