देहरादून घाटी में आपदाओं से सुरक्षा: धस्माना का गंभीर संदेश
1989 के दून घाटी अधिसूचना को खत्म कर उद्योगपतियों के लिए खोला गया रास्ता, एनजीटी ने केंद्र व राज्य को भेजा नोटिस। देहरादून। राज्य सरकार द्वारा देहरादून घाटी की सुरक्षा में सेंध लगाते हुए केंद्र सरकार से दून वैली नोटिफिकेशन 1989 को रद्द करवा कर नया अधिसूचना 13 मई 2025 को जारी करवाने पर विवाद …

देहरादून घाटी में आपदाओं से सुरक्षा: धस्माना का गंभीर संदेश
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देहरादून। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा 1989 के दून वैली नोटिफिकेशन को समाप्त कर नया अधिसूचना जारी करने की प्रक्रिया शुरू की गई है, जिससे देहरादून घाटी की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएँ उत्पन्न हो रही हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सूर्यकांत धस्माना ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा है कि यदि ऐसा किया गया तो घाटी को केदारनाथ और धराली जैसी आपदाओं का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
पर्यावरणीय चमकीली संकट
नई अधिसूचना 13 मई 2025 को लागू होने की उम्मीद है, जिसमें रेड और ऑरेंज श्रेणी के प्रदूषणकारी उद्योगों को केंद्र सरकार की अनापत्ति के बिना ही कार्य करने की अनुमति दी जाएगी। धस्माना का कहना है कि इससे देहरादून की पारिस्थितिकी, जलवायु, नदियों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि "राज्य सरकार अपने उद्योगपति दोस्तों के लिए प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को समर्थन देने का प्रयास कर रही है।"
भविष्य की पीढ़ियों के लिए संकट
धस्माना ने बताया कि अगर ये नीतियाँ लागू हो जाती हैं, तो इसके दुष्परिणाम आने वाली पीढ़ियों को गंभीरता से भुगतने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि दून घाटी एक भूकंपीय क्षेत्र में आती है जो प्राकृतिक आपदाओं के लिए अत्यंत संवेदनशील है। यदि इसकी सुरक्षा की अनदेखी की गई, तो देहरादून को भी केदारनाथ और धराली जैसी विनाशकारी घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है।
कानूनी और सामाजिक आंदोलन की शुरुआत
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह केवल कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि इसे एक व्यापक सामाजिक आंदोलन का रूप दिया जाएगा। "हमारा लक्ष्य देहरादून की आत्मा की रक्षा करना है। यदि यह घाटी बर्बाद हो गई, तो इसका इतिहास हमें कभी नहीं माफ करेगा," उन्होंने कहा। धस्माना ने एनजीटी में एक याचिका दायर की है, जिसमें सरकार व पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी किया गया है।
राजनीतिक और सामाजिक जागरूकता
प्रेस कॉन्फ्रेंस में धस्माना के साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा के मीडिया सलाहकार और अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। उन सभी ने इस मुद्दे को न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक जागरूकता की भी आवश्यकता महसूस की।
सामुदायिक सहयोग की अपील
धस्माना ने अपील की कि सभी नागरिकों को इस मुद्दे में सहयोग देना चाहिए। "यह केवल कांग्रेस पार्टी का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हर भारतीय नागरिक का मुद्दा है। हम मिलकर इसे आगे बढ़ाएंगे," उन्होंने कहा।
एनजीटी द्वारा जारी की गई नोटिस की अगली तिथि 19 सितंबर 2025 निर्धारित की गई है, जब विभिन्न पक्षों से टिप्पणियाँ प्राप्त की जाएंगी।
इस प्रकार, देहरादून घाटी में पर्यावरण सुरक्षा और औद्योगिक अनुमति पर यह विवाद न केवल राजनीतिक वातावरण को गर्म कर रहा है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के सुरक्षित पारिस्थितिकी के अधिकार को दबाने का भी कार्य कर रहा है।
कम शब्दों में कहें तो, देहरादून घाटी के लिए यह एक चेतावनी भरा संदेश है। सरकार की योजनाओं की गंभीर समीक्षा करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं से बचा जा सके। अधिक अपडेट के लिए, हमारी वेबसाइट https://indiatwoday.com पर जाएँ।
सादर,
टीम इंडिया टुडे - साक्षी शर्मा
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