मणिपुर के 6 इलाकों में AFSPA फिर से लागू:केंद्र का फैसला; डेढ़ साल से जारी हिंसा में 200 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके

मणिपुर के 5 जिलों के 6 थानों में फिर से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट (AFSPA) लागू कर दिया गया है। यह 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगा। गृह मंत्रालय ने गुरुवार को इसका आदेश जारी किया। मंत्रालय ने कहा कि इन इलाकों में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के चलते फैसला लिया गया। AFSPA लागू होने से सेना और अर्ध-सैनिक बल इन इलाकों में कभी भी किसी को भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले सकते हैं। गृह मंत्रालय के आदेश में इम्फाल पश्चिम जिले का सेकमई और लमसांग, इम्फाल पूर्व जिले का लाम्लाई, जिरिबाम जिले का जिरिबाम, कांगपोकपी का लेइमाखोंग और बिष्णुपुर जिले का मोइरंग थाना शामिल है। AFSPA में बिना वारंट गिरफ्तारी का अधिकार AFSPA को केवल अशांत क्षेत्रों में लागू किया जाता है। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में बल प्रयोग भी हो सकता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में AFSPA लागू कर दिया गया। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है। अब राज्य के 13 इलाकों में AFSPA लागू नहीं केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद अब राज्य के 13 इलाके ही AFSPA से बाहर हैं। इससे पहले 1 अक्टूबर को मणिपुर सरकार ने इम्फाल, लाम्फल, सिटी, सिंगजमई, सेकमई, लमसांग, पटसोई, वांगोई, पोरोमपाट, हेइंगांग, लाम्लाई, इरिलबंग, लेइमाखोंग, थौबाल, बिश्नुपुर, नंबोल, मोइरंग, काकचिंग, और जिरिबाम को AFSPA से बाहर रखा गया था। सोमवार को मणिपुर के जिरिबाम जिले में सुरक्षा बलों के साथ एनकाउंटर में 10 संदिग्ध उग्रवादी मार गिराए थे। उग्रवादियों ने पुलिस स्टेशन और पास के CRPF कैंप पर अत्याधुनिक हथियारों से अंधाधुंध गोलियां चलाईं। अगले ही दिन जिरिबाम जिले से उग्रवादियों ने छह नागरिकों (महिलाएं और बच्चे शामिल) का अपहरण कर लिया था। जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए मई 2023 से जारी जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। हिंसा मणिपुर के इम्फाल घाटी के मैतेई समुदाय और पहाड़ी क्षेत्रों के कुकी-जो समुदायों के बीच हो रही है। जिरिबाम पहले इंफाल घाटी और आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में हुई हिंसा से काफी हद तक बचा हुआ था।लेकिन इस साल जून में यहां एक किसान का बुरी तरह विकृत शव मिला। इसके बाद यहां भी हिंसा हुई। ------------------------------------------ ये खबर भी पढ़ें: मणिपुर में सुरक्षाबलों ने 10 उग्रवादियों को मार गिराया:CRPF चौकी पर हमला करने पहुंचे थे; 1 जवान भी घायल, 5 स्थानीय लोग लापता मणिपुर के जिरिबाम जिले में 11 नवंबर को CRPF जवानों ने एनकाउंटर में 10 कुकी उग्रवादियों को मार गिराया। घटना दोपहर 2.30 बजे बोरोबेकेरा के जकुराडोर करोंग इलाके की है।यहां के पुलिस स्टेशन और CRPF चौकी पर इन उग्रवादियों ने हमला किया था। जवाबी कार्रवाई के दौरान CRPF का एक जवान घायल हुआ, उसका असम के सिलचर में इलाज जारी है। ये इलाका असम सीमा से लगा हुआ है। पढ़ें पूरी खबर...

Nov 14, 2024 - 18:25
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मणिपुर के 6 इलाकों में AFSPA फिर से लागू:केंद्र का फैसला; डेढ़ साल से जारी हिंसा में 200 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके
मणिपुर के 5 जिलों के 6 थानों में फिर से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट (AFSPA) लागू कर दिया गया है। यह 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगा। गृह मंत्रालय ने गुरुवार को इसका आदेश जारी किया। मंत्रालय ने कहा कि इन इलाकों में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के चलते फैसला लिया गया। AFSPA लागू होने से सेना और अर्ध-सैनिक बल इन इलाकों में कभी भी किसी को भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले सकते हैं। गृह मंत्रालय के आदेश में इम्फाल पश्चिम जिले का सेकमई और लमसांग, इम्फाल पूर्व जिले का लाम्लाई, जिरिबाम जिले का जिरिबाम, कांगपोकपी का लेइमाखोंग और बिष्णुपुर जिले का मोइरंग थाना शामिल है। AFSPA में बिना वारंट गिरफ्तारी का अधिकार AFSPA को केवल अशांत क्षेत्रों में लागू किया जाता है। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में बल प्रयोग भी हो सकता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में AFSPA लागू कर दिया गया। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है। अब राज्य के 13 इलाकों में AFSPA लागू नहीं केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद अब राज्य के 13 इलाके ही AFSPA से बाहर हैं। इससे पहले 1 अक्टूबर को मणिपुर सरकार ने इम्फाल, लाम्फल, सिटी, सिंगजमई, सेकमई, लमसांग, पटसोई, वांगोई, पोरोमपाट, हेइंगांग, लाम्लाई, इरिलबंग, लेइमाखोंग, थौबाल, बिश्नुपुर, नंबोल, मोइरंग, काकचिंग, और जिरिबाम को AFSPA से बाहर रखा गया था। सोमवार को मणिपुर के जिरिबाम जिले में सुरक्षा बलों के साथ एनकाउंटर में 10 संदिग्ध उग्रवादी मार गिराए थे। उग्रवादियों ने पुलिस स्टेशन और पास के CRPF कैंप पर अत्याधुनिक हथियारों से अंधाधुंध गोलियां चलाईं। अगले ही दिन जिरिबाम जिले से उग्रवादियों ने छह नागरिकों (महिलाएं और बच्चे शामिल) का अपहरण कर लिया था। जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए मई 2023 से जारी जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। हिंसा मणिपुर के इम्फाल घाटी के मैतेई समुदाय और पहाड़ी क्षेत्रों के कुकी-जो समुदायों के बीच हो रही है। जिरिबाम पहले इंफाल घाटी और आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में हुई हिंसा से काफी हद तक बचा हुआ था।लेकिन इस साल जून में यहां एक किसान का बुरी तरह विकृत शव मिला। इसके बाद यहां भी हिंसा हुई। ------------------------------------------ ये खबर भी पढ़ें: मणिपुर में सुरक्षाबलों ने 10 उग्रवादियों को मार गिराया:CRPF चौकी पर हमला करने पहुंचे थे; 1 जवान भी घायल, 5 स्थानीय लोग लापता मणिपुर के जिरिबाम जिले में 11 नवंबर को CRPF जवानों ने एनकाउंटर में 10 कुकी उग्रवादियों को मार गिराया। घटना दोपहर 2.30 बजे बोरोबेकेरा के जकुराडोर करोंग इलाके की है।यहां के पुलिस स्टेशन और CRPF चौकी पर इन उग्रवादियों ने हमला किया था। जवाबी कार्रवाई के दौरान CRPF का एक जवान घायल हुआ, उसका असम के सिलचर में इलाज जारी है। ये इलाका असम सीमा से लगा हुआ है। पढ़ें पूरी खबर...

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