दिवाली 31 अक्टूबर या 1 नवंबर:काशी-अयोध्या, मथुरा के पंडित बोले- शुभ मुहूर्त 31 को, लक्ष्मी पूजन शाम 6.11 से 8 बजे तक

दिवाली कब मनाई जा रही है? लक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त क्या है? इसे लेकर पहली बार असमंजस की स्थिति है। दैनिक भास्कर ने काशी, मथुरा और अयोध्या के ज्योतिष आचार्य और पंडितों से दिवाली का मुहूर्त जाना। अधिकांश की राय सामने आई कि दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। लक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त 31 अक्टूबर यानी गुरुवार शाम 6.11 बजे से रात 8 बजे तक रहेगा। यही पूजा का सही समय है। पहले दिवाली की पूजा का मुहूर्त 3 धर्मनगरी के पंडितों से बातचीत के बाद समझ आया कि प्रदोष कालीन अमावस्या तिथि में दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस दिवाली अमावस्या तिथि की शुरुआत गुरुवार दोपहर 3.11 बजे से हो रही है। जोकि 1 नवंबर दिन में 5.12 बजे तक रहेगी। इसलिए 31 अक्टूबर को दिवाली पूजन का स्थिर लग्न रात 6.11 बजे से रात 8 बजे तक है। फिर रात में 12.40 बजे से 2.50 बजे तक रहेगा। यह 2 मुहूर्त लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वोत्तम हैं। काशी के पंडितों की बात… धर्मशास्त्र को ना समझने वाले 1 नवंबर बता रहे ज्योतिषाचार्य विनय पांडेय ने कहा- दिवाली की तिथि को लेकर भ्रम नहीं फैलाना चाहिए। धर्मशास्त्र की पंक्तियों का जो लोग सही अर्थ नहीं समझते, वही 1 नवंबर की तिथि बता रहे हैं। यह शास्त्र के विरुद्ध है। गणितीय मान में अमावस्या 31 अक्टूबर को सूर्यास्त से पहले शुरू होकर 1 नवंबर को सूर्यास्त से थोड़ी देर बाद तक है। लक्ष्मी पूजन, शास्त्रीय पूजन सब 31 अक्टूबर को ही करें काशी के प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने कहा- श्रीकाशी विद्वत परिषद के विद्वान और प्रमुख पंचांगकारों को बुलाकर एक मीटिंग की गई। धर्मशास्त्र और ज्योतिशास्त्र, दोनों विधा के अनुसार दिवाली का लक्ष्मी पूजन और अन्य शास्त्रीय पूजन 31 अक्टूबर को ही कराए जाने चाहिए। अब मथुरा के ज्योतिषाचार्य की बात... निशा रात्रि योग और प्रदोष काल 31 को ही, इसी दिन दिवाली मथुरा के ज्योतिषाचार्य पंडित अजय तैलंग ने कहा- दीपोत्सव 31 अक्टूबर को ही मनाया जाना चाहिए। इस दिन निशा रात्रि योग और प्रदोष काल व्यापिनी के योग मिल रहे हैं। धर्म शास्त्र और पंचांग के अनुसार, इन योग में ही लक्ष्मीपूजन होते हैं। लक्ष्मी पूजन के लिए शाम 5.11 से रात के 8.20 बजे तक शुभ मुहूर्त है। इसके अलावा दूसरा मुहूर्त रात में 11.30 से 12.30 के बीच है। 1 नवंबर को सिर्फ 42 मिनट ही प्रदोष काल पंडित अजय तैलंग ने कहा- जो लोग 1 नवंबर को दिवाली मना रहे हैं। उन्हें 42 मिनट ही प्रदोष काल मिल रहा है। यानी शाम को 6 बजे से लेकर 6.42 बजे तक पूजन कर सकते हैं। 1 नवंबर को अमावस्या सुबह है, मगर पूजन के लिए वह समय उचित नहीं। ऐसे में करीब 70% लोग दिवाली 31 अक्टूबर को ही मना रहे हैं। अब अयोध्या के पंडितों की राय… वृष लग्न में लक्ष्मी पूजन शुभ, 31 अक्टूबर को ही मुहूर्त अयोध्या के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश तिवारी ने कहा- दीपोत्सव का कार्यक्रम रात्रि में होता है। 31 अक्टूबर को 3.12 बजे से अमावस्या लग रही है। वृष लग्न में लक्ष्मी पूजन करना शुभ माना जाता है। 