धर्मशाला में सीएम से मिले स्लेट खनन पट्टा धारक:बोले- पट्टा नवीनीकरण के आवेदन अटके; वन विभाग कर रहा अनुचित कार्रवाई

धर्मशाला के साथ लगते खनियारा के थातरी व उसके आसपास के क्षेत्रों में वन विभाग, खनन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्त टीम ने की कार्रवाई के संबंध में स्लेट खनन पट्टा धारकों ने बुधवार को धर्मशाला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात की। उन्होंने मामले में न्याय दिलाने की मांग की है। विजय कुमार ने बताया कि खनन पट्टा धारकों को दस साल के लिए सरकार ने स्लेट खनन की अनुमति प्रदान की थी। लेकिन बीच में 15 जुलाई 2015 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पत्राचार द्वारा वन विभाग से एनओसी लेने के निर्देश दिए। लेकिन खनन विभाग ने हमारे स्लेट खान के कामों को दस साल की लीज के बजाए पांच साल बाद ही बन्द करवा दिया। पट्टा नवीनीकरण के आवेदन अटके उन्होंने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की अनुमति लेने के बाद हम पट्टा धारकों ने बकाया पांच साल के लिए अनुमति मांगी, जो हमें आज दिन तक नहीं मिली। लीज अवधि के दौरान ही कुछ स्लेट खनन पट्टा धारकों ने पट्टा के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया। वह काम भी अभी तक विभाग में अटका हुआ है। वन विभाग, खनन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्त टीम ने मंगलवार को अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अवैध खनन कर निकाले गए स्लेट तोड़ डाले जो कि अनुचित है। गजाला अब्दुल्ला ने 2015 में दायर की थी याचिका हाई कोर्ट ने पर्यावरणविद एवं विदेशी पर्यटक महिला गजाला अब्दुल्ला द्वारा 2015 में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कई बार सरकारी अधिकारियों के प्रति अपनी निराशा व्यक्त की है। अवैध खनन के कारण पर्यावरण को हो रहे नुकसान की ओर हाई कोर्ट का ध्यान आकर्षित करने का अनुरोध किया गया था। 2018 तक, इसी तरह के मामलों से संबंधित अधिक मुद्दों को समायोजित करने के लिए याचिका का दायरा बढ़ा दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बावजूद खनियारा में अवैध खनन जारी है। ग्रामीणों ने धौलाधार में स्लेट खनन का अधिकार खो दिया था, क्योंकि राज्य सरकार प्रतिपूरक वनरोपण निगरानी एवं योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए) के पास खनन के उद्देश्य से दी जाने वाली 25 हेक्टेयर वनभूमि के शुद्ध वर्तमान मूल्य के रूप में लगभग 1.6 करोड़ रुपए जमा कराने में विफल रही थी। केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने राज्य सरकार को कैंप में राशि जमा करने के लिए 13 मार्च 2014 की समय सीमा दी थी, जिसके पूरा होने तक भूमि पर खनन के लिए तदर्थ अनुमति रद्द कर दी थी।

Nov 13, 2024 - 19:35
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धर्मशाला में सीएम से मिले स्लेट खनन पट्टा धारक:बोले- पट्टा नवीनीकरण के आवेदन अटके; वन विभाग कर रहा अनुचित कार्रवाई
धर्मशाला के साथ लगते खनियारा के थातरी व उसके आसपास के क्षेत्रों में वन विभाग, खनन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्त टीम ने की कार्रवाई के संबंध में स्लेट खनन पट्टा धारकों ने बुधवार को धर्मशाला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात की। उन्होंने मामले में न्याय दिलाने की मांग की है। विजय कुमार ने बताया कि खनन पट्टा धारकों को दस साल के लिए सरकार ने स्लेट खनन की अनुमति प्रदान की थी। लेकिन बीच में 15 जुलाई 2015 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पत्राचार द्वारा वन विभाग से एनओसी लेने के निर्देश दिए। लेकिन खनन विभाग ने हमारे स्लेट खान के कामों को दस साल की लीज के बजाए पांच साल बाद ही बन्द करवा दिया। पट्टा नवीनीकरण के आवेदन अटके उन्होंने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की अनुमति लेने के बाद हम पट्टा धारकों ने बकाया पांच साल के लिए अनुमति मांगी, जो हमें आज दिन तक नहीं मिली। लीज अवधि के दौरान ही कुछ स्लेट खनन पट्टा धारकों ने पट्टा के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया। वह काम भी अभी तक विभाग में अटका हुआ है। वन विभाग, खनन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्त टीम ने मंगलवार को अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अवैध खनन कर निकाले गए स्लेट तोड़ डाले जो कि अनुचित है। गजाला अब्दुल्ला ने 2015 में दायर की थी याचिका हाई कोर्ट ने पर्यावरणविद एवं विदेशी पर्यटक महिला गजाला अब्दुल्ला द्वारा 2015 में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कई बार सरकारी अधिकारियों के प्रति अपनी निराशा व्यक्त की है। अवैध खनन के कारण पर्यावरण को हो रहे नुकसान की ओर हाई कोर्ट का ध्यान आकर्षित करने का अनुरोध किया गया था। 2018 तक, इसी तरह के मामलों से संबंधित अधिक मुद्दों को समायोजित करने के लिए याचिका का दायरा बढ़ा दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बावजूद खनियारा में अवैध खनन जारी है। ग्रामीणों ने धौलाधार में स्लेट खनन का अधिकार खो दिया था, क्योंकि राज्य सरकार प्रतिपूरक वनरोपण निगरानी एवं योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए) के पास खनन के उद्देश्य से दी जाने वाली 25 हेक्टेयर वनभूमि के शुद्ध वर्तमान मूल्य के रूप में लगभग 1.6 करोड़ रुपए जमा कराने में विफल रही थी। केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने राज्य सरकार को कैंप में राशि जमा करने के लिए 13 मार्च 2014 की समय सीमा दी थी, जिसके पूरा होने तक भूमि पर खनन के लिए तदर्थ अनुमति रद्द कर दी थी।

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