देहरादून में ‘हिमालय कॉलिंग 2025’ सम्मेलन की शुरुआत, राज्यपाल ने कहा– हिमालय की रक्षा मानवता का कर्तव्य

देहरादून: उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने मंगलवार को UPES में हिमालयन इंस्टीट्यूट फॉर लर्निंग एंड लीडरशिप (हिल) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय वैश्विक सम्मेलन ‘हिमालय कॉलिंग 2025’ का उद्घाटन किया। यह सम्मेलन हिमालय की सांस्कृतिक, पर्यावरणीय और बौद्धिक धरोहर को समर्पित है, जिसमें देश-विदेश के चिंतक और पर्यावरणविद् भाग ले रहे […] The post देहरादून: UPES में ‘हिमालय कॉलिंग 2025’ सम्मेलन का आगाज़, राज्यपाल बोले– हिमालय की रक्षा मानवता की जिम्मेदारी l first appeared on Vision 2020 News.

Sep 9, 2025 - 18:27
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देहरादून में ‘हिमालय कॉलिंग 2025’ सम्मेलन की शुरुआत, राज्यपाल ने कहा– हिमालय की रक्षा मानवता का कर्तव्य
देहरादून: उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने मंगलवार को UPES में हिमालयन इ

देहरादून: UPES में ‘हिमालय कॉलिंग 2025’ सम्मेलन का उद्घाटन

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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने मंगलवार को UPES में हिमालयन इंस्टीट्यूट फॉर लर्निंग एंड लीडरशिप (हिल) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय global सम्मेलन ‘हिमालय कॉलिंग 2025’ का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य हिमालय की सांस्कृतिक, पर्यावरणीय और बौद्धिक धरोहर को संरक्षित करना है। सम्मेलन में देश और विदेश के विचारक और पर्यावरणविद् भाग ले रहे हैं।

राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि "हिमालय के संरक्षण में ही मानवता और प्रकृति का कल्याण निहित है।" उन्होंने चेतावनी दी कि आज की प्रकृति बार-बार संकट के संकेत दे रही है जैसे बाढ़, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण। यह हमारे लिए गंभीर संकेत हैं कि जल, जंगल और जमीन की अनदेखी न केवल पर्यावरणीय, बल्कि मानवता के लिए भी एक बड़ा खतरा बन रहा है। हिमालय कॉलिंग 2025 सम्मेलन

सम्मेलन में राज्यपाल ने हिमालयी उत्पादों की प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। उन्होंने कहा, “हम सभी को मिलकर पौधों की रक्षा, जल संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में गंभीरता से कार्य करना होगा।” राज्यपाल ने सम्मेलन की प्रशंसा करते हुए कहा कि "हिमालय सिर्फ पर्वत नहीं हैं; बल्कि यह हमारे जीवन की धुरी हैं।"

UPES के कुलपति डॉ. राम शर्मा ने कहा कि “हिमालय कॉलिंग एक जीवंत मंच है, जहाँ वैज्ञानिक, नवप्रवर्तक, कलाकार, और नीति निर्माता मिलकर शोध और सतत विकास को प्रोत्साहित कर रहे हैं।”

इस सम्मेलन का मुख्य फोकस समाधान-प्रधान दृष्टिकोण पर है, जिसमें शोध को सामुदायिक ज्ञान से जोड़ना, हिमालयी उत्पादों और फोटोग्राफी को प्रदर्शित करना और गोलमेज संवाद से दीर्घकालिक सहयोग की नींव रखना शामिल है।

डॉ. जे.के. पांडेय ने कहा, “युवाओं को यह समझाना बेहद जरूरी है कि हिमालय कोई समस्या नहीं, बल्कि एक साथी है, जिस पर हमें गर्व होना चाहिए और इसे पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।”

हम सभी को मिलकर इस महत्वपूर्ण पहल में भाग लेना चाहिए और हिमालय की रक्षा के लिए अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

हिमालय कॉलिंग 2025 सम्मेलन के आयोजकों का मकसद है कि यह सम्मेलन न केवल संवाद का एक मंच बने, बल्कि एक ऐसी आवाज़ भी बने जो जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रगति करे।

इस सम्मेलन की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हम कितने गंभीरता से हिमालय के संरक्षण की दिशा में पहल करते हैं। सभी विचारकों और विशेषज्ञों को चाहिए कि वे इस दिशा में ठोस कदम उठाएँ।

सभी लोगों को आमंत्रित किया जाता है कि वे इस महत्वाकांक्षी पहल के समर्थन में सहयोग करें। अधिक अपडेट के लिए यहां क्लिक करें。

टीम इंडिया टुडे,
प्रियंका यादव

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