6.29 बजे से 8.27 बजे तक शुभ मुहूर्त है। अगर 1 नवंबर को दिवाली मनानी है, तो शाम 5 बजे अमावस्या तिथि खत्म हो रही है। जो उदया सूर्य की परंपरा है। वो लोग 1 नवंबर को दिवाली मनाएंगे। लेकिन शास्त्र में कहा गया है कि अगर दिन का त्योहार है, तो सूर्य का प्रभाव माना जाएगा। अगर रात का त्योहार है, तो चांद का प्रभाव माना जाएगा। चूंकि अमावस्या 31 अक्टूबर है, इसलिए इसी तिथि पर दिवाली मनाई जानी चाहिए। उदया तिथि में अमावस्या, ऐसे में 2 दिन मनाएंगे दिवाली अयोध्या के पंडित कल्कि राम ने कहा- हिंदू पंचांग के मुताबिक, दिवाली का पर्व हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस बार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 31 अक्टूबर दोपहर 3:52 बजे हो रही है। जिसका समापन 1 नवंबर की शाम 5:30 बजे होगा। उदया तिथि में अमावस्या 1 नवंबर को है। इस वजह से दीपावली इस वर्ष दो दिनों तक मनाई जा सकती है। दोनों दिन दीपावली मनाई जा सकती है। ---------------------------------------- यह भी पढ़िए... दिवाली मुहूर्त ट्रेडिंग 1 नवंबर को होगी:शाम 6 से 7 बजे तक एक घंटे का स्पेशल सेशन होगा, BSE-NSE ने किया ऐलान भारतीय शेयर मार्केट में दिवाली के मौके पर मुहूर्त ट्रेडिंग की परंपरा है। वैसे तो स्टॉक एक्सचेंज में इस दिन छुट्टी होती है। लेकिन छुट्टी के दिन भी इसे विशेष तौर पर शाम के समय एक घंटे के लिए खोला जाता है, जिसे मुहूर्त ट्रेडिंग कहते हैं। स्टॉक एक्सचेंज BSE और NSE पर शुक्रवार 1 नवंबर 2024 को शाम 6 बजे से शाम 7 बजे तक एक घंटे का स्पेशल मुहूर्त ट्रेडिंग सेशन आयोजित किया जाएगा। पढ़िए पूरी खबर...

Oct 22, 2024 - 05:20
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दिवाली 31 अक्टूबर या 1 नवंबर:काशी-अयोध्या, मथुरा के पंडित बोले- शुभ मुहूर्त 31 को, लक्ष्मी पूजन शाम 6.11 से 8 बजे तक
दिवाली कब मनाई जा रही है? लक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त क्या है? इसे लेकर पहली बार असमंजस की स्थिति है। दैनिक भास्कर ने काशी, मथुरा और अयोध्या के ज्योतिष आचार्य और पंडितों से दिवाली का मुहूर्त जाना। अधिकांश की राय सामने आई कि दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। लक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त 31 अक्टूबर यानी गुरुवार शाम 6.11 बजे से रात 8 बजे तक रहेगा। यही पूजा का सही समय है। पहले दिवाली की पूजा का मुहूर्त 3 धर्मनगरी के पंडितों से बातचीत के बाद समझ आया कि प्रदोष कालीन अमावस्या तिथि में दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस दिवाली अमावस्या तिथि की शुरुआत गुरुवार दोपहर 3.11 बजे से हो रही है। जोकि 1 नवंबर दिन में 5.12 बजे तक रहेगी। इसलिए 31 अक्टूबर को दिवाली पूजन का स्थिर लग्न रात 6.11 बजे से रात 8 बजे तक है। फिर रात में 12.40 बजे से 2.50 बजे तक रहेगा। यह 2 मुहूर्त लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वोत्तम हैं। काशी के पंडितों की बात… धर्मशास्त्र को ना समझने वाले 1 नवंबर बता रहे ज्योतिषाचार्य विनय पांडेय ने कहा- दिवाली की तिथि को लेकर भ्रम नहीं फैलाना चाहिए। धर्मशास्त्र की पंक्तियों का जो लोग सही अर्थ नहीं समझते, वही 1 नवंबर की तिथि बता रहे हैं। यह शास्त्र के विरुद्ध है। गणितीय मान में अमावस्या 31 अक्टूबर को सूर्यास्त से पहले शुरू होकर 1 नवंबर को सूर्यास्त से थोड़ी देर बाद तक