भारतवंशी मां के घर जन्मीं कमला की कहानी:30 साल बड़े शख्स से अफेयर, विरोधियों ने मिस्ट्रेस कहा; क्या राष्ट्रपति बन इतिहास रचेंगी
"मैं उसे लाफिंग कमला कहता हूं, आपने कभी उसे हंसते हुए देखा है? वो पागलों की तरह हंसती है। वो पागल है, झूठी है।" 21 जुलाई को मिशिगन में रैली के दौरान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ये बात वाइस प्रेसिडेंट कमला हैरिस को लेकर कही थी। तब अटकलें थीं कि डेमोक्रेटिक पार्टी उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकती है। 6 अगस्त को डेमोक्रेटिक पार्टी ने ऐसा कर दिया। अब नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प का सामना उसी कमला से होगा जिसे वे क्रेजी कहते हैं। कमला जिसने एक भारतवंशी महिला के घर जन्म लिया। जिसने अपने बच्चे पैदा करने के बजाय 2 सौतेले बच्चों की परवरिश की। जो अश्वेत होकर अमेरिका की पुरुष प्रधान पॉलिटिक्स में सबसे बड़े पद की दावेदार बनीं। इस स्टोरी में वो लाइफ जर्नी जिसने कमला को कमला बनाया… कमला का जन्म भारतवंशी ब्राह्मण मां और जमैकन पिता की संतान कमला हैरिस का जन्म 20 अक्टूबर 1964 को कैलिफोर्निया के ऑकलैंड में हुआ। वे 2 प्रवासियों के घर जन्मीं थीं। मां श्यामला गोपालन, ग्रेजुएशन के बाद 19 की उम्र में भारत के तमिलनाडु से अमेरिका चली गई थीं। 1958 का ये वो दौर था जब अमेरिका में अश्वेत (ब्लैक्स) अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे। यहां उनकी मुलाकात जमैका के लड़के डोनाल्ड हैरिस से हुई। दोनों अश्वेत थे, ऐसे देशों से अमेरिका आए थे जो सालों तक अंग्रेजों के गुलाम रहे। ये समानताएं उन्हें करीब लाईं और उनमें प्यार हो गया। वे असमानता और रंगभेद के खिलाफ एक साथ प्रदर्शनों में शामिल होने लगे। श्यामला का प्लान था कि वे पढ़ाई कर अपने वतन भारत लौट जाएंगी, पर ऐसा न हो सका। डोनाल्ड के प्यार ने श्यामला को अमेरिका में ही रोक लिया। 1963 में दोनों ने शादी कर ली। कमला, श्यामला और डोनाल्ड की पहली संतान हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक जब कमला छोटी थीं तो श्यामला और डोनाल्ड उसे पालने में रखकर प्रदर्शनों में ले जाते थे। कमला के जन्म के 3 साल बाद उनकी बहन माया पैदा हुई। हालांकि तब तक उनके माता-पिता में मतभेद बढ़ने लगे थे। एक इंटरव्यू में कमला हैरिस ने बताया था कि उनके माता-पिता का रिश्ता तेल और पानी जैसा हो गया था। वे साथ टिक ही नहीं पाते थे। नतीजा ये हुआ कि दोनों ने शादी के 9 साल बाद 1972 में तलाक ले लिया। इस वक्त कमला सिर्फ 7 साल की थीं। उनकी कस्टडी के लिए मां श्यामला और पिता डोनाल्ड ने कैलिफोर्निया के कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़ी। जीत मां की हुई। कमला के पिता अपनी किताब ‘रिफलेक्शन्स ऑफ ए जमैकन फादर’ में लिखते हैं, "उस वक्त कोर्ट का मानना था कि बाप अपने बच्चों की परवरिश नहीं कर सकते। ऊपर से मैं एक अश्वेत बाप था। हमें लेकर सोच थी कि हम अपने बच्चों को नाश्ते में खा जाएंगे। इसके बावजूद मैंने अपने बच्चों का प्यार हासिल करने के लिए कभी कोशिश नहीं छोड़ी।” तलाक के बाद कमला हैरिस और उनकी बहन की परवरिश मां ने ही की। इसके चलते कमला पर भारतीय संस्कृति का काफी असर है। कमला की मां तमिल ब्राह्मण थीं। उनका मानना था कि देवियों को पूजने वाली संस्कृति में औरतें मजबूत और साहसी होती हैं। पति से डिवोर्स के बावजूद श्यामला गोपालन ने बेटियों को न सिर्फ भारतीय बल्कि पिता की अफ्रीकी संस्कृति की भी सीख दी। अपनी बायोग्राफी ‘द ट्रुथ्स वी होल्ड- द अमेरिकन जर्नी’ में कमला लिखती हैं- मेरी मां ये अच्छे से समझती थीं कि वे दो अश्वेत लड़कियों की परवरिश कर रही हैं। उन्होंने हमें आत्मविश्वास और उम्मीद से भरा रखा। 