प्रयागराज में महापर्व छठ को लेकर तैयारियां पूरी:मंगलवार से होगा शुरू, सरयू तट पर की गई व्यवस्था

पूर्वांचल और बिहार का सबसे बड़ा महापर्व छठ पूजा मंगलवार से शुरू हो रहा है। रामनगरी अयोध्या में भी इसकी धूम रहती है। बड़ी संख्या में व्रती सरयू तट पर उमड़ते हैं। महिलाएं संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए पूरे 36 घंटे का निर्जला उपवास करेंगी। छठ पूजा संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए की जाती है। यह पर्व बिहार और पूर्वांचल की संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा रामनगरी से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक छठ पूजा की धूम रहती है। बड़ी संख्या में व्रती सरयू तट से लेकर तालाबों पर उमड़ते हैं। महिलाएं संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए पूरे 36 घंटे का निर्जला उपवास करेंगी। छह नवंबर को खरना होगा। उसी रात से ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा। सात नवंबर को तीसरे दिन व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। आठ नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती पारण करते हैं। मिट्टी के चूल्हे पर बनता है गुड़ वाली खीर का प्रसाद ​​​​​​​नहाय खाए के दिन पूरे घर की साफ- सफाई की जाती है। स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। अगले दिन खरना से व्रत की शुरुआत होती है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं और फिर सूर्यदेव की पूजा करने के बाद यह प्रसाद ग्रहण किया जाता है। व्रत का पारण छठ के समापन के बाद ही किया जाता है। पहला अर्घ्य 7 को खरना के अगले दिन शाम के समय महिलाएं नदी या तालाब में खड़ी होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं। समापन 8 को होगा इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतर जाती हैं और सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं। इसके बाद उगते सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद पूजा का समापन कर व्रत का पारण किया जाता है। मां जालपा भवानी मंदिर के पुजारी पण्डित जवाहर ने बताया कि छठ पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है बिहार के साथ युपी के पूर्वांचल में भी मनाई जाने लगी है।

Nov 4, 2024 - 19:00
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प्रयागराज में महापर्व छठ को लेकर तैयारियां पूरी:मंगलवार से होगा शुरू, सरयू तट पर की गई व्यवस्था
पूर्वांचल और बिहार का सबसे बड़ा महापर्व छठ पूजा मंगलवार से शुरू हो रहा है। रामनगरी अयोध्या में भी इसकी धूम रहती है। बड़ी संख्या में व्रती सरयू तट पर उमड़ते हैं। महिलाएं संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए पूरे 36 घंटे का निर्जला उपवास करेंगी। छठ पूजा संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए की जाती है। यह पर्व बिहार और पूर्वांचल की संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा रामनगरी से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक छठ पूजा की धूम रहती है। बड़ी संख्या में व्रती सरयू तट से लेकर तालाबों पर उमड़ते हैं। महिलाएं संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए पूरे 36 घंटे का निर्जला उपवास करेंगी। छह नवंबर को खरना होगा। उसी रात से ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा। सात नवंबर को तीसरे दिन व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। आठ नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती पारण करते हैं। मिट्टी के चूल्हे पर बनता है गुड़ वाली खीर का प्रसाद ​​​​​​​नहाय खाए के दिन पूरे घर की साफ- सफाई की जाती है। स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। अगले दिन खरना से व्रत की शुरुआत होती है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं और फिर सूर्यदेव की पूजा करने के बाद यह प्रसाद ग्रहण किया जाता है। व्रत का पारण छठ के समापन के बाद ही किया जाता है। पहला अर्घ्य 7 को खरना के अगले दिन शाम के समय महिलाएं नदी या तालाब में खड़ी होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं। समापन 8 को होगा इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतर जाती हैं और सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं। इसके बाद उगते सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद पूजा का समापन कर व्रत का पारण किया जाता है। मां जालपा भवानी मंदिर के पुजारी पण्डित जवाहर ने बताया कि छठ पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है बिहार के साथ युपी के पूर्वांचल में भी मनाई जाने लगी है।

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