है। लक्ष्मी पूजन, शास्त्रीय पूजन सब 31 अक्टूबर को ही करें काशी के प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने कहा- श्रीकाशी विद्वत परिषद के विद्वान और प्रमुख पंचांगकारों को बुलाकर एक मीटिंग की गई। धर्मशास्त्र और ज्योतिशास्त्र, दोनों विधा के अनुसार दिवाली का लक्ष्मी पूजन और अन्य शास्त्रीय पूजन 31 अक्टूबर को ही कराए जाने चाहिए। अब मथुरा के ज्योतिषाचार्य की बात... निशा रात्रि योग और प्रदोष काल 31 को ही, इसी दिन दिवाली मथुरा के ज्योतिषाचार्य पंडित अजय तैलंग ने कहा- दीपोत्सव 31 अक्टूबर को ही मनाया जाना चाहिए। इस दिन निशा रात्रि योग और प्रदोष काल व्यापिनी के योग मिल रहे हैं। धर्म शास्त्र और पंचांग के अनुसार, इन योग में ही लक्ष्मीपूजन होते हैं। लक्ष्मी पूजन के लिए शाम 5.11 से रात के 8.20 बजे तक शुभ मुहूर्त है। इसके अलावा दूसरा मुहूर्त रात में 11.30 से 12.30 के बीच है। 1 नवंबर को सिर्फ 42 मिनट ही प्रदोष काल पंडित अजय तैलंग ने कहा- जो लोग 1 नवंबर को दिवाली मना रहे हैं। उन्हें 42 मिनट ही प्रदोष काल मिल रहा है। यानी शाम को 6 बजे से लेकर 6.42 बजे तक पूजन कर सकते हैं। 1 नवंबर को अमावस्या सुबह है, मगर पूजन के लिए वह समय उचित नहीं। ऐसे में करीब 70% लोग दिवाली 31 अक्टूबर को ही मना रहे हैं। अब अयोध्या के पंडितों की राय… वृष लग्न में लक्ष्मी पूजन शुभ, 31 अक्टूबर को ही मुहूर्त अयोध्या के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश तिवारी ने कहा- दीपोत्सव का कार्यक्रम रात्रि में होता है। 31 अक्टूबर को 3.12 बजे से अमावस्या लग रही है। वृष लग्न में लक्ष्मी पूजन करना शुभ माना जाता है। 6.29 बजे से 8.27 बजे तक शुभ मुहूर्त है। अगर 1 नवंबर को दिवाली मनानी है, तो शाम 5 बजे अमावस्या तिथि खत्म हो रही है। जो उदया सूर्य की परंपरा है। वो लोग 1 नवंबर को दिवाली मनाएंगे। लेकिन शास्त्र में कहा गया है कि अगर दिन का त्योहार है, तो सूर्य का प्रभाव माना जाएगा। अगर रात का त्योहार है, तो चांद का प्रभाव माना जाएगा। चूंकि अमावस्या 31 अक्टूबर है, इसलिए इसी तिथि पर दिवाली मनाई जानी चाहिए। उदया तिथि में अमावस्या, ऐसे में 2 दिन मनाएंगे दिवाली अयोध्या के पंडित कल्कि राम ने कहा- हिंदू पंचांग के मुताबिक, दिवाली का पर्व हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस बार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 31 अक्टूबर दोपहर 3:52 बजे हो रही है। जिसका समापन 1 नवंबर की शाम 5:30 बजे होगा। उदया तिथि में अमावस्या 1 नवंबर को है। इस वजह से दीपावली इस वर्ष दो दिनों तक मनाई जा सकती है। दोनों दिन दीपावली मनाई जा सकती है। ---------------------------------------- यह भी पढ़िए... दिवाली मुहूर्त ट्रेडिंग 1 नवंबर को होगी:शाम 6 से 7 बजे तक एक घंटे का स्पेशल सेशन होगा, BSE-NSE ने किया ऐलान भारतीय शेयर मार्केट में दिवाली के मौके पर मुहूर्त ट्रेडिंग की परंपरा है। वैसे तो स्टॉक एक्सचेंज में इस दिन छुट्टी होती है। लेकिन छुट्टी के दिन भी इसे विशेष तौर पर शाम के समय एक घंटे के लिए खोला जाता है, जिसे मुहूर्त ट्रेडिंग कहते हैं। स्टॉक एक्सचेंज BSE और NSE पर शुक्रवार 1 नवंबर 2024 को शाम 6 बजे से शाम 7 बजे तक एक घंटे का स्पेशल मुहूर्त ट्रेडिंग सेशन आयोजित किया जाएगा। पढ़िए पूरी खबर...

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