1954 में जब कमला 5 साल की थीं तो अमेरिका में रंगभेद की वजह से अश्वेत और श्वेत बच्चों के लिए अलग-अलग स्कूल हुआ करते थे। इसी साल इस व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया। इसके बावजूद जमीनी हकीकत नहीं बदली। व्हाइट पेरेंट्स सड़कों पर उतर आए, वे नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे अश्वेतों के साथ पढ़ें। सरकार ने हालात सुधारने के लिए एक सिस्टम शुरू किया। इसके तहत अश्वेत बच्चों को बस के जरिए बड़े और मॉडर्न स्कूलों तक पहुंचाया गया। इनमें ज्यादातर व्हाइट बच्चे पढ़ा करते थे। कमला हैरिस भी उन बच्चों में शामिल थीं, जो सरकारी बसों में गोरे बच्चों के बड़े स्कूलों में पढ़ने पहुंचीं। मां को कनाडा में टीचर की नौकरी मिली तो अमेरिका छोड़ा कमला हैरिस जब 12 साल की हुईं तो उन्हें मां और बहन के साथ अमेरिका छोड़ कनाडा जाना पड़ा। उनकी मां को वहां की मैकगिल यूनिवर्सिटी में टीचर की नौकरी मिली थी। अमेरिका छोड़ना कमला को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। कमला हमेशा अपने दोस्तों को मिस करती थीं। अपनी बायोग्राफी में लिखती हैं, “खुशनुमा मौसम वाले कैलिफोर्निया को छोड़कर 12 फीट तक बर्फ की चादर से ढंके मॉन्ट्रियल जाना बेहद बुरा अनुभव था।” कमला ने कनाडा के दिनों के बारे में बहुत कम जिक्र किया है। जबकि उन्होंने अपनी टीनएज लगभग वहीं बिताई थी। कनाडा में गुजारे 5 सालों में कमला ने 4 अलग-अलग स्कूलों में पढ़ाई की। उनकी दोस्त डीन स्मिथ अंग्रेजी अखबार द डेली मेल को बताती हैं, “स्कूल के दिनों में कमला का कोई बॉयफ्रेंड नहीं था। वे स्कूल सिर्फ पढ़ाई के लिए आती थीं, लड़कों से दोस्ती के लिए नहीं।” वहीं, उनकी एक और दोस्त वैंडा कगान बताती हैं कि कमला की पर्सनालिटी इतनी रौबदार थी कि वे स्कूल में सबसे अलग दिखती थीं। एक बार वैंडा ने कमला को बताया कि उसका सौतेला पिता उसका यौन शोषण करता है। ये सुनते ही कमला ने वैंडा को अपने घर बुला लिया और वहीं रखा। कमला की मां और बहन माया ने भी उनकी मदद की। कनाडा से स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद कमला अमेरिका लौट आईं, जहां उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। यहां कमला ने मां की तरह अश्वेतों के अधिकारों के लिए कई प्रदर्शन किए। वे अपनी बात साफगोई से रखती थीं, किसी से भिड़ने में हिचकिचाती नहीं थीं। इसके चलते उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के डिबेट क्लब में जगह मिली। 1983 में कमला हैरिस स्टूडेंट न्यूजपेपर के एडिटर को निकाले जाने के खिलाफ यूनिवर्सिटी एडिमिनिस्ट्रेशन बिल्डि
