बलरामपुर अस्पताल में इंजेक्शन लगाते ही बच्चे की मौत:यूपी के सबसे बड़े जिला अस्पताल में लापरवाही; हॉस्पिटल स्टाफ ने कई नियम तोड़े

लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में पीडियाट्रिक वार्ड नंबर 3 में भर्ती 12 साल के जैद को वार्ड आया ने इंजेक्शन लगाया, इसके 2 मिनट बाद ही जैद की मौत हो गई। बच्चे की मां का कहना है कि हॉस्पिटल स्टाफ ने बच्चे की हालत खराब होने पर सुनवाई नहीं की। इस घटना ने यूपी के सबसे बड़े जिला अस्पताल की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। वार्ड आया द्वारा मरीज को इंजेक्शन देना, नियमों का उल्लंघन है। इलाज के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। दैनिक भास्कर ने इस पूरी घटना पर 12 साल के मासूम जैद की मां तबस्सुम से बात की। उन्होंने रोते हुए पूरी घटना बताई और अस्पताल के स्टाफ पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया। डेंगू का चल रहा था इलाज मृत बच्चे की मां तबस्सुम ने बताया कि 'एक दिन पहले ही बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया था। उसे बुखार था। वो कह रहा था कि सिर दर्द हो रहा है। जब डॉक्टर को दिखाया, तो उन्होंने भर्ती करने को कहा। उसका इलाज करने वाले डॉक्टर का नाम डॉ. एके वर्मा हैं।' 'भर्ती करने के बाद उसे आराम भी था। रात में डॉक्टर ने बाहर से एक इंजेक्शन लाने को कहा। कुछ ही देर में इंजेक्शन भी आ गया। फिर जो ड्रिप चढ़ रही थी, उसी में सिरिंज से आधा इंजेक्शन डालकर चढ़ा दिया गया। तब बच्चे को कोई परेशानी नहीं हुई।' 'अगले दिन सुबह करीब 11 बजे बुआ (वार्ड आया) उसे इंजेक्शन देने के लिए आई। मैंने उनसे कहा कि बोतल (ड्रिप) में इंजेक्शन देकर चढ़ाया जाता है। उन्होंने मेरी नहीं सुनी और सीधे सिरिंज से नस में इंजेक्शन लगा दिया।' 'वीगो में इंजेक्शन लगते ही जैद की चीख निकल गई। ऐसा लगा मानों उसकी सांस ही उखड़ गई हो। मैंने कहा कि देखिए बच्चे को क्या हो गया? तो वह कहने लगी कि नाटक कर रहा, अभी ठीक हो जाएगा।' 'इसके बाद मैं नर्स के पास गई और हाथ जोड़कर उनसे कहा कि मैम मेरे बच्चे को देख लो। उसकी तबियत बिगड़ गई है। उन्होंने कहा चलो आते हैं। मैंने वापस आकर देखा तो बच्चा जैसे अंतिम सांस ले रहा था। मैं फिर वापस दौड़कर नर्स के पास गई और उसके पास जाकर उसे बुलाने लगी, इस पर नर्स ने कहा दूर हटो मुझे छुओ मत।'' इधर, तड़पकर मेरे बेटे की मौत हो गई पर कोई उसे देखने तक नहीं आया। कुछ देर बाद कई डॉक्टर पहुंचे, उन्होंने फॉर्मेलिटी के लिए ICU और वेंटीलेटर दिया, पर मेरा बेटा तो पहले ही जा चुका था।' अस्पताल और यहां के स्टॉफ की लापरवाही क्या है... आधी रात को बाहर से मंगाया इंजेक्शन पीड़ित बच्चे की मां ने बताया कि डॉक्टर ने आधी रात को बाहर से इंजेक्शन लाने को कहा। बाहर से इंजेक्शन लाकर दिया और रात में इंजेक्शन की डोज लगाई भी गई। अगली डोज अगले दिन सुबह लगाने को बोला। ऐसे में जब नाईट ड्यूटी चेंज होने के बाद अगले दिन में आई नर्स को देखना चाहिए था, कि इंजेक्शन कैसे दिया जाना है। साथ ही सबसे बड़ी लापरवाही तब हुई, जब आया को इंजेक्शन देने को क्यों कहा गया? साथ ही सरकारी अस्पतालों में बाहर की दवा लिखना भी बड़ी चूक मानी जा रही है। इस पर जांच की जानी चाहिए। डॉक्टर समय से नहीं करते हैं राउंड जैद की मां तबस्सुम के मुताबिक, डॉक्टर भर्ती मरीजों को देखने में लापरवाही बरतते हैं। डॉक्टरों द्वारा समय से राउंड न लेने की शिकायत रोजाना आती है। इस मामले में भी ऐसी लापरवाही