पिता पुत्र व पांच भाइयों सहित 7 को आजीवन कारावास:11 वर्ष पूर्व रंजिश में गोली मारकर हत्या का मामला, जौनपुर कोर्ट ने सुनाई सजा

जौनपुर में अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ, रुपाली सक्सेना की अदालत ने खुटहन थाना क्षेत्र में 11 वर्ष पूर्व हुई हत्या के मामले में पिता-पुत्र और पांच सगे भाइयों सहित कुल सात आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास और 30-30 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। मामले की जानकारी देते हुए वादी सुरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि उनकी नारायण दास के साथ दुश्मनी थी। 19 मई 2013 को नारायण दास के परिवार ने उनके साथ मारपीट कर झुमका छीन लिया था, जिसके चलते सुरेंद्र ने थाने में शिकायत की थी। इसी दुश्मनी के चलते 20 मई 2013 को शाम करीब 4:30 बजे नारायण दास, उनके पुत्र राजदेव, और अन्य आरोपी ईंट, पत्थर, लाठी-डंडे और असलहे से लैस होकर उनके घर पर आ धमके। आरोपियों ने वादी के परिवार को घर में घुसने से रोका और मां-बहन को भद्दी गालियाँ देते हुए घर में घुस आए। उस समय नागेंद्र और अरविंद उपाध्याय को खींचकर बाहर निकाल लिया गया। इसी बीच, अर्जुन द्वारा लाइसेंसी राइफल से नागेंद्र को गोली मारी गई, जबकि राजेंद्र ने अरविंद को भी गोली मारी। घटना की सूचना मिलने पर गांव के लोग वहां इकट्ठा हो गए। इस बीच, महिलाएं ईंट-पत्थर फेंककर आरोपियों को भागने में मदद कर गईं। नागेंद्र की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि अरविंद गंभीर रूप से घायल होकर सदर अस्पताल में भर्ती हैं। पुलिस ने मामले की जांच कर आरोप पत्र अदालत में पेश किया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता मनीष कुमार सिंह ने गवाहों के बयान और साक्ष्यों के आधार पर अदालत में मामला रखा। अंततः अदालत ने राजदेव और उसके पांच भाइयों को हत्या का दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास और 30-30 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। नारायण दास की मृत्यु के कारण उनकी पत्रावली को बंद कर दिया गया, जबकि अंजना, वंदना, गीता, आशा, सुंदरी और रिंकी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया।

Oct 23, 2024 - 20:55
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पिता पुत्र व पांच भाइयों सहित 7 को आजीवन कारावास:11 वर्ष पूर्व रंजिश में गोली मारकर हत्या का मामला, जौनपुर कोर्ट ने सुनाई सजा
जौनपुर में अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ, रुपाली सक्सेना की अदालत ने खुटहन थाना क्षेत्र में 11 वर्ष पूर्व हुई हत्या के मामले में पिता-पुत्र और पांच सगे भाइयों सहित कुल सात आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास और 30-30 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। मामले की जानकारी देते हुए वादी सुरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि उनकी नारायण दास के साथ दुश्मनी थी। 19 मई 2013 को नारायण दास के परिवार ने उनके साथ मारपीट कर झुमका छीन लिया था, जिसके चलते सुरेंद्र ने थाने में शिकायत की थी। इसी दुश्मनी के चलते 20 मई 2013 को शाम करीब 4:30 बजे नारायण दास, उनके पुत्र राजदेव, और अन्य आरोपी ईंट, पत्थर, लाठी-डंडे और असलहे से लैस होकर उनके घर पर आ धमके। आरोपियों ने वादी के परिवार को घर में घुसने से रोका और मां-बहन को भद्दी गालियाँ देते हुए घर में घुस आए। उस समय नागेंद्र और अरविंद उपाध्याय को खींचकर बाहर निकाल लिया गया। इसी बीच, अर्जुन द्वारा लाइसेंसी राइफल से नागेंद्र को गोली मारी गई, जबकि राजेंद्र ने अरविंद को भी गोली मारी। घटना की सूचना मिलने पर गांव के लोग वहां इकट्ठा हो गए। इस बीच, महिलाएं ईंट-पत्थर फेंककर आरोपियों को भागने में मदद कर गईं। नागेंद्र की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि अरविंद गंभीर रूप से घायल होकर सदर अस्पताल में भर्ती हैं। पुलिस ने मामले की जांच कर आरोप पत्र अदालत में पेश किया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता मनीष कुमार सिंह ने गवाहों के बयान और साक्ष्यों के आधार पर अदालत में मामला रखा। अंततः अदालत ने राजदेव और उसके पांच भाइयों को हत्या का दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास और 30-30 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। नारायण दास की मृत्यु के कारण उनकी पत्रावली को बंद कर दिया गया, जबकि अंजना, वंदना, गीता, आशा, सुंदरी और रिंकी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया।

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