"मैं उसे लाफिंग कमला कहता हूं, आपने कभी उसे हंसते हुए देखा है? वो पागलों की तरह हंसती है। वो पागल है, झूठी है।" 21 जुलाई को मिशिगन में रैली के दौरान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ये बात वाइस प्रेसिडेंट कमला हैरिस को लेकर कही थी। तब अटकलें थीं कि डेमोक्रेटिक पार्टी उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकती है। 6 अगस्त को डेमोक्रेटिक पार्टी ने ऐसा कर दिया। अब नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प का सामना उसी कमला से होगा जिसे वे क्रेजी कहते हैं। कमला जिसने एक भारतवंशी महिला के घर जन्म लिया। जिसने अपने बच्चे पैदा करने के बजाय 2 सौतेले बच्चों की परवरिश की। जो अश्वेत होकर अमेरिका की पुरुष प्रधान पॉलिटिक्स में सबसे बड़े पद की दावेदार बनीं। इस स्टोरी में वो लाइफ जर्नी जिसने कमला को कमला बनाया… कमला का जन्म भारतवंशी ब्राह्मण मां और जमैकन पिता की संतान कमला हैरिस का जन्म 20 अक्टूबर 1964 को कैलिफोर्निया के ऑकलैंड में हुआ। वे 2 प्रवासियों के घर जन्मीं थीं। मां श्यामला गोपालन, ग्रेजुएशन के बाद 19 की उम्र में भारत के तमिलनाडु से अमेरिका चली गई थीं। 1958 का ये वो दौर था जब अमेरिका में अश्वेत (ब्लैक्स) अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे। यहां उनकी मुलाकात जमैका के लड़के डोनाल्ड हैरिस से हुई। दोनों अश्वेत थे, ऐसे देशों से अमेरिका आए थे जो सालों तक अंग्रेजों के गुलाम रहे। ये समानताएं उन्हें करीब लाईं और उनमें प्यार हो गया। वे असमानता और रंगभेद के खिलाफ एक साथ प्रदर्शनों में शामिल होने लगे। श्यामला का प्लान था कि वे पढ़ाई कर अपने वतन भारत लौट जाएंगी, पर ऐसा न हो सका। डोनाल्ड के प्यार ने श्यामला को अमेरिका में ही रोक लिया। 1963 में दोनों ने शादी कर ली। कमला, श्यामला और डोनाल्ड की पहली संतान हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक जब कमला छोटी थीं तो श्यामला और डोनाल्ड उसे पालने में रखकर प्रदर्शनों में ले जाते थे। कमला के जन्म के 3 साल बाद उनकी बहन माया पैदा हुई। हालांकि तब तक उनके माता-पिता में मतभेद बढ़ने लगे थे। एक इंटरव्यू में कमला हैरिस ने बताया था कि उनके माता-पिता का रिश्ता तेल और पानी जैसा हो गया था। वे साथ टिक ही नहीं पाते थे। नतीजा ये हुआ कि दोनों ने शादी के 9 साल बाद 1972 में तलाक ले लिया। इस वक्त कमला सिर्फ 7 साल की थीं। उनकी कस्टडी के लिए मां श्यामला और पिता डोनाल्ड ने कैलिफोर्निया के कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़ी। जीत मां की हुई। कमला के पिता अपनी किताब ‘रिफलेक्शन्स ऑफ ए जमैकन फादर’ में लिखते हैं, "उस वक्त कोर्ट का मानना था कि बाप अपने बच्चों की परवरिश नहीं कर सकते। ऊपर से मैं एक अश्वेत बाप था। हमें लेकर सोच थी कि हम अपने बच्चों को नाश्ते में खा जाएंगे। इसके बावजूद मैंने अपने बच्चों का प्यार हासिल करने के लिए कभी कोशिश नहीं छोड़ी।” तलाक के बाद कमला हैरिस और उनकी बहन की परवरिश मां ने ही की। इसके चलते कमला पर भारतीय संस्कृति का काफी असर है। कमला की मां तमिल ब्राह्मण थीं। उनका मानना था कि देवियों को पूजने वाली संस्कृति में औरतें मजबूत और साहसी होती हैं। पति से डिवोर्स के बावजूद श्यामला गोपालन ने बेटियों को न सिर्फ भारतीय बल्कि पिता की अफ्रीकी संस्कृति की भी सीख दी। अपनी बायोग्राफी ‘द ट्रुथ्स वी होल्ड- द अमेरिकन जर्नी’ में कमला लिखती हैं- मेरी मां ये अच्छे से समझती थीं कि वे दो अश्वेत लड़कियों की परवरिश कर रही हैं। उन्होंने हमें आत्मविश्वास और उम्मीद से भरा रखा। 