नाबालिग को भगाने के आरोपी को 7 साल की सजा:6 साल पहले हुई थी घटना, न्यायालय ने 8 हजार का जुर्माना भी लगाया

बलरामपुर में जिला न्यायालय ने नाबालिग को बहला-फुसला कर भगाने के मामले में आरोपी को दोषी ठहराते हुए सात साल की सजा सुनाई है। यह मामला 6 साल पुराना है, जब आरोपी राकेश कोरी ने एक नाबालिक लड़की को बहला-फुसला कर भगा लिया था। साथ ही आरोपी पर 8 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह फैसला अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें और सबूतों को सुनने के बाद सुनाया। पास्को एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, यह घटना 9 जनवरी 2018 की है, जब वादी ने थाना ललिया में एक लिखित तहरीर दी थी। तहरीर में वादी ने आरोप लगाया था कि राकेश कोरी ने उनकी नाबालिग बेटी को बहला फुसला कर भगा लिया। इस पर पुलिस ने आरोपित के खिलाफ धारा 363, 366A, 376 और पास्को एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत किया था और मामले की जांच शुरू कर दी थी। कोर्ट में पेश किए गए गवाह और सबूत पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया। इस मुकदमे में दोनों पक्षों ने अपने गवाह और सबूत पेश किए। अदालत ने इन साक्ष्यों की जांच करने के बाद आरोपी को दोषी मानते हुए सात साल की सजा सुनाई। इसके साथ ही आरोपी पर 8 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। यह फैसला करीब 6 साल बाद आया, जिसे पीड़ित परिवार ने राहत की सांस लेते हुए अदालत का धन्यवाद दिया।

Nov 22, 2024 - 09:50
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नाबालिग को भगाने के आरोपी को 7 साल की सजा:6 साल पहले हुई थी घटना, न्यायालय ने 8 हजार का जुर्माना भी लगाया
बलरामपुर में जिला न्यायालय ने नाबालिग को बहला-फुसला कर भगाने के मामले में आरोपी को दोषी ठहराते हुए सात साल की सजा सुनाई है। यह मामला 6 साल पुराना है, जब आरोपी राकेश कोरी ने एक नाबालिक लड़की को बहला-फुसला कर भगा लिया था। साथ ही आरोपी पर 8 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह फैसला अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें और सबूतों को सुनने के बाद सुनाया। पास्को एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, यह घटना 9 जनवरी 2018 की है, जब वादी ने थाना ललिया में एक लिखित तहरीर दी थी। तहरीर में वादी ने आरोप लगाया था कि राकेश कोरी ने उनकी नाबालिग बेटी को बहला फुसला कर भगा लिया। इस पर पुलिस ने आरोपित के खिलाफ धारा 363, 366A, 376 और पास्को एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत किया था और मामले की जांच शुरू कर दी थी। कोर्ट में पेश किए गए गवाह और सबूत पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया। इस मुकदमे में दोनों पक्षों ने अपने गवाह और सबूत पेश किए। अदालत ने इन साक्ष्यों की जांच करने के बाद आरोपी को दोषी मानते हुए सात साल की सजा सुनाई। इसके साथ ही आरोपी पर 8 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। यह फैसला करीब 6 साल बाद आया, जिसे पीड़ित परिवार ने राहत की सांस लेते हुए अदालत का धन्यवाद दिया।

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