निराश्रित और विधवा माताओं ने जलाए दीप:वृंदावन में यमुना किनारे किया दीपदान,नाच गा कर 5 दिवसीय दीपोत्सव की मनाई खुशी

मथुरा के वृंदावन में रह रही निराश्रित एवं विधवा माताओं ने खुशी के दीप जलाकर 5 दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत की। यह माताएं यमुना किनारे स्थित प्राचीन केशीघाट पर एकत्रित हुईं। यहां माताओं ने दीपक जलाकर अंधेरे में डूब चुकी जिंदगी को दीप जलाकर रोशन करने का प्रयास किया। इस दौरान उन्होंने नाच गा कर इस त्योहार को सेलिब्रेट किया। केशीघाट पर जलाए दीपक अपने जीवन के अंधकार से मुक्ति के लिए वृंदावन में रहने वाली विधवा माताओं ने मंगलवार की देर शाम वृंदावन के ऐतिहासिक केसी घाट पर यमुना नदी के तट पर दीप जलाकर दीपावली मनाई। विभिन्न आश्रय घरों में रहने वाली विधवाओं ने यमुना किनारे रंगीन दीयों के साथ दीवाली मनायीं। दीपकों से सजाया घाट मंगलवार की शाम विभिन्न आश्रय गृहों में रहने वाली सैकड़ों की संख्या में विधवा और निराश्रित माताओं ने ऐतिहासिक केसी घाट पर एकत्रित होकर रंग-बिरंगे दीये जलाए और धूमधाम के साथ प्रकाश पर्व मनाया। माँ शारदा आश्रम, तरास मंदिर, नेपाली आश्रम और पागल बाबा आश्रम में रहने वाली विधवा और निराश्रित मताओ ने घाट को मिल कर सजाया और सैकड़ों मिट्टी के दीये जलाए। उन्होंने कृष्ण भजन गाए और अन्य भक्तों की उपस्थिति में नृत्य किया। दस साल से सुलभ मना रहा माताओं के साथ त्योहार सदियों से समाज में विधवाओं को "अशुभ माना जाता था और उन्हें किसी भी शुभ अनुष्ठान में भाग लेने की अनुमति नहीं थी। कुछ साल पहले तक वाराणसी और वृंदावन में रहने वाली यह माताएं होली और दीपावली समारोह में भाग लेने से खुद को दूर रखती थीं। खुशी की एक किरण लाने और विधवापन की परंपरा का मुकाबला करने के उद्देश्य से, सुलभ आंदोलन के संस्थापक, प्रसिद्ध समाज सुधारक स्वर्गीय डॉ बिंदेश्वर पाठक ने विशेष रूप से विधवाओं के लिए रोशनी के त्योहार को आयोजित करने के लिए इस अनूठे पहल की शुरुआत एक दशक पहले किया था। उनके पदचिन्ह पर चलते हुए यह दिवाली का आयोजन किया गया। धुंधले पड़ाव से निकल कर जीवन को माताएं कर रही जीवन को रोशन सुलभ 2012 से वृंदावन और वाराणसी में विभिन्न आश्रमों में रहने वाली सैकड़ों विधवाओं की देखभाल करता है। यह संगठन समय-समय पर उनके लिए अन्य कार्यों का आयोजन करके विधवाओं के जीवन को जोड़ने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। सुलभ होप फाउंडेशन की उपाध्यक्ष विनीता वर्मा ने बताया कि नियमित आधार पर, सुलभ उन्हें अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के अलावा चिकित्सा सुविधा और व्यावसायिक प्रशिक्षण भी प्रदान करता है, ताकि वे अपने जीवन के धुंधले पड़ाव से बाहर निकलें। दीवाली मना कर आया आनंद दीपोत्सव में शामिल हुईं माताओं में से एक सिया कुमारी ने बताया कि वह 4 साल से वृंदावन में रहकर कृष्ण भक्ति कर रही हैं। यहां वह हर साल सुलभ के साथ मिलकर विभिन्न त्योहार मनाते हैं। 5 दिवसीय दिवाली पर्व की शुरुआत दीपक जलाकर की बहुत अच्छा लगा। केशीघाट पर हुए दीपोत्सव में सौ से ज्यादा निराश्रित एवं विधवा माता शामिल हुईं।

