महाराष्ट्र में आमने-सामने यूपी के 2 दिग्गज:दोनों दोस्त रहे, महाराष्ट्र में सपा को खड़ा किया; स्वरा भास्कर के पति की वजह से हुई दुश्मनी
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पूर्वी उत्तर प्रदेश के दो दिग्गज एक ही सीट पर किस्मत आजमा रहे हैं। दोनों मौजूदा समय में विधायक हैं, लेकिन इस बार एक की हार तय है। एक समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता हैं अबू आसिम आजमी और दूसरे एनसीपी अजीत गुट के कद्दावर नेता नवाब मलिक हैं। अबू आसिम आजमी यूपी के आजमगढ़ के रहने वाले हैं, जबकि नवाब मलिक यूपी के बलरामपुर जिले के रहने वाले हैं। दोनों ने राजनीति में एक साथ कदम रखा था और महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी को पहचान दिलाने में इन दोनों ही नेताओं की भूमिका अहम थी। दोनों एक दूसरे के अच्छे दोस्त थे। अब दोनों ही महाराष्ट्र की मुंबई की मानखुर्द शिवाजी नगर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि इस सीट पर महाविकास अघाड़ी ने अबू आसिम आजमी के सामने कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है। जबकि एनडीए की तरफ एनसीपी अजीत गुट और शिवसेना शिंदे गुट ने अपने-अपने प्रत्याशी उतारे हैं। जानिए दोनों एक-दूसरे के खिलाफ कैसे हो गए, सपा की क्या है रणनीति… सबसे पहले नवाब मलिक की कहानी जानिए
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के उतरौला तहसील के गांव धुंसवा के रहने वाले हैं। इनका जन्म 1959 में हुआ था। 1970 में वह मुंबई चले गए और वहीं बस गए। सियासत में आने से पहले नवाब मलिक ने अपने करियर की शुरुआत एक कबाड़ी के तौर पर शुरू की थी। कुछ सालों तक उन्होंने यह काम किया। इतना ही नहीं एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने खुद कहा था कि मैं कबाड़ीवाला हूं। मेरे पिता मुंबई में कबाड़ का कारोबार करते थे। विधायक बनने तक मैंने भी कबाड़ का कारोबार किया। मुझे इस पर गर्व है। नवाब मलिक ने वहां जनता दल के जरिए अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की। 1995 में वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। समाजवादी पार्टी ने उन्हें नेहरूनगर से अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह शिवसेना के प्रत्याशी से चुनाव हार गए। 1999 में वह फिर इसी सीट से चुनाव लड़े और इस बार उन्होंने शिवसेना के प्रत्याशी को 18 हजार से अधिक के मार्जिन से हरा दिया। उनकी किस्मत ऐसी खुली की विलास राव देशमुख की सरकार बनी और नवाब मलिक मंत्री बन गए। 1999 में कांग्रेस में सोनिया गांधी की ताजपोशी के विरोध में शरद पवार कांग्रेस से अलग हो गए और उन्होंने नेशनल कांग्रेस पार्टी बना ली। मौके की नजाकत को देखते हुए नवाब मलिक ने भी एनसीपी का दामन थाम लिया और वह शरद पवार के नजदीकी हो गए। एनसीपी में आने के बाद अणुशक्तिनगर सीट को नवाब मलिक ने अपनी कर्म भूमि बना लिया और वह इसी सीट का प्रतिनिधित्व करने लगे। 2022 में महाराष्ट्र में सियासी उथल-पुथल शुरू हुई तो नवाब मलिक को मनी लांड्रिंग के एक मामले में फरवरी 2022 में ईडी ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जेल से छूटे तो एनसीपी दो टुकड़ों में बंट चुकी थी। उन्होंने अजीत गुट के साथ जाने का फैसला किया। अब अबू आसिम आजमी को जानिए…
