धर्मशाला में फिल्म फेस्टिवल में पहुंचे निर्देशक सुदीप्तो सेन:बोले- 'द केरला स्टोरी' के बाद बढ़ा आत्मविश्वास, फिल्में समाज में परिवर्तन का प्रभावी माध्यम

कांगड़ा जिला के धर्मशाला में दो दिवसीय हिम फिल्म फेस्टिवल आयोजित की गई, जिसमें हिंदी व बंगाली फिल्म निर्देशक सुदीप्तो सेन मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि देश में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में सुनियोजित तरीके से एक वामपंथी विचारधारा कार्य करती है जो यह समझती है कि आम जनता को वो जैसा बताएंगे वही मान्य हो जाएगा। द केरल स्टोरी के निर्देशक सुदीप्तो सेन ने कहा कि भारतीय सिनेमा को संभवतः इसीलिए बॉलीवुड, हॉलीवुड, टॉलीवुड के नाम से चलाया भी जाता है, न कि भारतीय सिनेमा के नाम से। उन्होंने कहा कि धर्मशाला को स्विटजरलैंड का नाम दिया जाता है। किसी ने यह कभी नहीं कहा कि स्विटजरलैंड धर्मशाला जैसा है। यह हमारी स्लेवरी को दर्शाता है। हमें यह सोच बदलनी होगी। मुसलमानों को वोट की राजनीति से जोड़ कर देखा जाता रहा। आज भी भारत में यह कहा जाता है कि यह मुस्लिम एरिया है यहां जाना ठीक नहीं। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। इंदौर में शुरू किया गया था डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्टिवल शुरू सुदीप्तो सेन ने हिम सिने सोसाइटी द्वारा आयोजित हिम फिल्मोत्सव के शुभारंभ अवसर पर दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में कहा कि द केरल स्टोरी के बाद मुझे समझ में आया कि फिल्में वास्तव में समाज परिवर्तन का प्रभावी माध्यम हैं। केरल स्टोरी बनाने के बाद से ही जब अनेक कानूनी व आर्थिक समस्याएं सामने आईं तो डर था कि फिल्म रिलीज भी हो पाएगी कि नहीं पर इसके रिलीज होने के दो माह में ही जैसा प्रतिसाद समाज की ओर से आया तो विश्वास हो गया कि देश में एक बड़ा परिवर्तन आ रहा है। साल 2016 में इंदौर में भारतीय चित्र साधना के नाम से डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्टिवल शुरू किया गया था। राष्ट्रीयता सिनेमा की शुरुआत की थी। फिल्म केरला स्टोरी व बस्तर के निर्देशक सुदीप्तो सेन ने सिनेमा प्रेमियों को सिनेमा के बदलते स्वरूप की जानकारी देते हुए कहा कि सिनेमा के पर्दे से आम आदमी और उससे जुड़ी समस्या गायब हो चुकी है। सिनेमा आम आदमी से दूर जा चुका है और आम आदमी ने भी सिनेमा से दूरी बना ली है। अब तक कर चुके हैं कई फिल्मों का निर्देशन सुदीप्तो सेन एक भारतीय फिल्म निर्देशक हैं जो बंगाली और हिंदी सिनेमा में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने लखनऊ टाइम्स, द लास्ट मॉन्क, द केरल स्टोरी और बस्तर: द नक्सल स्टोरी जैसी विभिन्न फिल्मों और लघु फिल्मों का निर्देशन किया है। सुदीप्तो सेन का जन्म पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में एक सेन परिवार में हुआ था। राष्ट्रीय स्तर के फिल्मोत्सव का आयोजन, हिम सिने सोसाइटी और सेंट्रल यूनिवर्सिटी की संयुक्त पहल पर पहली बार राष्ट्रीय स्तर के दो दिवसीय हिम फिल्मोत्सव का आयोजन किया गया है। हिम फिल्मोत्सव का शुभांरभ बुधवार को कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के सांसद डॉ. राजीव