होने की बात को इनकार नहीं किया जा सकता। नर्सिंग स्टॉफ की लापरवाही वॉर्ड में भर्ती मरीजों की देखरेख की मुख्य जिम्मेदारी नर्सिंग स्टॉफ की होती है। मरीज को डॉक्टर द्वारा बताए गई दवा और इंजेक्शन देने की जिम्मा भी इन पर होता है। वॉर्ड में भर्ती मरीज को सही तरीके से और समय से मेडिसिन देने के लिए ही हर वार्ड में इनकी तैनाती रहती है। इस मामले में नर्स द्वारा भी गंभीर लापरवाही बरती गई। आया को इंजेक्शन देने की अनुमति देना बड़ी लापरवाही है, ऐसे में कार्रवाई ड्यूटी पर तैनात नर्सिंग स्टॉफ पर भी होनी चाहिए। इतना बड़े अस्पताल में ट्रीटमेंट में लापरवाही लखनऊ का बलरामपुर अस्पताल यूपी का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है। यहां इमरजेंसी में 150 बेड हैं। कुल 775 बेड का हॉस्पिटल है। सैकड़ों की संख्या में मेडिकल स्टॉफ की तैनाती है। साल 1869 में स्थापित इस अस्पताल का फरवरी 1948 में पुनर्गठन किया गया। यहां 24 घंटे इमरजेंसी सुविधा के संचालन करने का दावा किया जाता है। मेडिसिन से लेकर न्यूरो सर्जरी और कैंसर तक के मरीजों को इलाज मुहैया कराने के दावे होते हैं। गंभीर मरीजों के लिए 28 बेड का वेंटीलेटर यूनिट भी है। ऐसे में वार्ड आया द्वारा मासूम बच्चे को इंजेक्शन लगाने से मौत अस्पताल के सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। पीड़ित मां तबस्सुम का कहना है, कि मेरे बच्चे के मौत के बाद सभी डॉक्टर पहुंचे। जब तक उसकी सांसे चल रही थीं, तब कोई उसके पास नहीं आया। फॉर्मेलिटी लिए उसे ICU और वेंटीलेटर पर ले जाया गया था। मुझे पता था, कि वो जा चुका है, अब नहीं लौटेगा। पहले भी डेंगू मरीज के इलाज में लापरवाही का लगा आरोप इसके पहले लखनऊ में फैजुल्लागंज के श्रीनगर के रहने वाले प्रदीप श्रीवास्तव के बेटे श्रेयांश की 18 सितंबर को मेदांता में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। परिजनों ने बाद में बलरामपुर अस्पताल में इलाज के दौरान गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था। परिजनों का कहना था कि मेदांता ले जाने से पहले श्रेयांश को बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, पर यहां उसका ढंग से इलाज नहीं हुआ। डॉक्टरों ने वॉर्ड स्टॉफ के भरोसे से उसे छोड़ दिया था, जिसकी वजह से हालत और गंभीर होती गई। बाद बच्चे की हालत और ज्यादा गंभीर हो गई, तब उसे मेदांता ले जाया गया था। वहां श्रेयांश की मौत हो गई। मौत के कुछ दिनों बाद घटना को लेकर निदेशक को पत्र सौंपकर दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। उस मामले को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। कार्रवाई और अब तक हुआ एक्शन अस्पताल के निदेशक डॉ. पवन कुमार अरुण कहते है कि मामले का संज्ञान लेते हुए तुरंत कार्रवाई की गई है। वार्ड में तैनात आया और एक आउटसोर्स नर्स को तत्काल बर्खास्त कर दिया गया है। इस मामले में म

Nov 16, 2024 - 10:05
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बलरामपुर अस्पताल में इंजेक्शन लगाते ही बच्चे की मौत:यूपी के सबसे बड़े जिला अस्पताल में लापरवाही; हॉस्पिटल स्टाफ ने कई नियम तोड़े
लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में पीडियाट्रिक वार्ड नंबर 3 में भर्ती 12 साल के जैद को वार्ड आया ने इंजेक्शन लगाया, इसके 2 मिनट बाद ही जैद की मौत हो गई। बच्चे की मां का कहना है कि हॉस्पिटल स्टाफ ने बच्चे की हालत खराब होने पर सुनवाई नहीं की। इस घटना ने यूपी के सबसे बड़े जिला अस्पताल की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। वार्ड आया द्वारा मरीज को इंजेक्शन देना, नियमों का उल्लंघन है। इलाज के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। दैनिक भास्कर ने इस पूरी घटना पर 12 साल के मासूम जैद की मां तबस्सुम से बात की। उन्होंने रोते हुए पूरी घटना बताई और अस्पताल के स्टाफ पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया। डेंगू का चल रहा था इलाज मृत बच्चे की मां तबस्सुम ने बताया कि 'एक दिन पहले ही बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया था। उसे बुखार था। वो कह रहा था कि सिर दर्द हो रहा है। जब डॉक्टर को दिखाया, तो उन्होंने भर्ती करने को कहा। उसका इलाज करने वाले डॉक्टर का नाम डॉ. एके वर्मा हैं।' 'भर्ती करने के बाद उसे आराम भी था। रात में डॉक्टर ने बाहर से एक इंजेक्शन लाने को कहा। कुछ ही देर में इंजेक्शन भी आ गया। फिर जो ड्रिप चढ़ रही थी, उसी में सिरिंज से आधा इंजेक्शन डालकर चढ़ा दिया गया। तब बच्चे को कोई परेशानी नहीं हुई।' 'अगले दिन सुबह करीब 11 बजे बुआ (वार्ड आया) उसे इंजेक्शन देने के लिए आई। मैंने उनसे कहा कि बोतल (ड्रिप) में इंजेक्शन देकर चढ़ाया जाता है। उन्होंने मेरी नहीं सुनी और सीधे सिरिंज से नस में इंजेक्शन लगा दिया।' 'वीगो में इंजेक्शन लगते ही जैद की चीख निकल गई। ऐसा लगा मानों उसकी सांस ही उखड़ गई हो। मैंने कहा कि देखिए बच्चे को क्या हो गया? तो वह कहने लगी कि नाटक कर रहा, अभी ठीक हो जाएगा।' 'इसके बाद मैं नर्स के पास गई और हाथ जोड़कर उनसे कहा कि मैम मेरे बच्चे को देख लो। उसकी तबियत बिगड़ गई है। उन्होंने कहा चलो आते हैं। मैंने वापस आकर देखा तो बच्चा जैसे अंतिम सांस ले रहा था। मैं फिर वापस दौड़कर नर्स के पास गई और उसके पास जाकर उसे बुलाने लगी, इस पर नर्स ने कहा दूर हटो मुझे छुओ मत।'' इधर, तड़पकर मेरे बेटे की मौत हो गई पर कोई उसे देखने तक नहीं आया। कुछ देर बाद कई डॉक्टर पहुंचे, उन्होंने फॉर्मेलिटी के लिए ICU और वेंटीलेटर दिया, पर मेरा बेटा तो पहले ही जा चुका था।' अस्पताल और यहां के स्टॉफ की लापरवाही क्या है... आधी रात को बाहर से मंगाया इंजेक्शन पीड़ित बच्चे की मां ने बताया कि डॉक्टर ने आधी रात को बाहर से इंजेक्शन लाने को कहा। बाहर से इंजेक्शन लाकर दिया और रात में इंजेक्शन की डोज लगाई भी गई। अगली डोज अगले दिन सुबह लगाने को बोला। ऐसे में जब नाईट ड्यूटी चेंज होने के बाद अगले दिन में आई नर्स को देखना चाहिए था, कि इंजेक्शन कैसे दिया जाना है। साथ ही सबसे बड़ी लापरवाही तब हुई, जब आया को इंजेक्शन देने को क्यों कहा गया? साथ ही सरकारी अस्पतालों में बाहर की दवा लिखना भी बड़ी चूक मानी जा रही है। इस पर जांच की जानी चाहिए। डॉक्टर समय से नहीं करते हैं राउंड जैद की मां तबस्सुम के मुताबिक, डॉक्टर भर्ती मरीजों को देखने में लापरवाही बरतते हैं। डॉक्टरों द्वारा समय से राउंड न लेने की शिकायत रोजाना आती है। इस मामले में भी ऐसी लापरवाही होने की बात को इनकार नहीं किया जा सकता। नर्सिंग स्टॉफ की लापरवाही वॉर्ड में भर्ती मरीजों की देखरेख की मुख्य जिम्मेदारी नर्सिंग स्टॉफ की होती है। मरीज को डॉक्टर द्वारा बताए गई दवा और इंजेक्शन देने की जिम्मा भी इन पर होता है। वॉर्ड में भर्ती मरीज को सही तरीके से और समय से मेडिसिन देने के लिए ही हर वार्ड में इनकी तैनाती रहती है। इस मामले में नर्स द्वारा भी गंभीर लापरवाही बरती गई। आया को इंजेक्शन देने की अनुमति देना बड़ी