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के सरायमीर के रहने वाले अबू आसिम आजमी 1973 में मुंबई पहुंचे। अबू आसिम आजमी जमींदार परिवार से संबंध रखते थे। जब जमींदारी का दौर खत्म हुआ तो उनके पिता सिंगापुर चले गए। अबू आसिम का कपड़े का कारोबार था, जिसे वे गल्फ कंट्री में सप्लाई करते थे। बाद में उन्होंने ट्रेवेल एजेंट के रूप में भी काम किया और लोगों को बाहर भेजने के लिए उन्हें टिकट मुहैया कराने लगे। 1992 में जब मुंबई में सीरियल ब्लास्ट हुए तो उसमें अबू आसिम आजमी को भी आरोपी बना दिया गया। अबू आसिम पर आरोप था कि उन्होंने 11 आतंकियों को दुबई भेजने के लिए फंडिंग की जिन्होंने बाद में पाकिस्तान में जाकर ट्रेनिंग ली। अबू आसिम इस मामले में गिरफ़्तार कर जेल भेजे गए। बाद में उन्हें जमानत मिल गई। 1995 के चुनाव से पहले मुलायम सिंह यादव की मुंबई में एक सभा थी, जिसमें श्रोता बनकर अबू आसिम भी पहुंचे। मुलायम सिंह के भाषण से प्रभावित होकर उन्होंने मुलायम सिंह से मिलने की ठानी। और फिर यहीं से उनकी राजनीति की शुरुआत हो गई। धीरे-धीरे अबू आसिम आजमी मुलायम सिंह के इतने करीबी हो गए कि मुलायम सिंह ने पूरे महाराष्ट्र की बागडोर अबू आसिम आजमी के हवाले कर दी। अबू आसिम मुंबई की मानखुर्द शिवाजी नगर सीट का प्रतिनिधित्व करने लगे। दोनों के बीच लड़ाई की वजह ये है
सपा की राजनीति करते हुए अबू आसिम आजमी और नवाब मलिक अच्छे दोस्त हो गए। लेकिन जब नवाब मलिक जेल गए तो अबू आसिम आजमी ने उनकी सीट पर अपने भरोसेमंद फहद मलिक जो स्वरा भास्कर के पति हैं, उनके लिए जमीन तैयार करनी शुरू कर दी। अणुशक्तिनगर सीट पर उन्होंने फहद को प्रत्याशी बनाने की ठान ली। सपा का समझौता नहीं हो सका तो उन्हें एनसीपी शरद पवार गुट से टिकट दिला दिया। नवाब मलिक को यह बात नागवार गुजरी। यहां से नवाब मलिक अपनी बेटी सना मलिक को चुनाव लड़ा रहे हैं। फहाद के मैदान में आने के बाद नवाब मलिक ने टक्कर देने के लिए अबू आसिम के सामने चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया। पहले नवाब मलिक ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया और बाद में उन्हें एनसीपी अजीत गुट का सिंबल मिल गया। अबू आसिम की सीट पर कितने प्रत्याशी मैदान में
मानखुर्द शिवाजी नगर सीट पर कुल 27 प्रत्याशी मैदान में हैं। इसमें 15 निर्दल उम्मीदवार शामिल हैं। समाजवादी पार्टी, एनसीपी और शिवसेना के अलावा बाकी दूसरे छोटे दलों के उम्मीदवार मैदान में हैं। मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर 13 मुस्लिम प्रत्याशी हैं। देखना दिलचस्प होगा कि इस सीट पर कौन कामयाबी हासिल करता है। किस-किस को मायूसी हाथ लगती है। सपा से महाविकास अघाड़ी को होगा नुकसान
महाराष्ट्र के चुनाव को कवर कर रहे यूपी के वरिष्ठ पत्रकार जैगम मुर्तजा का कहना है कि समाजवादी पार्टी कुछ मुस्लिम बाहुल्य सीटों को अपने लिए मजबूत मानती है, इसी लिए उसने यहां 9 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। सपा या महाविकास अघाड़ी को इस बात का नुकसान उठाना पड़ सकता है कि गठबंधन के लोग आपस में ही लड़ रहे हैं। हालांकि दो से तीन सीटों पर सपा की स्थिति काफी मजबूत बताई जा रही है। जिस तरह महाविकास अघाड़ी के दल आपस मे
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पूर्वी उत्तर प्रदेश के दो दिग्गज एक ही सीट पर किस्मत आजमा रहे हैं। दोनों मौजूदा समय में विधायक हैं, लेकिन इस बार एक की हार तय है। एक समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता हैं अबू आसिम आजमी और दूसरे एनसीपी अजीत गुट के कद्दावर नेता नवाब मलिक हैं। अबू आसिम आजमी यूपी के आजमगढ़ के रहने वाले हैं, जबकि नवाब मलिक यूपी के बलरामपुर जिले के रहने वाले हैं। दोनों ने राजनीति में एक साथ कदम रखा था और महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी को पहचान दिलाने में इन दोनों ही नेताओं की भूमिका अहम थी। दोनों एक दूसरे के अच्छे दोस्त थे। अब दोनों ही महाराष्ट्र की मुंबई की मानखुर्द शिवाजी नगर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि इस सीट पर महाविकास अघाड़ी ने अबू आसिम आजमी के सामने कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है। जबकि एनडीए की तरफ एनसीपी अजीत गुट और शिवसेना शिंदे गुट ने अपने-अपने प्रत्याशी उतारे हैं। जानिए दोनों एक-दूसरे के खिलाफ कैसे हो गए, सपा की क्या है रणनीति… सबसे पहले नवाब मलिक की कहानी जानिए
