पूर्व CJI ने संभल-अजमेर जैसी याचिकाओं का रास्ता खोला:कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का इशारा; चंद्रचूड़ ने 2022 में वर्शिप एक्ट पर टिप्पणी की थी

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने संभल की जामा मस्जिद और अजमेर में दरगाह को मंदिर तोड़कर बनाए जाने दावों पर विवाद के बीच बड़ा दावा किया है। उन्होंने अपने X अकाउंड पर लिखा कि 20 मई, 2022 को पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ की टिप्पणी ने इस तरह की याचिकाओं का रास्ता साफ किया। पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने ज्ञानवापी मस्जिद केस की सुनवाई के दौरान द प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि यह एक्ट किसी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र का पता लगाने पर प्रतिबंधित नहीं लगाता है। दरअसल, यह एक्ट किसी धार्मिक स्थल के स्वरूप को बदलने पर रोक लगाता है। इसके अनुसार स्थल को उसी रूप में संरक्षित किया जाएगा, जिसमें वह 15 अगस्त, 1947 को था। अगर यह भी साबित हो जाता है कि उसे किसी दूसरे धर्म के उपासना स्थल को तोड़कर बनाया गया है तो भी उसके स्वरूप को बदला नहीं जा सकता। जयराम बोले- राजमोहन गांधी का भाषण मास्टरक्लास जैसा जयराम रमेश ने 1991 में इस एक्ट के बनने से पहले राज्यसभा में हुई बहस का भी जिक्र किया है। उन्होंने उस समय उत्तर प्रदेश से जनता दल के सांसद और लेखक राजमोहन गांधी के भाषण के अंश भी साझा किए हैं। अपनी पोस्ट में लिखा- बहस के दौरान राजमोहन गांधी का दिया भाषण राज्यसभा के इतिहास में सबसे महान भाषणों में से एक है। यह भारतीय संस्कृति, परंपराओं, इतिहास और राजनीति के लिए एक मास्टरक्लास जैसा है। महाभारत के उस अंश के साथ उनका शानदार भाषण आज भी प्रासंगिक है। राजमोहन ने अपने भाषण में महाभारत का जिक्र करते हुए कहा था कि महाभारत की सदियों से चली आ रही सीख यह है कि जो लोग बदले की भावना से इतिहास की गलतियों को सुधारने की कोशिश करते हैं, वे केवल विनाश ही पैदा करते हैं।

Dec 1, 2024 - 03:40
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पूर्व CJI ने संभल-अजमेर जैसी याचिकाओं का रास्ता खोला:कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का इशारा; चंद्रचूड़ ने 2022 में वर्शिप एक्ट पर टिप्पणी की थी
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने संभल की जामा मस्जिद और अजमेर में दरगाह को मंदिर तोड़कर बनाए जाने दावों पर विवाद के बीच बड़ा दावा किया है। उन्होंने अपने X अकाउंड पर लिखा कि 20 मई, 2022 को पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ की टिप्पणी ने इस तरह की याचिकाओं का रास्ता साफ किया। पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने ज्ञानवापी मस्जिद केस की सुनवाई के दौरान द प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि यह एक्ट किसी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र का पता लगाने पर प्रतिबंधित नहीं लगाता है। दरअसल, यह एक्ट किसी धार्मिक स्थल के स्वरूप को बदलने पर रोक लगाता है। इसके अनुसार स्थल को उसी रूप में संरक्षित किया जाएगा, जिसमें वह 15 अगस्त, 1947 को था। अगर यह भी साबित हो जाता है कि उसे किसी दूसरे धर्म के उपासना स्थल को तोड़कर बनाया गया है तो भी उसके स्वरूप को बदला नहीं जा सकता। जयराम बोले- राजमोहन गांधी का भाषण मास्टरक्लास जैसा जयराम रमेश ने 1991 में इस एक्ट के बनने से पहले राज्यसभा में हुई बहस का भी जिक्र किया है। उन्होंने उस समय उत्तर प्रदेश से जनता दल के सांसद और लेखक राजमोहन गांधी के भाषण के अंश भी साझा किए हैं। अपनी पोस्ट में लिखा- बहस के दौरान राजमोहन गांधी का दिया भाषण राज्यसभा के इतिहास में सबसे महान भाषणों में से एक है। यह भारतीय संस्कृति, परंपराओं, इतिहास और राजनीति के लिए एक मास्टरक्लास जैसा है। महाभारत के उस अंश के साथ उनका शानदार भाषण आज भी प्रासंगिक है। राजमोहन ने अपने भाषण में महाभारत का जिक्र करते हुए कहा था कि महाभारत की सदियों से चली आ रही सीख यह है कि जो लोग बदले की भावना से इतिहास की गलतियों को सुधारने की कोशिश करते हैं, वे केवल विनाश ही पैदा करते हैं।

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