निजीकरण को लेकर बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा:बड़े आंदोलन की कर रहे तैयारी, वाराणसी में आयोजित बैठक में लगाया "बटेंगे तो कटेंगें" का नारा
यूपी में बिजली कर्मचारियों में निजीकरण को लेकर भारी गुस्सा पनप रहा है। इसे लेकर आंदोलन और हड़ताल की तैयारी है। इसी को लेकर वाराणसी में विधुत मज़दूर पंचायत के जिला कमेटी की आज भिखारीपुर स्थित हनुमानजी मंदिर पर एक आपातकाल बैठक किया गया जिसमें यह निर्णय लिया गया कि निजीकरण नही करने का फैसला वित्तमंत्री सुरेश खन्ना एवं ऊर्जा प्रबन्धन की मौजूदगी में संघर्ष समिति के साथ लिखित समझौता में लिया जा चुका है। उसके बाद भी ऊर्जा प्रबन्धन का पुनः निजीकरण करने का प्रस्ताव लाना घोर निंदनीय है और विधुतकर्मियो के साथ छलावा है जिसको ये कर्मचारी कतई बर्दाश्त नही करेंगे और निजीकरण का पुरजोर विरोध करेंगे। कर्मचारियों ने लगाया बटेंगे तो कटेंगें का नारा कर्मचारियों ने बैठक के दौरान प्रधानमंत्री के नारे को अपनाते हुए कहा कि एक रहेंगे तो शेफ रहेंगे और मुख्यमंत्री के नारे बटेंगे तो कटेंगें को खूब जोर शोर से लगाया। बैठक में पहुंचे प्रांतीय कार्यवाहक महामंत्री आरबी सिंह ने बताया कि सन 2020 में एक याचिका के दौरान उच्च न्यायालय ने पूर्वांचल विधुत वितरण निगम के एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा कंपनी की संपत्तियों का ऑडिट जैसे केंद्रीय सतर्कता आयोग या कुछ न्यायिक अधिकारी की अध्यक्षता वाली समिती से कराने को कहा गया था किंतु बिना ऑडिट कराये निजीकरण का दुबारा निर्णय उच्च न्यायालय का अपमान करने वाला है। उस समय यह भी कहा गया है कि,कंपनी अधिनियम की धारा 139 के प्रावधानों के अनुसार,इनकी संपत्तियों के ऑडिट के लिए पहले ही विशेष ऑडिटर नियुक्त किया जा चुका है जिसका रिपोर्ट अभी तक घोषित नही किया है। निजीकरण के प्रस्ताव को वापस लेने की उठी मांग प्रांतीय उपाध्यक्ष आरकेवाही ने बताया कि सन 2000 में मुख्यमंत्री के साथ जो समझौता हुआ था कि यदि एक साल के अंदर कारपोरेशन 77 करोड़ के घाटे को रिकवर नही करता है तो पुनः इसको राज्य विधुत परिषद का गठन कर दिया जाएगा जिसकी आज जरूरत आन पड़ी है क्योंकि निजीकरण कोई समाधान नही अपितु आमजनमानस के लिए महंगी बिजली का दंश झेलने वाली समस्या है इसलिए ऊर्जा प्रबन्धन से आग्रह करता है कि पुनः राज्य विधुत परिषद का गठन कर इस विभाग को अच्छी स्थिति में लाने का न्याय उचित कार्य करें।
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