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के उतरौला तहसील के गांव धुंसवा के रहने वाले हैं। इनका जन्म 1959 में हुआ था। 1970 में वह मुंबई चले गए और वहीं बस गए। सियासत में आने से पहले नवाब मलिक ने अपने करियर की शुरुआत एक कबाड़ी के तौर पर शुरू की थी। कुछ सालों तक उन्होंने यह काम किया। इतना ही नहीं एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने खुद कहा था कि मैं कबाड़ीवाला हूं। मेरे पिता मुंबई में कबाड़ का कारोबार करते थे। विधायक बनने तक मैंने भी कबाड़ का कारोबार किया। मुझे इस पर गर्व है। नवाब मलिक ने वहां जनता दल के जरिए अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की। 1995 में वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। समाजवादी पार्टी ने उन्हें नेहरूनगर से अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह शिवसेना के प्रत्याशी से चुनाव हार गए। 1999 में वह फिर इसी सीट से चुनाव लड़े और इस बार उन्होंने शिवसेना के प्रत्याशी को 18 हजार से अधिक के मार्जिन से हरा दिया। उनकी किस्मत ऐसी खुली की विलास राव देशमुख की सरकार बनी और नवाब मलिक मंत्री बन गए। 1999 में कांग्रेस में सोनिया गांधी की ताजपोशी के विरोध में शरद पवार कांग्रेस से अलग हो गए और उन्होंने नेशनल कांग्रेस पार्टी बना ली। मौके की नजाकत को देखते हुए नवाब मलिक ने भी एनसीपी का दामन थाम लिया और वह शरद पवार के नजदीकी हो गए। एनसीपी में आने के बाद अणुशक्तिनगर सीट को नवाब मलिक ने अपनी कर्म भूमि बना लिया और वह इसी सीट का प्रतिनिधित्व करने लगे। 2022 में महाराष्ट्र में सियासी उथल-पुथल शुरू हुई तो नवाब मलिक को मनी लांड्रिंग के एक मामले में फरवरी 2022 में ईडी ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जेल से छूटे तो एनसीपी दो टुकड़ों में बंट चुकी थी। उन्होंने अजीत गुट के साथ जाने का फैसला किया। अब अबू आसिम आजमी को जानिए…
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के सरायमीर के रहने वाले अबू आसिम आजमी 1973 में मुंबई पहुंचे। अबू आसिम आजमी जमींदार परिवार से संबंध रखते थे। जब जमींदारी का दौर खत्म हुआ तो उनके पिता सिंगापुर चले गए। अबू आसिम का कपड़े का कारोबार था, जिसे वे गल्फ कंट्री में सप्लाई करते थे। बाद में उन्होंने ट्रेवेल एजेंट के रूप में भी काम किया और लोगों को बाहर भेजने के लिए उन्हें टिकट मुहैया कराने लगे। 1992 में जब मुंबई में सीरियल ब्लास्ट हुए तो उसमें अबू आसिम आजमी को भी आरोपी बना दिया गया। अबू आसिम पर आरोप था कि उन्होंने 11 आतंकियों को दुबई भेजने के लिए फंडिंग की जिन्होंने बाद में पाकिस्तान में जाकर ट्रेनिंग ली। अबू आसिम इस मामले में गिरफ़्तार कर जेल भेजे गए। बाद में उन्हें जमानत मिल गई। 1995 के चुनाव से पहले मुलायम सिंह यादव की मुंबई में एक सभा थी, जिसमें श्रोता बनकर अबू आसिम भी पहुंचे। मुलायम सिंह के भाषण से प्रभावित होकर उन्होंने मुलायम सिंह से मिलने की ठानी। और फिर यहीं से उनकी राजनीति की शुरुआत हो गई। धीरे-धीरे अबू आसिम आजमी मुलायम सिंह के इतने करीबी हो गए कि मुलायम सिंह ने पूरे महाराष्ट्र की बागडोर अबू आसिम आजमी के हवाले कर दी। अबू आसिम मुंबई की मानखुर्द शिवाजी नगर सीट का प्रतिनिधित्व करने लगे। दोनों के बीच लड़ाई की वजह ये है