लापरवाही है, ऐसे में कार्रवाई ड्यूटी पर तैनात नर्सिंग स्टॉफ पर भी होनी चाहिए। इतना बड़े अस्पताल में ट्रीटमेंट में लापरवाही लखनऊ का बलरामपुर अस्पताल यूपी का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है। यहां इमरजेंसी में 150 बेड हैं। कुल 775 बेड का हॉस्पिटल है। सैकड़ों की संख्या में मेडिकल स्टॉफ की तैनाती है। साल 1869 में स्थापित इस अस्पताल का फरवरी 1948 में पुनर्गठन किया गया। यहां 24 घंटे इमरजेंसी सुविधा के संचालन करने का दावा किया जाता है। मेडिसिन से लेकर न्यूरो सर्जरी और कैंसर तक के मरीजों को इलाज मुहैया कराने के दावे होते हैं। गंभीर मरीजों के लिए 28 बेड का वेंटीलेटर यूनिट भी है। ऐसे में वार्ड आया द्वारा मासूम बच्चे को इंजेक्शन लगाने से मौत अस्पताल के सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। पीड़ित मां तबस्सुम का कहना है, कि मेरे बच्चे के मौत के बाद सभी डॉक्टर पहुंचे। जब तक उसकी सांसे चल रही थीं, तब कोई उसके पास नहीं आया। फॉर्मेलिटी लिए उसे ICU और वेंटीलेटर पर ले जाया गया था। मुझे पता था, कि वो जा चुका है, अब नहीं लौटेगा। पहले भी डेंगू मरीज के इलाज में लापरवाही का लगा आरोप इसके पहले लखनऊ में फैजुल्लागंज के श्रीनगर के रहने वाले प्रदीप श्रीवास्तव के बेटे श्रेयांश की 18 सितंबर को मेदांता में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। परिजनों ने बाद में बलरामपुर अस्पताल में इलाज के दौरान गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था। परिजनों का कहना था कि मेदांता ले जाने से पहले श्रेयांश को बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, पर यहां उसका ढंग से इलाज नहीं हुआ। डॉक्टरों ने वॉर्ड स्टॉफ के भरोसे से उसे छोड़ दिया था, जिसकी वजह से हालत और गंभीर होती गई। बाद बच्चे की हालत और ज्यादा गंभीर हो गई, तब उसे मेदांता ले जाया गया था। वहां श्रेयांश की मौत हो गई। मौत के कुछ दिनों बाद घटना को लेकर निदेशक को पत्र सौंपकर दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। उस मामले को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। कार्रवाई और अब तक हुआ एक्शन अस्पताल के निदेशक डॉ. पवन कुमार अरुण कहते है कि मामले का संज्ञान लेते हुए तुरंत कार्रवाई की गई है। वार्ड में तैनात आया और एक आउटसोर्स नर्स को तत्काल बर्खास्त कर दिया गया है। इस मामले में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संजय तेवतिया की निगरानी में 5 सदस्यीय टीम ने जांच शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट आते ही अगली कार्रवाई की जाएगी। किसी भी सूरत में मरीज के इलाज में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो भी दोषी होगा, उसे सजा मिलेगी। यह भी पढ़ें लखनऊ में बेटे को बचाने के लिए गिड़गिड़ाती रही मां:नर्स बोली- दूर रहो, आया ने कहा- नौटंकी कर रहा; इंजेक्शन लगाते हो गई थी मौत 'मैं दौड़कर नर्स के पास गई और कहा कि जल्दी चलिए, मेरे बच्चे की तबीयत अचानक से बिगड गई है। नर्स ने कहा चलो आते हैं। मैं उनसे मिन्नत मांग रही थी, उनके आगे गिड़गिड़ा रही थी, मैम मेरे बच्चों को देख लो, वो कह रही थी कि दूर रहो, मुझे हाथ मत लगाओ.. अभी आते हैं। थोड़ी देर बाद नर्स पहुंची, फिर डॉक्टर भी आए पर तब तक मेरा बच्चा जा चुका था। उसे फॉर्मेलिटी के लिए ICU में भर्ती किया गया पर उसकी मौत तो पहले ही हो गई थी।' पढ़ें पूरी खबर...

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