1954 में जब कमला 5 साल की थीं तो अमेरिका में रंगभेद की वजह से अश्वेत और श्वेत बच्चों के लिए अलग-अलग स्कूल हुआ करते थे। इसी साल इस व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया। इसके बावजूद जमीनी हकीकत नहीं बदली। व्हाइट पेरेंट्स सड़कों पर उतर आए, वे नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे अश्वेतों के साथ पढ़ें। सरकार ने हालात सुधारने के लिए एक सिस्टम शुरू किया। इसके तहत अश्वेत बच्चों को बस के जरिए बड़े और मॉडर्न स्कूलों तक पहुंचाया गया। इनमें ज्यादातर व्हाइट बच्चे पढ़ा करते थे। कमला हैरिस भी उन बच्चों में शामिल थीं, जो सरकारी बसों में गोरे बच्चों के बड़े स्कूलों में पढ़ने पहुंचीं। मां को कनाडा में टीचर की नौकरी मिली तो अमेरिका छोड़ा कमला हैरिस जब 12 साल की हुईं तो उन्हें मां और बहन के साथ अमेरिका छोड़ कनाडा जाना पड़ा। उनकी मां को वहां की मैकगिल यूनिवर्सिटी में टीचर की नौकरी मिली थी। अमेरिका छोड़ना कमला को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। कमला हमेशा अपने दोस्तों को मिस करती थीं। अपनी बायोग्राफी में लिखती हैं, “खुशनुमा मौसम वाले कैलिफोर्निया को छोड़कर 12 फीट तक बर्फ की चादर से ढंके मॉन्ट्रियल जाना बेहद बुरा अनुभव था।” कमला ने कनाडा के दिनों के बारे में बहुत कम जिक्र किया है। जबकि उन्होंने अपनी टीनएज लगभग वहीं बिताई थी। कनाडा में गुजारे 5 सालों में कमला ने 4 अलग-अलग स्कूलों में पढ़ाई की। उनकी दोस्त डीन स्मिथ अंग्रेजी अखबार द डेली मेल को बताती हैं, “स्कूल के दिनों में कमला का कोई बॉयफ्रेंड नहीं था। वे स्कूल सिर्फ पढ़ाई के लिए आती थीं, लड़कों से दोस्ती के लिए नहीं।” वहीं, उनकी एक और दोस्त वैंडा कगान बताती हैं कि कमला की पर्सनालिटी इतनी रौबदार थी कि वे स्कूल में सबसे अलग दिखती थीं। एक बार वैंडा ने कमला को बताया कि उसका सौतेला पिता उसका यौन शोषण करता है। ये सुनते ही कमला ने वैंडा को अपने घर बुला लिया और वहीं रखा। कमला की मां और बहन माया ने भी उनकी मदद की। कनाडा से स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद कमला अमेरिका लौट आईं, जहां उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। यहां कमला ने मां की तरह अश्वेतों के अधिकारों के लिए कई प्रदर्शन किए। वे अपनी बात साफगोई से रखती थीं, किसी से भिड़ने में हिचकिचाती नहीं थीं। इसके चलते उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के डिबेट क्लब में जगह मिली। 1983 में कमला हैरिस स्टूडेंट न्यूजपेपर के एडिटर को निकाले जाने के खिलाफ यूनिवर्सिटी एडिमिनिस्ट्रेशन बिल्डिंग के बाहर धरने पर बैठ गई थीं। यहीं से उनमें राजनीति और पब्लिक लाइफ जीने को लेकर समझ पैदा हुई। कमला की पर्सनल लाइफ 30 साल बड़े शख्स से अफेयर, लोगों ने मिस्ट्रेस तक कहा हार्वर्ड से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन के बाद कमला ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से 1989 में कानून की पढ़ाई पूरी की। 1990 में वे कैलिफोर्निया की स्टेट बार काउंसिल में शामिल हुईं और असिस्टेंट के तौर पर काम करने लगीं। 1994 में उनकी मुलाकात 60 साल के विली ब्राउन से हुई। उस वक्त वे कैलिफोर्निया की विधानसभा के अध्यक्ष थे। कमला इस दौरान 30 साल की थीं और अपने करियर के शुरुआती दौर में थीं। उम्र में भारी अंतर होने के बावजूद दोनों ने एक-दूसरे को 2 साल तक डेट किया। एक इंटरव्यू में कमला ने विली के साथ रहे अपने रिश्ते पर कहा था- ये शायद जीवन भर मेरे गले की फांस बना रहेगा। दरअसल, इस रिश्ते की वजह से कमला को विली की मिस्ट्रेस तक कहा गया। 