Oct 30, 2024 - 05:55
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निराश्रित और विधवा माताओं ने जलाए दीप:वृंदावन में यमुना किनारे किया दीपदान,नाच गा कर 5 दिवसीय दीपोत्सव की मनाई खुशी
मथुरा के वृंदावन में रह रही निराश्रित एवं विधवा माताओं ने खुशी के दीप जलाकर 5 दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत की। यह माताएं यमुना किनारे स्थित प्राचीन केशीघाट पर एकत्रित हुईं। यहां माताओं ने दीपक जलाकर अंधेरे में डूब चुकी जिंदगी को दीप जलाकर रोशन करने का प्रयास किया। इस दौरान उन्होंने नाच गा कर इस त्योहार को सेलिब्रेट किया। केशीघाट पर जलाए दीपक अपने जीवन के अंधकार से मुक्ति के लिए वृंदावन में रहने वाली विधवा माताओं ने मंगलवार की देर शाम वृंदावन के ऐतिहासिक केसी घाट पर यमुना नदी के तट पर दीप जलाकर दीपावली मनाई। विभिन्न आश्रय घरों में रहने वाली विधवाओं ने यमुना किनारे रंगीन दीयों के साथ दीवाली मनायीं। दीपकों से सजाया घाट मंगलवार की शाम विभिन्न आश्रय गृहों में रहने वाली सैकड़ों की संख्या में विधवा और निराश्रित माताओं ने ऐतिहासिक केसी घाट पर एकत्रित होकर रंग-बिरंगे दीये जलाए और धूमधाम के साथ प्रकाश पर्व मनाया। माँ शारदा आश्रम, तरास मंदिर, नेपाली आश्रम और पागल बाबा आश्रम में रहने वाली विधवा और निराश्रित मताओ ने घाट को मिल कर सजाया और सैकड़ों मिट्टी के दीये जलाए। उन्होंने कृष्ण भजन गाए और अन्य भक्तों की उपस्थिति में नृत्य किया। दस साल से सुलभ मना रहा माताओं के साथ त्योहार सदियों से समाज में विधवाओं को "अशुभ माना जाता था और उन्हें किसी भी शुभ अनुष्ठान में भाग लेने की अनुमति नहीं थी। कुछ साल पहले तक वाराणसी और वृंदावन में रहने वाली यह माताएं होली और दीपावली समारोह में भाग लेने से खुद को दूर रखती थीं। खुशी की एक किरण लाने और विधवापन की परंपरा का मुकाबला करने के उद्देश्य से, सुलभ आंदोलन के संस्थापक, प्रसिद्ध समाज सुधारक स्वर्गीय डॉ बिंदेश्वर पाठक ने विशेष रूप से विधवाओं के लिए रोशनी के त्योहार को आयोजित करने के लिए इस अनूठे पहल की शुरुआत एक दशक पहले किया था। उनके पदचिन्ह पर चलते हुए यह दिवाली का आयोजन किया गया। धुंधले पड़ाव से निकल कर जीवन को माताएं कर रही जीवन को रोशन सुलभ 2012 से वृंदावन और वाराणसी में विभिन्न आश्रमों में रहने वाली सैकड़ों विधवाओं की देखभाल करता है। यह संगठन समय-समय पर उनके लिए अन्य कार्यों का आयोजन करके विधवाओं के जीवन को जोड़ने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। सुलभ होप फाउंडेशन की उपाध्यक्ष विनीता वर्मा ने बताया कि नियमित आधार पर, सुलभ उन्हें अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के अलावा चिकित्सा सुविधा और व्यावसायिक प्रशिक्षण भी प्रदान करता है, ताकि वे अपने जीवन के धुंधले पड़ाव से बाहर निकलें। दीवाली मना कर आया आनंद दीपोत्सव में शामिल हुईं माताओं में से एक सिया कुमारी ने बताया कि वह 4 साल से वृंदावन में रहकर कृष्ण भक्ति कर रही हैं। यहां वह हर साल सुलभ के साथ मिलकर विभिन्न त्योहार मनाते हैं। 5 दिवसीय दिवाली पर्व की शुरुआत दीपक जलाकर की बहुत अच्छा लगा। केशीघाट पर हुए दीपोत्सव में सौ से ज्यादा निराश्रित एवं विधवा माता शामिल हुईं।

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