भारद्वाज ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसमें 40 के करीब फिल्में, लघु फिल्में प्रस्तुत की जाएंगी। फेस्टिवल में दिखाई गई मलाणा फिल्म सुदीप्तो सेन से सांसद भारद्वाज ने अपील की कि ऐसी फिल्म बनाएं जो नौजवानों को करीब 50 मिनट तक बैठने के लिए मजबूर कर दे, क्योंकि अनुशासनहीन युवा कभी देश को तरक्की की ओर नहीं ले जा सकता। फिल्मोत्सव के पहले दिन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता विवेक मोहन निर्देशित फिल्म मलाणा दिखाई गई। जिसे युवा वर्ग के साथ-साथ हॉल में उपस्थित दर्शकों ने काफी सराहा। RSS के पदाधिकारी भी रहे मौजूद समारोह की अध्यक्षता सीयू के कुलसचिव रजिस्ट्रार डॉ. सुमन शर्मा ने की। इस दौरान चर्चित फिल्म केरला स्टोरी व बस्तर जैसी फिल्म बनाने वाले सुदीप्तो सेन विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के उत्तर क्षेत्रीय प्रचारक प्रमुख अनिल कुमार, प्रशांत रंजन, अरुण अरोड़ा और डलहौजी के विधायक डीएस ठाकुर सहित फिल्म समीक्षक भी मौजूद रहे। उत्तर क्षेत्रीय के प्रचारक प्रमुख अनिल कुमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति व इतिहास को लेकर अच्छी फिल्में बननी चाहिए। भारतीय चित्र साधना इसे लेकर देश भर में विभिन्न समितियों को बनाकर कार्य कर रहे हैं। जिसमें हर राज्य में अलग-अलग इकाइयां काम कर रही हैं। कांगड़ा-चंबा के लोकसभा सांसद डॉक्टर राजीव भारद्वाज ने कहा कि कि ये पीढ़ी ही देश का भविष्य है, दुनिया में भारत का ध्वज यही लहराएंगे।

Oct 23, 2024 - 18:10
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धर्मशाला में फिल्म फेस्टिवल में पहुंचे निर्देशक सुदीप्तो सेन:बोले- 'द केरला स्टोरी' के बाद बढ़ा आत्मविश्वास, फिल्में समाज में परिवर्तन का प्रभावी माध्यम
कांगड़ा जिला के धर्मशाला में दो दिवसीय हिम फिल्म फेस्टिवल आयोजित की गई, जिसमें हिंदी व बंगाली फिल्म निर्देशक सुदीप्तो सेन मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि देश में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में सुनियोजित तरीके से एक वामपंथी विचारधारा कार्य करती है जो यह समझती है कि आम जनता को वो जैसा बताएंगे वही मान्य हो जाएगा। द केरल स्टोरी के निर्देशक सुदीप्तो सेन ने कहा कि भारतीय सिनेमा को संभवतः इसीलिए बॉलीवुड, हॉलीवुड, टॉलीवुड के नाम से चलाया भी जाता है, न कि भारतीय सिनेमा के नाम से। उन्होंने कहा कि धर्मशाला को स्विटजरलैंड का नाम दिया जाता है। किसी ने यह कभी नहीं कहा कि स्विटजरलैंड धर्मशाला जैसा है। यह हमारी स्लेवरी को दर्शाता है। हमें यह सोच बदलनी होगी। मुसलमानों को वोट की राजनीति से जोड़ कर देखा जाता रहा। आज भी भारत में यह कहा जाता है कि यह मुस्लिम एरिया है यहां जाना ठीक नहीं। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। इंदौर में शुरू किया गया था डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्टिवल शुरू सुदीप्तो सेन ने हिम सिने सोसाइटी द्वारा आयोजित हिम फिल्मोत्सव के शुभारंभ अवसर पर दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में कहा कि द केरल स्टोरी के बाद मुझे समझ में आया कि फिल्में वास्तव में समाज परिवर्तन का प्रभावी माध्यम हैं। केरल स्टोरी बनाने के बाद से ही जब अनेक कानूनी व आर्थिक समस्याएं सामने आईं तो डर था कि फिल्म रिलीज भी हो पाएगी कि नहीं पर इसके रिलीज होने के दो माह में ही जैसा प्रतिसाद समाज की ओर से आया तो विश्वास हो गया कि देश में एक बड़ा परिवर्तन आ रहा है। साल 2016 में इंदौर में भारतीय चित्र साधना के नाम से डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्टिवल शुरू किया गया था। राष्ट्रीयता सिनेमा की शुरुआत की थी। फिल्म केरला स्टोरी व बस्तर के निर्देशक सुदीप्तो सेन ने सिनेमा प्रेमियों को सिनेमा के बदलते स्वरूप की जानकारी देते हुए कहा कि सिनेमा के पर्दे से आम आदमी और उससे जुड़ी समस्या गायब हो चुकी है। सिनेमा आम आदमी से दूर जा चुका है और आम आदमी ने भी सिनेमा से दूरी बना ली है। अब तक कर चुके हैं कई फिल्मों का निर्देशन सुदीप्तो सेन एक भारतीय फिल्म निर्देशक हैं जो बंगाली और हिंदी सिनेमा में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने लखनऊ टाइम्स, द लास्ट मॉन्क, द केरल स्टोरी और बस्तर: द नक्सल स्टोरी जैसी विभिन्न फिल्मों और लघु फिल्मों का निर्देशन किया है। सुदीप्तो सेन का जन्म पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में एक सेन परिवार में हुआ था। राष्ट्रीय स्तर के फिल्मोत्सव का आयोजन, हिम सिने सोसाइटी और सेंट्रल यूनिवर्सिटी की संयुक्त पहल पर पहली बार राष्ट्रीय स्तर के दो दिवसीय हिम फिल्मोत्सव का आयोजन किया गया है। हिम फिल्मोत्सव का शुभांरभ बुधवार को कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के सांसद डॉ. राजीव भारद्वाज ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसमें 40 के करीब फिल्में, लघु फिल्में प्रस्तुत की जाएंगी। फेस्टिवल में दिखाई गई मलाणा फिल्म सुदीप्तो सेन से सांसद भारद्वाज ने अपील की कि ऐसी फिल्म बनाएं जो नौजवानों को करीब 50 मिनट तक बैठने के लिए मजबूर कर दे, क्योंकि अनुशासनहीन युवा कभी देश को तरक्की की ओर नहीं ले जा सकता। फिल्मोत्सव के पहले दिन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता विवेक मोहन निर्देशित फिल्म मलाणा दिखाई गई। जिसे युवा वर्ग के साथ-साथ हॉल में उपस्थित दर्शकों ने काफी सराहा। RSS के पदाधिकारी भी रहे मौजूद समारोह की अध्यक्षता सीयू के कुलसचिव रजिस्ट्रार डॉ. सुमन शर्मा ने की। इस दौरान चर्चित फिल्म केरला स्टोरी व बस्तर जैसी फिल्म बनाने वाले सुदीप्तो सेन विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के उत्तर क्षेत्रीय प्रचारक प्रमुख अनिल कुमार, प्रशांत रंजन, अरुण अरोड़ा और डलहौजी के विधायक डीएस ठाकुर सहित फिल्म समीक्षक भी मौजूद रहे। उत्तर क्षेत्रीय के प्रचारक प्रमुख अनिल कुमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति व इतिहास को लेकर अच्छी फिल्में बननी चाहिए। भारतीय चित्र साधना इसे लेकर देश भर में विभिन्न समितियों को बनाकर कार्य कर रहे हैं। जिसमें हर राज्य में अलग-अलग इकाइयां काम कर रही हैं। कांगड़ा-चंबा के लोकसभा सांसद डॉक्टर राजीव भारद्वाज ने कहा कि कि ये पीढ़ी ही देश का भविष्य है, दुनिया में भारत का ध्वज यही लहराएंगे।

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