2020 में जब कमला उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनी गईं तो सोशल मीडिया पर विली से रहे उनके रिश्ते पर कमला को खूब कोसा गया। उन्हें घर तोड़ने वाला बताया गया। इससे परेशान होकर खुद विली ब्राउन ने सफाई दी कि जिस वक्त वे दोनों रिश्ते में थे, विली अपनी पत्नी से तलाक ले चुके थे। कमला के आलोचक उन पर विली की पोजिशन का फायदा उठाने के आरोप लगाते हैं। 2003 में कमला सैन फ्रांसिस्को के जिला अटॉर्नी का चुनाव लड़ रही थीं। इस दौरान विरोधियों ने 7 साल पहले ही खत्म हो चुके कमला और विली के रिश्ते को पब्लिक कर दिया। कमला को राजनीति में मात देने के लिए विरोधी उनके निजी जीवन को कोर्ट तक ले आए। उन्होंने आरोप लगाए कि कमला ने विली ब्राउन से अपने संबंधों का इस्तेमाल कर एक साथ दो सरकारी पद हासिल किए थे। हालांकि इन आरोपों के बावजूद कमला जिला अटॉर्नी का चुनाव जीत गईं। वे कैलिफोर्निया की पहली अफ्रीकी-एशियाई महिला बनीं जो इस पद के लिए चुनी गई। कमला ने 2001 में सेलेब्रिटी एंकर मोंटेल विलियम्स को भी डेट किया था। मोंटेल अमेरिका के फेमस टीवी शो को होस्ट करते थे। वे तलाकशुदा थे। मोंटेल एक रेड कार्पेट इवेंट के दौरान कमला और अपनी बेटी को साथ लाए थे। ये पहला मौका था जब किसी बड़े इवेंट में कमला को अमेरिकी जनता के सामने इंट्रोड्यूस किया गया। हालांकि दोनों का रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं चला। कमला फिर अपने करियर को मजबूत करने में जुट गईं। 2010 में वे कैलिफोर्निया राज्य की अटॉर्नी जनरल चुनी गईं। वे इस पद को हासिल करने वाली पहली अश्वेत महिला थीं। ब्लाइंड डेट पर हुई पति डगलस से मुलाकात कैलिफोर्निया की अटॉर्नी बनने के 3 साल बाद ही कमला की मुलाकात डगलस एमहॉफ से हुई। ये एक ब्लाइंड डेट थी। दोनों को कमला की करीबी दोस्त क्रिसेट हडलिन ने मिलवाया था। हडलिन ने कमला को ब्लाइंड डेट पर जाने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने जाने से पहले ही डगलस के बारे में गूगल पर सर्च कर लिया था। डगलस तलाकशुदा व्यक्ति थे, जिनकी पहली पत्नी क्रिस्टेन से 1992 में शादी हुई थी, जिनसे उनके 1 बेटी और 1 बेटा हैं। डगलस पेशे से एक वकील हैं। कमला हैरिस ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उन्हें डगलस का सेंस ऑफ ह्यूमर पसंद आया था। एक साल तक रिलेशनशिप में रहने के बाद दोनों ने 2014 में शादी कर ली थी। कमला के खुद के बच्चे नहीं हैं। इसे लेकर विरोधी उन पर हमलावर रहते हैं। रिपब्लिकन पार्टी के उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जेडी वेंस ने 2021 में कमला का नाम लिए बिना कहा था, “देश बिना बच्चों वाली कैट लेडी (बिल्ली पालने वाली) चला रही हैं। जिनके अपने बच्चे तक नहीं हैं, जिनकी अपनी पर्सनल जिंदगी ठीक नहीं है, वे देश को खराब कर रही हैं।” हालांकि कमला अपने 2 सौतेले बच्चों की परवरिश में हाथ बंटाती हैं। डगलस एमहॉफ के दोनों बच्चे उन्हें मोमाला कहकर बुलाते हैं। पॉलिटिकल लाइफ- वकालत से राजनीति में एंट्री, 7 साल में राष्ट्रपति उम्मीदवार बनीं करियर के तौर पर जब कमला ने वकालत चुनी तो उनकी मां को कुछ खास अच्छा नहीं लगा, लेकिन उन्होंने मां को समझा लिया। कमला का कहना है कि वे वकील इसलिए बनी ताकि कानून के जरिए महिलाओं, बच्चों और अश्वेतों का जीवन बेहतर कर सकें। हालांकि ये भी एक फैक्ट है कि अमेरिका की राजनीति में वकीलों का दबदबा रहा है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के मुताबिक आजादी से 2015 तक अमेरिका के 60% राष्ट्रपति वकील रहे हैं। अमेरिकी कांग्रेस में 40% से ज्यादा सांसद वकील हैं। कमला के पॉलिटिकल करियर की पहली सीढ़ी भी वकालत ही रही। वे जिला अटॉर्नी से स्टेट अटॉर्नी और फिर सीनेट (अमेरिकी राज्यसभा) तक पहुंचीं। जिला अटॉर्नी बनने के सालभर बाद ही कमला अपनी अप्रोच को लेकर विवादों में घिरने लगीं। इन विवादों ने कमला की लोकप्रियता को बढ़ाया। 