सपा की राजनीति करते हुए अबू आसिम आजमी और नवाब मलिक अच्छे दोस्त हो गए। लेकिन जब नवाब मलिक जेल गए तो अबू आसिम आजमी ने उनकी सीट पर अपने भरोसेमंद फहद मलिक जो स्वरा भास्कर के पति हैं, उनके लिए जमीन तैयार करनी शुरू कर दी। अणुशक्तिनगर सीट पर उन्होंने फहद को प्रत्याशी बनाने की ठान ली। सपा का समझौता नहीं हो सका तो उन्हें एनसीपी शरद पवार गुट से टिकट दिला दिया। नवाब मलिक को यह बात नागवार गुजरी। यहां से नवाब मलिक अपनी बेटी सना मलिक को चुनाव लड़ा रहे हैं। फहाद के मैदान में आने के बाद नवाब मलिक ने टक्कर देने के लिए अबू आसिम के सामने चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया। पहले नवाब मलिक ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया और बाद में उन्हें एनसीपी अजीत गुट का सिंबल मिल गया। अबू आसिम की सीट पर कितने प्रत्याशी मैदान में
मानखुर्द शिवाजी नगर सीट पर कुल 27 प्रत्याशी मैदान में हैं। इसमें 15 निर्दल उम्मीदवार शामिल हैं। समाजवादी पार्टी, एनसीपी और शिवसेना के अलावा बाकी दूसरे छोटे दलों के उम्मीदवार मैदान में हैं। मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर 13 मुस्लिम प्रत्याशी हैं। देखना दिलचस्प होगा कि इस सीट पर कौन कामयाबी हासिल करता है। किस-किस को मायूसी हाथ लगती है। सपा से महाविकास अघाड़ी को होगा नुकसान
महाराष्ट्र के चुनाव को कवर कर रहे यूपी के वरिष्ठ पत्रकार जैगम मुर्तजा का कहना है कि समाजवादी पार्टी कुछ मुस्लिम बाहुल्य सीटों को अपने लिए मजबूत मानती है, इसी लिए उसने यहां 9 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। सपा या महाविकास अघाड़ी को इस बात का नुकसान उठाना पड़ सकता है कि गठबंधन के लोग आपस में ही लड़ रहे हैं। हालांकि दो से तीन सीटों पर सपा की स्थिति काफी मजबूत बताई जा रही है। जिस तरह महाविकास अघाड़ी के दल आपस में लड़ रहे हैं उसी तरह एनडीए के दल भी कुछ एक सीटों पर आपस में लड़ रहे हैं। मसलन अबू आसिम आजमी वाली ही सीट पर शिवसेना शिंदे गुट और एनसीपी अजीत पवार गुट आमने सामने हैं, जबकि दोनों एक ही घटक के दल हैं। चुनाव में एक चीज और देखने को मिल रही है कि सपा के मुताबिक सीट शेयरिंग यहां भले न हो पाई हाे। सपा खुद को अघाड़ी का हिस्सा बता रही है और एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी फिलहाल नहीं हो रही है। सपा के प्रवक्ता मनोज यादव कहते हैं कि मौजूदा परिस्थितियां जो बनी हैं उसमें सपा ने कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। पार्टी के एक समय महाराष्ट्र में चार विधायक थे। मौजूदा समय में दो विधायक हैं। दो सीटों पर हम रनर थे। हमारी मांग पांच सीटों की थी। सीट शेयरिंग पर बात भले ही न बनी हो, हम सबका लक्ष्य एक ही है। भाजपा को हराना। सपा चाहती है कि महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार बने। भाजपा को दूर किया जाए। कई बार पार्टी को इस तरह का निर्णय लेना पड़ता है, क्योंकि कार्यकर्ताओं के सम्मान की बात होती है और संगठन की बात रखनी होती है। थोड़े बहुत विरोधाभास भले ही हों हम सब का एक और अंतिम लक्ष्य भाजपा को सत्ता से बेदखल करना है। ये भी पढ़ें: सपा कैंडिडेट नसीम सोलंकी के खिलाफ फतवा:मौलाना ने कहा- तौबा कर दोबारा कलमा पढ़ना चाहिए; कानपुर में शिवलिंग पर जल चढ़ाया था कानपुर में सीसामऊ से सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी के खिलाफ फतवा जारी हो गया है। फतवा ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने जारी किया। उन्होंने कहा- महिला को तौबा करना चाहिए और दोबारा कलमा पढ़ना चाहिए...(पढ़ें पूरी खबर)