2004 में एक क्रिमिनल गैंग के मेंबर ने एक पुलिस वाले इसाक एसपिनोजा की गोली मारकर हत्या कर दी। लोगों की मांग थी कि हत्यारे को मौत की सजा मिले। हालांकि कमला ने सरकारी वकील के तौर पर मौत की सजा की मांग ही नहीं की। इसे लेकर न सिर्फ पुलिसवालों बल्कि कैलिफोर्निया के सीनेटर तक ने उनका विरोध किया था। अटॉर्नी के तौर पर कमला ने मौत की सजा को कम करने के लिए काम किया। उनका मानना है कि न्यायिक व्यवस्था को सजा देने से ज्यादा फोकस अपराध रोकने पर करना चाहिए। उन्होंने छोटे अपराधों में बड़ी सजा को भी कम करवाया । कमला ने बैक ऑन ट्रैक प्रोग्राम शुरू कराया था। जिसके तहत छोटे अपराध करने वाले लोगों को स्कूल एजुकेशन और जॉब ट्रेनिंग दिलाई गई, ताकि वे अपराध छोड़कर साधारण जिंदगी जी सकें। कमला ने उन पेरेंट्स को सजा दिलाने पर भी फोकस किया जो अपने बच्चों को एजुकेशन के लिए स्कूल नहीं भेज रहे थे। इस अपराध को ट्रूएंसी कहा जाता है। इसका सबसे ज्यादा असर ब्लैक पेरेटेंस पर पड़ा। इसके कारण कमला की काफी आलोचना हुई। हालांकि कमला के लिए कैंपेन चलाने वालों का कहना है कि इसके चलते ट्रूएंसी के मामलों में 33% की गिरावट आई। कमला ने कभी मदद करने वालों का साथ नहीं छोड़ा पत्रकार माइकल क्रूज ने कमला की राजनीति को लेकर 2019 में पॉलिटिको मैगजीन में लिखा था, "सैन फ्रांसिस्को की चमक-धमक वाली शादियों से लेकर चैरिटी इवेंट्स और बड़े रेस्त्रां तक कमला ने शहर के अमीरों से संपर्क बनाए। वे अपने पॉलिटिकल करियर के हर मोड़ पर उनके टच में रहीं। कमला ने मदद करने वालों का कभी साथ नहीं छोड़ा।" कमला हैरिस साल 2016 में चुनावी राजनीति में उतरीं। ये वही साल था जब डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे। कमला हैरिस को बराक ओबामा और जो बाइडेन का समर्थन हासिल था। वे सीनेट में चुने जाने वाली दूसरी अश्वेत महिला बनीं। सांसद बनने के दो साल बाद ही कमला हैरिस ने 2019 में राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होने के लिए अपना नाम आगे कर दिया। हालांकि कमला हैरिस को राष्ट्रपति उम्मीदवार की डिबेट में बाइडेन के हाथों हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने उम्मीदवारी की रेस से अपना नाम वापस ले लिया। 2020 की गर्मियों में बाइडेन ने कमला हैरिस को अपना उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित कर दिया। 2020 में बाइडेन की जीत के बाद कमला हैरिस अमेरिकी इतिहास की पहली अश्वेत महिला उप-राष्ट्रपति चुनी गईं। राजनीति में एंट्री लेने के 7 साल के भीतर अब वे राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं। NYT के मुताबिक देरी से उम्मीदवार बनने के बावजूद वे तीसरी बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ रहे ट्रम्प को कड़ी टक्कर दे रहीं हैं। पोल में कमला 7 अहम राज्यों में से 5 में ट्रम्प से आगे हैं। अगर वे जीती तो अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बन हमेशा के लिए इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लेंगी।